उच्च सदन में ओछी हरकत: राज्य सभा में विपक्ष ने विरोध में सारी हदें कर दीं पार, संसद की गरिमा हुई तार-तार

आखिर संसद में बोलने का यह कौन सा तरीका है कि कुर्सी-मेज पर चढ़ जाया जाए? यह अमर्यादित आचरण इसलिए किया गया क्योंकि कृषि कानूनों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में बदल दिया गया। क्या अल्पकालिक चर्चा में विपक्ष अपनी बात नहीं कह सकता था?

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 03:15 AM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 03:15 AM (IST)
उच्च सदन में ओछी हरकत: राज्य सभा में विपक्ष ने विरोध में सारी हदें कर दीं पार, संसद की गरिमा हुई तार-तार
राज्यसभा में विपक्षी दल के एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए

संसद का मानसून सत्र हंगामे के लिए ही अधिक जाना जा रहा है। शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो, जब संसद में हंगामे के कारण उसकी कार्यवाही बाधित न होती हो। कभी-कभी तो विरोध में विपक्ष सारी हदें पार कर जाता है। दुर्भाग्य से ऐसा राज्यसभा में भी होता है, जिसके बारे में यह माना जाता है कि वहां कहीं अधिक धीर-गंभीर चर्चा होती है। यह देखना दयनीय है कि जब विपक्ष को संसद की गरिमा बनाए रखने के प्रति सचेत रहना चाहिए, तब वह इससे बिल्कुल बेपरवाह दिखता है। इसका प्रमाण गत दिवस तब मिला, जब राज्यसभा में विपक्षी दल के एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वहां से उन्होंने नियम पुस्तिका आसन की ओर फेंकी। यह शर्मनाक कृत्य एक कांग्रेसी सांसद ने किया। इससे भी शर्मनाक यह रहा कि अन्य विपक्षी सांसद अमर्यादित आचरण करने वाले सांसद के समर्थन में तालियां बजा रहे थे। जिस समय राज्यसभा में यह सब हो रहा था, लगभग उसी समय कश्मीर यात्रा पर गए राहुल गांधी यह कह रहे थे कि उन्हें संसद में बोलने से रोका जा रहा है।

आखिर संसद में बोलने का यह कौन सा तरीका है कि कुर्सी-मेज पर चढ़ जाया जाए? यह अमर्यादित आचरण इसलिए किया गया, क्योंकि कृषि कानूनों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में बदल दिया गया। क्या अल्पकालिक चर्चा में विपक्ष अपनी बात नहीं कह सकता था? सवाल यह भी है कि आखिर कृषि कानूनों पर चर्चा के बहाने इन कानूनों को वापस लेने की जिद का क्या औचित्य? इस तरह कृषि कानून वापस ले लेने से तो कोई भी कानून सलामत नहीं बचेगा। क्या विपक्ष यह चाहता है कि संसद की ओर से बनाए गए कानून सड़क पर बैठे लोगों के कहने पर वापस ले लिए जाएं? वास्तव में विपक्ष का उद्देश्य संसद में कोई सार्थक चर्चा करना दिखता ही नहीं। यदि उसकी दिलचस्पी विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात जनता तक पहुंचाने में होती तो वह संसद को इस तरह बाधित नहीं करता। विपक्ष ने संसद को किस तरह बंधक बना लिया है, इसका पता इससे चलता है कि वह उन मुद्दों पर चर्चा करना पसंद कर रहा है जिन पर हंगामा करने से उसे राजनीतिक नुकसान होने का अंदेशा है। इसी कारण गत दिवस उसने लोकसभा में ओबीसी संशोधन विधेयक पर हंगामा करने के बजाय बहस में भाग लेना ठीक समझा। इस विधेयक पर बहस में शामिल होकर विपक्ष ने यही साबित किया कि वह अन्य मुद्दों को भले ही गंभीर बता रहा हो, लेकिन उन पर चर्चा नहीं करना चाहता। विपक्ष को यह आभास हो तो बेहतर कि संसद में हंगामा करके वह अपना ही अहित कर रहा है।

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