यह पतन और अंधेरगर्दी की पराकाष्ठा है कि विकास दुबे का बाल बांका नहीं कर सकी पुलिस

इससे पहले कि विकास दुबे और इस जैसे अन्य माफिया तत्वों को पालने-पोसने वाला गठजोड़ और अधिक घिन पैदा करे उसे हमेशा के लिए छिन्न-भिन्न करने का अभियान छेड़ा जाना चाहिए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 09 Jul 2020 11:17 PM (IST) Updated:Thu, 09 Jul 2020 11:20 PM (IST)
यह पतन और अंधेरगर्दी की पराकाष्ठा है कि विकास दुबे का बाल बांका नहीं कर सकी पुलिस
यह पतन और अंधेरगर्दी की पराकाष्ठा है कि विकास दुबे का बाल बांका नहीं कर सकी पुलिस

आखिरकार दुस्साहसी माफिया विकास दुबे पकड़ा गया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है। सबसे पहला सवाल तो यही है कि तमाम चौकसी के बाद भी वह कानपुर से फरीदाबाद और फिर वहां से उज्जैन कैसे पहुंच गया? जब चप्पे-चप्पे पर पुलिस उसकी तलाश कर रही थी तब फिर वह इतनी लंबी यात्रा करने में सफल रहा तो इसका सीधा मतलब है कि कोई उसकी मदद कर रहा था। कहीं ये मददगार पुलिस वाले ही तो नहीं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि मुठभेड़ वाले दिन उसे यह सूचना कुछ पुलिस वालों ने ही दी थी कि पुलिस कर्मियों का एक दल उसे गिरफ्तार करने आ रहा है।

इस मुठभेड़ में आठ पुलिस कर्मी बलिदान हुए और सारा देश सन्न रह गया। विकास दुबे को उज्जैन में दबोचे जाने पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पुलिस कुछ भी कहे, यही प्रतीति अधिक हो रही है कि यह शातिर-खूंखार अपराधी मनचाहे तरीके से अपनी गिरफ्तारी कराने में सफल रहा। अगर यह वाकई सच साबित होता है तो इसका मतलब है कि वह तंत्र बुरी तरह सड़-गल चुका है जिस पर कानून एवं व्यवस्था को संभालने का दायित्व है। कोई भी सड़ा हुआ तंत्र मामूली-दिखावटी उपायों से सही नहीं हो सकता। क्या इससे अधिक लज्जा की बात और कोई हो सकती है कि आठ पुलिस कर्मियों का हत्यारा अपने तरीके से गिरफ्तारी देने में सफल रहे?

माना जा रहा है कि विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद माफिया-नेता-पुलिस गठजोड़ की परतें खुलेंगी, लेकिन यह आसान काम नहीं, क्योंकि अभी तक यही देखने में आया है कि अपने देश में किस्म-किस्म के माफिया भी फलते-फूलते रहते हैं और उन्हें संरक्षण देने वाले नेता और नौकरशाह भी। इससे भी बुरी बात यह होती है कि कानून अपना काम करने के बजाय अपराधी तत्वों की जी-हुजूरी करता दिखता है।

यह पतन और अंधेरगर्दी की पराकाष्ठा है कि जिस विकास दुबे पर थाने में घुसकर हत्या करने समेत अनगिनत आपराधिक मामले दर्ज थे उसका बाल बांका नहीं हुआ। उसे किस खुली बेशर्मी के साथ संरक्षण दिया जा रहा था, इसका पता इससे चलता है कि उसका नाम न तो शातिर अपराधियों की सूची में दर्ज हो सका और न ही भू माफिया की सूची में। उस पर रासुका भी नहीं लगा।

इससे पहले कि विकास दुबे और इस जैसे अन्य माफिया तत्वों को पालने-पोसने वाला गठजोड़ और अधिक घिन पैदा करे, उसे हमेशा के लिए छिन्न-भिन्न करने का अभियान छेड़ा जाना चाहिए। यह तभी होगा जब अपराधी तत्वों को संरक्षण देने वालों पर निर्ममता के साथ प्रहार किया जाएगा। यह काम केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, सारे देश में होना चाहिए।

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