देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए कोरोना रोधी टीकों के निर्यात में हर्ज नहीं

अभी हाल में प्रधानमंत्री ने देश के 48 जिलों के जिलाधिकारियों से वार्ता कर टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की पहल की। ये वे जिले हैं जहां टीकाकरण की गति धीमी है। ऐसे और इलाकों की पहचान की जानी चाहिए।

By TilakrajEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 08:44 AM (IST) Updated:Tue, 09 Nov 2021 08:44 AM (IST)
देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए कोरोना रोधी टीकों के निर्यात में हर्ज नहीं
देश ने करीब दो सप्ताह पहले सौ करोड़ टीके लगाने का लक्ष्य हासिल कर लिया था

कोरोना रोधी टीके का निर्यात बहाल होना यही बताता है कि देश में पर्याप्त संख्या में टीके उपलब्ध हैं। घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए टीकों के निर्यात में हर्ज नहीं। वैसे भी टीकों का एक बड़ा उत्पादक देश होने के नाते भारत की कुछ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं भी हैं। भारत ने अपनी इन प्रतिबद्धताओं का पालन इसके पहले भी किया है। अप्रैल में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के पहले भारत ने करीब सौ देशों को टीके उपलब्ध कराए थे।

यह उल्लेखनीय है कि एक ऐसे समय कोविड रोधी टीकों का फिर से निर्यात होने जा रहा है, जब कई विदेशी कंपनियों के टीकों का भारत में उत्पादन संभव नहीं हो पाया। कहना कठिन है कि आगे यह संभव हो पाएगा या नहीं, लेकिन भारत को टीका उत्पादन की अपनी क्षमता बढ़ाना जारी रखना चाहिए। इसी के साथ टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए, क्योंकि उसमें अपेक्षित तेजी नहीं आ रही है।

देश ने करीब दो सप्ताह पहले सौ करोड़ टीके लगाने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद टीकाकरण की रफ्तार धीमी होती हुई दिखाई दी है। इसका एक कारण त्योहार हो सकते हैं। यह सही समय है कि केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि त्योहार टीकाकरण की रफ्तार को कम न करने पाएं। देश के उन इलाकों में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जहां टीकाकरण की गति अपेक्षा से कम है।

अभी हाल में प्रधानमंत्री ने देश के 48 जिलों के जिलाधिकारियों से वार्ता कर टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की पहल की। ये वे जिले हैं, जहां टीकाकरण की गति धीमी है। ऐसे और इलाकों की पहचान की जानी चाहिए। इसमें राज्य सरकारों को विशेष सक्रियता दिखानी होगी। केंद्र सरकार को राज्यों को टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिदिन कम से कम 60-70 लाख टीके तो लगे हीं। नि:संदेह यह तभी संभव हो पाएगा, जब लोग भी टीका लगवाने के लिए आगे आएंगे। यह ठीक नहीं कि करीब दस करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने टीके की दूसरी खुराक समय पर नहीं ली।

अब जब पर्याप्त संख्या में टीके उपलब्ध हैं और इस कारण भी उनका निर्यात बहाल किया जा रहा है, तब इसका कोई औचित्य नहीं कि पहले के मुकाबले कम टीके लगें। लोगों को टीके लगवाने में तत्परता दिखाने के साथ ही कोरोना संक्रमण को लेकर भी सावधान रहना चाहिए, क्योंकि खतरा अभी टला नहीं है और इसी कारण बच्चों और किशोरों के टीकाकरण के प्रबंध किए जा रहे हैं।

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