नागरिकता विधेयक की आड़ में भारतीय मुसलमानों को गुमराह कर रहे कुछ राजनीतिक दल

ऐसे राजनीतिक दल फर्जी कहानियां गढ़ने में लगे हुए हैं कि उनके गांव-घर के मुस्लिम आशंकित होकर यह पूछ रहे हैं कि उनके पास कितना समय है अथवा अब उन्हें क्या करना होगा?

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 12:26 AM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 12:29 AM (IST)
नागरिकता विधेयक की आड़ में भारतीय मुसलमानों को गुमराह कर रहे कुछ राजनीतिक दल
नागरिकता विधेयक की आड़ में भारतीय मुसलमानों को गुमराह कर रहे कुछ राजनीतिक दल

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में पूर्वोत्तर के विभिन्न क्षेत्रों में उग्र प्रदर्शन और हिंसा यही बताती है कि किसी मसले पर लोगों को गुमराह करने के क्या नतीजे होते हैं? पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध का औचित्य इसलिए नहीं बनता, क्योंकि इस क्षेत्र के ज्यादातर भाग इस विधेयक के दायरे में ही नहीं आते।

गृहमंत्री अमित शाह ने इसे लोकसभा और साथ ही राज्यसभा में बार-बार स्पष्ट भी किया। इतना ही नहीं, उन्होंने पूर्वोत्तर के कुछ उन इलाकों को भी इस विधेयक के दायरे से बाहर करने का स्पष्ट आश्वासन दिया जहां के नागरिक इससे आशंकित थे कि बाहर से आए लोग उनके यहां बस सकते हैं।

कायदे से इस सबके बाद असम, त्रिपुरा और अन्य हिस्सों में नागरिकता विधेयक के विरोध में धरना- प्रदर्शन करने की कहीं कोई आवश्यकता नहीं थी, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इसी कारण संकीर्ण राजनीतिक कारणों से लोगों को बरगलाया और उकसाया गया। यह काम पूर्वोत्तर के बाहर भी किया जा रहा है। राजनीतिक शरारत के तहत यह झूठा प्रचार किया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद भारतीय मुसलमानों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

कुछ राजनीतिक दलों के रुख-रवैये से यह साफ है कि वे नागरिकता विधेयक की आड़ लेकर भारतीय मुसलमानों को गुमराह करने के लिए छल-प्रपंच का सहारा लेने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इस छल-प्रपंच में कुछ कथित बुद्धिजीवी भी शामिल हैं।

वे ऐसी फर्जी कहानियां गढ़ने में लगे हुए हैं कि उनके गांव-घर के मुस्लिम आशंकित होकर यह पूछ रहे हैं कि उनके पास कितना समय है अथवा अब उन्हें क्या करना होगा? इस तरह की झूठी कहानियां गढ़ने वाले निंदा और भर्त्सना के पात्र बनाए जाने चाहिए।

आखिर जब इस विधेयक का भारत के किसी भी नागरिक से कोई लेना-देना ही नहीं और यह बाहर से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है, न कि किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का तब फिर यह माहौल बनाने का क्या मतलब कि भारतीय मुसलमानों के लिए खतरा बढ़ने वाला है?

यह माहौल बनाने वाले केवल झूठ फैलाने का ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश के अमन-चैन से भी खेल रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर भ्रम फैलने से रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए। उसे भ्रम निवारण का यह काम पूर्वोत्तर में कहीं अधिक तत्परता से करना होगा।

हालांकि पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष की हर आपत्ति का जवाब दिया, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कुछ विपक्षी दल झूठ का पहाड़ खड़ा करने की तैयारी करते दिख रहे है।

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