आतंकवाद को पोषित करने वाला पाकिस्तान मोहलत पाकर एफएटीएफ की काली सूची से बच गया

पाकिस्तान की घेरेबंदी जारी रहनी चाहिए और अगर वह आतंक का रास्ता न छोड़े तो उसे एफएटीएफ की काली सूची में अवश्य डाला जाए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 10:23 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 12:08 AM (IST)
आतंकवाद को पोषित करने वाला पाकिस्तान मोहलत पाकर एफएटीएफ की काली सूची से बच गया
आतंकवाद को पोषित करने वाला पाकिस्तान मोहलत पाकर एफएटीएफ की काली सूची से बच गया

इस पर हैरत नहीं कि आतंकी फंडिंग पर निगाह रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ ने फिर यह पाया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को पोषित करने वाले तौर-तरीकों पर लगाम लगाने का काम नहीं किया है। एक ऐसा देश जिसने आतंकवाद को अपने शासन का हिस्सा बना रखा हो और जहां की सेना आतंकी संगठनों को पालने-पोसने का काम करती हो उसके बारे में यदि एफएटीएफ यह उम्मीद कर रही है कि वह आसानी से सही राह पर आ जाएगा तो यह खुशफहमी ही अधिक है।

क्या यह अजीब नहीं कि पाकिस्तान 27 बिंदुओं में से पांच पर ही उम्मीदों पर खरा उतर सका, फिर भी उसे मोहलत दे दी गई? कहीं पाकिस्तान को यह मोहलत चीन, तुर्की और मलेशिया की पैरवी के कारण तो नहीं मिली? सच जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जहां चीन इस समय एफएटीएफ का प्रमुख है वहीं मलेशिया और तुर्की पाकिस्तान के नए हमदर्द बनकर उभरे हैं। भारत को यह समझना होगा कि आतंक समर्थक पाकिस्तान के प्रति एफएटीएफ की ओर से पर्याप्त सख्ती न दिखाया जाना शुभ संकेत नहीं।

पाकिस्तान आसानी से आतंक की राह छोड़ने वाला नहीं, इसका प्रमाण केवल यही नहीं कि वह एफएटीएफ के दबाव के बावजूद आतंकी संगठनों को संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहा, बल्कि यह भी है कि वहां के शासक इसे अपनी जीत के रूप में रेखांकित कर रहे हैं कि उनका मुल्क काली सूची में शामिल होने से बच गया। वहां के मीडिया का भी यही स्वर है कि अगर पाकिस्तान काली सूची में नहीं जा सका तो यह उसकी जीत ही है। ऐसे स्वरों से यह अच्छे से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान को इस पर कोई शर्मिदगी नहीं कि वह आतंकवाद के खिलाफ उचित कार्रवाई न करने के कारण एक वैश्विक संस्था की ग्रे लिस्ट में है। यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि ऐसा ढीठ देश उसका पड़ोसी है।

भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि जहां उसकी ओर से पाकिस्तान की घेरेबंदी जारी रहे वहीं अगर वह आतंक का रास्ता न छोड़े तो उसे एफएटीएफ की काली सूची में अवश्य डाला जाए। एफएटीएफ की काली सूची में जाने पर पाकिस्तान ईरान और उत्तर कोरिया के बाद ऐसा तीसरा देश होगा जिसे विश्व समुदाय दुनिया के लिए खतरे के तौर पर देखेगी। सच तो यह है कि वह अभी भी दुनिया के लिए खतरा ही है। उचित यह होगा कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सरीखी संस्थाओं को इससे परिचित कराए कि पाकिस्तान की धरती पर पल रहे किस्म-किस्म के आतंकी जितना भारत के लिए खतरा बने हुए हैं उतना ही अफगानिस्तान के लिए भी।

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