जम्मू-कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक में मोदी सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बल देने के लिए उठा सकती है ठोस कदम

चूंकि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के साथ केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित कर उसे केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था इसलिए ऐसी मांग उठना स्वाभाविक है कि उसके राज्य के दर्जे को बहाल किया जाए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:35 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 12:10 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक में मोदी सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बल देने के लिए उठा सकती है ठोस कदम
सर्वदलीय बैठक के लिए जम्मू-कश्मीर के नेता आमंत्रित

जम्मू-कश्मीर के नेताओं को सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रित करने के केंद्र सरकार के फैसले से इन चर्चाओं को बल मिला है कि मोदी सरकार इस केंद्र शासित प्रदेश को लेकर कोई बड़ी पहल करने जा रही है। फिलहाल इस पहल के बारे में अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन माना जा रहा है कि वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बल देने के लिए कोई कदम उठाए जा सकते हैं। जो भी हो, अच्छी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के नेता इस सर्वदलीय बैठक को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि वे अपनी अपेक्षाएं रेखांकित करते हुए ऐसी कोई मांग नहीं कर रहे हैं कि अनुच्छेद 370 को बहाल किया जाए। यह इस बात का सूचक है कि उन्होंने यह समझ लिया है कि अब इस अनुच्छेद की वापसी के कहीं कोई आसार नहीं। वास्तव में इसकी उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि यह एक भेदभावपरक और अलगाव एवं अन्याय को बढ़ावा देने वाला अनुच्छेद था। यह अनुच्छेद ही कश्मीरी जनता के एक वर्ग और वहां के कुछ नेताओं को यह मिथ्या आभास कराता था कि कश्मीर देश से अलग और विशिष्ट हैसियत रखने वाला क्षेत्र है। अगर यह अनुच्छेद नहीं होता तो शायद वहां अलगाव और आतंक की जमीन भी तैयार नहीं होती। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इसी अनुच्छेद के कारण पाकिस्तान कश्मीर को हड़पने का सपना देखने के साथ उस पर अपना दावा जताता था।

मोदी सरकार को इसके लिए साधुवाद कि उसने एक झटके में अलगाव का वाहक बने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया। कश्मीर को मुख्यधारा में लाने वाले इस साहसिक फैसले के लिए उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। यह अनुच्छेद अनावश्यक था, इसकी पुष्टि इससे भी होती है कि अब कोई भी उसकी वापसी की जरूरत नहीं जता रहा है। इसका मतलब है कि सभी ने यह मान लिया कि ऐसा होना संभव नहीं। चूंकि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के साथ केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित कर उसे केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था, इसलिए ऐसी मांग उठना स्वाभाविक है कि उसके राज्य के दर्जे को बहाल किया जाए। इस मांग पर आश्चर्य इसलिए नहीं, क्योंकि खुद केंद्र सरकार ने कहा था कि जैसे ही स्थितियां अनुकूल होंगी, राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। बावजूद इसके यह कहना कठिन है कि हाल-फिलहाल ऐसा कुछ होने जा रहा है। अभी तो इसी के आसार हैं कि वहां विधानसभा चुनाव कराने की जमीन तैयार की जाएगी। जिला विकास परिषद चुनावों के बाद इस दिशा में आगे बढ़ा भी जाना चाहिए, लेकिन इसके पहले यह भी आवश्यक है कि वहां परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।

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