सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, नए संसद भवन के निर्माण की सियासी बाधाएं हुईं दूर

आशा है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ेगा और वह तय समय में पूरा होगा। नए संसद भवन की आवश्यकता इसलिए थी कि मौजूदा संसद भवन भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं था।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 12:32 AM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 12:32 AM (IST)
सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, नए संसद भवन के निर्माण की सियासी बाधाएं हुईं दूर
नया संसद भवन कार्य संस्कृति सुधारने में भी सहायक साबित होगा।

नए संसद भवन के निर्माण से संबंधित सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से यही सिद्ध हुआ कि इस प्रोजेक्ट को लेकर जताई जा रही आपत्तियों में कोई दम नहीं था और उसे रोकने के लिए दायर की गईं याचिकाएं संकीर्ण इरादों से प्रेरित थीं। कायदे से ऐसी याचिकाओं पर गौर ही नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा सरकार के हर फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की प्रवृत्ति को और बल ही मिलेगा। यह ठीक नहीं कि बीते कुछ समय से सरकार के प्रत्येक निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाने लगी है। सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ एक नहीं, कई याचिकाएं दायर की गईं। किसी में पर्यावरण से संबंधित सवाल उठाए गए, किसी में भूमि उपयोग संबंधी और किसी में यह कहा गया कि नए संसद भवन की कोई आवश्यकता ही नहीं। इन याचिकाओं के अलावा कई विपक्षी दलों ने अनावश्यक आपत्तियां उठाईं। इनमें वह कांग्रेस भी शामिल रही, जिसने सत्ता में रहते समय खुद ही नए संसद भवन के निर्माण की जरूरत जताई थी। कुछ लोग ऐसे भी थे जो संसद भवन के आसपास बनी उन इमारतों को विरासत का दर्जा देने में जुट गए थे, जिन्हें किसी भी लिहाज से यह दर्जा नहीं दिया जा सकता।

सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर राजनीतिक दलों के अलावा कुछ पूर्व नौकरशाहों ने भी महज विरोध के लिए विरोध जताने का काम किया था। हैरत नहीं कि अब वे यह कहकर अपने को सही ठहराने की कोशिश करें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ के एक सदस्य ने बहुमत से दिए गए फैसले के विपरीत राय व्यक्त की। जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बहुमत से दिया गया फैसला अलग राय व्यक्त करने वाले न्यायाधीश के निष्कर्षों की काट ही करता है। आशा है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ेगा और वह तय समय में पूरा होगा। नए संसद भवन की आवश्यकता केवल इसलिए नहीं थी कि वह पुराना पड़ चुका था, बल्कि इसलिए भी थी कि मौजूदा संसद भवन भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं था। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि नए संसद भवन के निर्माण से उस पैसे की बचत भी होगी, जो फिलहाल अलग-अलग इमारतों में चल रहे विभिन्न मंत्रालयों के रखरखाव में खर्च होते हैं। नया संसद भवन कार्य संस्कृति सुधारने में भी सहायक साबित होगा। अच्छा हो कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस बुनियादी बात को समझा जाए कि समय के साथ परिवर्तन आवश्यक होता है और इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए कुछ नया निर्मित करना पड़ता है।

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