बेलगाम संक्रमण: लॉकडाउन और तमाम सतर्कता के बाद भी कोरोना काबू में नहीं, राज्यों को समीक्षा करने की जरूरत

टीके को लेकर लोगों की हिचक तोड़ने का काम तब प्रभावी ढंग से होगा जब उनकी उपलब्धता बढ़ाई जाए। भले ही 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया गया हो लेकिन देश के अनेक हिस्सों में यह अभियान जमीन पर नहीं उतर सका है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:23 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 12:14 AM (IST)
बेलगाम संक्रमण: लॉकडाउन और तमाम सतर्कता के बाद भी कोरोना काबू में नहीं, राज्यों को समीक्षा करने की जरूरत
कोरोना वायरस के बदले हुए प्रतिरूप कहीं अधिक घातक हैं।

लगातार तीसरे दिन चार लाख से अधिक कोरोना मरीज सामने आना गहन चिंता का विषय है। ऐसे आंकड़े यही बताते हैं कि संक्रमण अभी बेलगाम है। इसी के साथ यह भी इंगित होता है कि या तो लॉकडाउन प्रभावी नहीं साबित हो रहा है या फिर इस दौरान ऐसी गलतियां हो रही हैं, जिनके कारण संक्रमण थम नहीं पा रहा है। ध्यान रहे कि देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन है। कहीं-कहीं तो पूरी तौर पर है। जहां लॉकडाउन नहीं है, वहां भी तमाम तरह की सख्ती है। यदि इसके बाद भी संक्रमण का प्रसार हो रहा है तो फिर उसके कारणों की तह तक जाने की जरूरत है। सरकारों को चाहिए कि वे स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों को इस पर शोध-अनुसंधान करने के लिए कहें कि लॉकडाउन और तमाम सतर्कता के बाद भी कोरोना वायरस का संक्रमण काबू में क्यों नहीं आ रहा है? ऐसा कोई अध्ययन उन क्षेत्रों के लिए भी मददगार साबित होगा, जहां अभी संक्रमण बेलगाम नहीं है। नि:संदेह राज्य सरकारों को इसकी समीक्षा करने की भी जरूरत है कि लॉकडाउन में अपेक्षित सावधानी बरती जा रही है या नहीं, क्योंकि ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं कि लोग पुलिस-प्रशासन की चौकसी के अभाव का लाभ उठा रहे हैं और वे सारे काम कर रहे हैं, जो मौजूदा माहौल में हर्गिज नहीं किए जाने चाहिए। 

यह सही है कि कोरोना वायरस के बदले हुए प्रतिरूप कहीं अधिक घातक हैं और वे संक्रमण भी तेजी से फैला रहे हैं, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी प्रकृति में बदलाव को अभी भी सही तरह समझा न जा सका हो और इसी कारण वे अपना कहर ढाने में लगे हुए हैं? इस प्रश्न का उत्तर खोजने के साथ लोगों को लगातार चेताने, समझाने और उन तक सही सूचनाएं पहुंचाने का काम भी किया जाना चाहिए। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रण कक्षों की स्थापना ही पर्याप्त नहीं है। उनके बीच आवश्यक तालमेल भी होना चाहिए। महामारी में समय पर सही सूचनाएं और जरूरी जानकारी कई समस्याओं का समाधान करती है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अभी भी कुछ लोग कोरोना वायरस से उपजी कोविड महामारी की गंभीरता को समझने के लिए तैयार नहीं। इसी तरह कुछ ऐसे भी हैं, जो टीका लगवाने में हिचक रहे हैं। इनमें पढ़े-लिखे लोग भी हैं। टीके को लेकर लोगों की हिचक तोड़ने का काम तब प्रभावी ढंग से हो सकेगा, जब उनकी उपलब्धता भी बढ़ाई जाए। भले ही 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया गया हो, लेकिन देश के अनेक हिस्सों में अभी यह अभियान जमीन पर नहीं उतर सका है। 

chat bot
आपका साथी