एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकता पाक: आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना, सुस्त कोर्ट सजा सुनाने लगा

भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके लिए आगाह करे कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ दिखावटी कार्रवाई करके पहले की तरह उसकी आंखों में धूल झोंकने में लगा हुआ है। विश्व समुदाय को इसके आवश्यक प्रमाण भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 08:52 PM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 12:08 AM (IST)
एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकता पाक: आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना, सुस्त कोर्ट सजा सुनाने लगा
आतंकी सरगना मसूद अजहर को जेल भेजने की तैयारी।

यदि आतंकियों को पालने-पोसने वाला कोई देश अचानक उनके खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दे और वहां की सुस्त अदालतें उन्हें सजा सुनाने लगें तो उसके इरादों पर संदेह होना स्वाभाविक है। इस पर यकीन करना कठिन है कि पाकिस्तान ने सचमुच आतंकियों पर लगाम लगाने का मन बना लिया है और हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी के बाद एक अन्य आतंकी सरगना मसूद अजहर को जेल भेजने की तैयारी उसके नेक इरादों का परिचायक है। ऐसे किसी नतीजे पर बिल्कुल भी नहीं पहुंचा जा सकता, क्योंकि वह तो अंतररराष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से आतंकी फंडिंग पर निगाह रखने वाली संस्था एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने के इरादे से यह सब कर रहा है। इसकी पुष्टि इससे होती है कि हाफिज सईद एवं जकीउर रहमान लखवी को आतंकवाद के गंभीर मामलों और खासकर भारत में आतंकी हमले कराने के आरोप में जेल नहीं भेजा गया। इन दोनों को आतंकियों की फंडिंग करने के आरोप में सजा सुनाई गई है। यही काम मसूद अजहर के मामले में किया जाए तो हैरानी नहीं। यह वही खूंखार आतंकी है, जिसने भारत में कई बड़े आतंकी हमले कराए हैं और जिस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी लगने में इसलिए देर हुई, क्योंकि चीन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय साख की अनदेखी कर उसकी ढाल बनना पसंद किया था। एक तथ्य यह भी है कि भारत ने जब-जब उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही, पाकिस्तान से यही जवाब मिला कि वह तो उसके यहां है ही नहीं।

फिलहाल यह कहना कठिन है कि मसूद अजहर की गिरफ्तारी के अदालती आदेश पर अमल होने के बाद उसे सजा सुनाई जाती है या नहीं? यदि सईद और लखवी की तरह उसे भी सजा सुना दी जाए तो भी इसका अंदेशा है कि कुछ समय बाद और विशेष रूप से एफएटीएफ की कार्रवाई का खतरा टल जाने के उपरांत ऊंची अदालतें उसे बेगुनाह करार दें। यही सुविधा सईद और लखवी को भी मिल सकती है। वैसे भी पाकिस्तान में ऐसा होता रहा है। अभी बहुत दिन नहीं हुए जब सिंध हाईकोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारों को बेगुनाह करार दिया था। केवल इतना ही पर्याप्त नहीं कि पहले सईद और फिर लखवी को सजा सुनाए जाने पर भारत ने यह सवाल उठाया कि उन्हें मुंबई हमले की साचिश रचने और उसे अंजाम देने के जुर्म में कब सजा दी जाएगी? आवश्यक यह भी है कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके लिए आगाह करे कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ दिखावटी कार्रवाई करके पहले की तरह उसकी आंखों में धूल झोंकने में लगा हुआ है। विश्व समुदाय को इसके आवश्यक प्रमाण भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

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