तेज तरक्की का जरिया, विकास के मामले में नहीं होनी चाहिए सस्ती राजनीति

अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे किस तरह विकास को बल प्रदान करते हैं इसका एक उदाहरण है दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जिसने गुरुग्राम की प्रगति में पंख लगाने का काम किया। आधारभूत ढांचे के तेज विकास का सिलसिला न केवल कायम रहना चाहिए बल्कि उसे और गति मिले।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 08:40 AM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 08:40 AM (IST)
तेज तरक्की का जरिया, विकास के मामले में नहीं होनी चाहिए सस्ती राजनीति
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा।

प्रधानमंत्री ने दिल्ली के निकट उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास कर आधारभूत ढांचे के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का ही परिचय दिया। इसी प्रतिबद्धता का परिचय उन्होंने तब दिया था, जब पिछले दिनों पूर्वाचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया था। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा। इसके जरिये केवल दिल्ली-एनसीआर को ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से के विकास को भी गति देने में सफलता मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे किस तरह विकास को बल प्रदान करते हैं, इसका एक उदाहरण है दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसने गुरुग्राम की प्रगति में पंख लगाने का काम किया। आधारभूत ढांचे के तेज विकास का सिलसिला न केवल कायम रहना चाहिए, बल्कि उसे और गति मिले, इसके लिए विरोधी राजनीतिक दलों को भी सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि आधारभूत ढांचे के विकास के मामले में संकीर्ण राजनीति से बचने की सख्त जरूरत है, क्योंकि ऐसे ढांचे के जरिये ही देश को तीव्र विकास के पथ पर ले जाया जा सकता है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि दिल्ली के निकट एक अन्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना की जरूरत एक लंबे अर्से से महसूस की जा रही थी, लेकिन राजनीतिक खींचतान के चलते इस दिशा में समय रहते आगे नहीं बढ़ा जा सका।

यह सही है कि मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में हवाई यातायात की सुविधा का खूब विस्तार हुआ है और बीते सात वर्षो में 62 हवाई अड्डों का निर्माण हुआ है, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना शेष है। इसलिए और भी, क्योंकि इतनी बड़ी आबादी वाले विशाल देश में अभी कुल 162 हवाई अड्डे ही हैं। भले ही मान्यता यह हो कि विकास के मामले में सस्ती राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से अपने देश में यही देखने को अधिक मिलता है।

आधारभूत ढांचे का निर्माण विकास को प्रोत्साहित करने के साथ रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाता है, लेकिन इसी ढांचे को विकसित करने के मामले में नकारात्मक राजनीति का जमकर प्रदर्शन होता है। यह किसी से छिपा नहीं कि महाराष्ट्र सरकार किस तरह संकीर्ण राजनीतिक कारणों से बुलेट ट्रेन परियोजना में अड़ंगा लगाने का काम कर रही है। एयरपोर्ट, एक्सप्रेस वे, बुलेट ट्रेन, मेट्रो आदि से जुड़ी परियोजनाएं विकास को बल देने के साथ रोजगार के अवसर ही नहीं बढ़ातीं, बल्कि देश की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि करती हैं। आज यदि मेट्रो, हवाई अड्डों की मांग हर कहीं हो रही है तो इसी कारण कि उनकी जरूरत बढ़ती जा रही है।

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