आत्मनिर्भरता का मंत्र: आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को सशक्त बनाना मोदी सरकार का संकल्प

आज भारत सॉफ्टवेयर से लेकर सेटेलाइट तक के जरिये दूसरे देशों के विकास को गति दे रहा है और दुनिया के विकास में प्रमुख इंजन की भूमिका निभा रहा है। कारोबारी कच्चे माल से लेकर कलपुर्जों तक के लिए अभी भी चीन पर निर्भर है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 02:33 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 02:33 AM (IST)
आत्मनिर्भरता का मंत्र: आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को सशक्त बनाना मोदी सरकार का संकल्प
कोरोना की दूसरी लहर जारी है और तीसरी लहर आने की आशंका है।

इस पर आश्चर्य नहीं कि रिजर्व बैंक ने विकास दर अनुमान घटा दिया। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का विकराल रूप अर्थव्यवस्था के लिए आघातकारी होना ही था। रिजर्व बैंक ने अब चालू वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान 9.5 प्रतिशत रखा है। पहले यह 10.5 प्रतिशत था। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव किए बगैर कोरोना की मार से सबसे अधिक प्रभावित पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र को 15 हजार करोड़ रुपये का सस्ता कर्ज देने की भी बात कही है। देखना है कि इस क्षेत्र के कारोबारी सस्ता कर्ज लेने के लिए आगे आते हैं या नहीं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि आम तौर पर कारोबारी कर्ज तभी लेते हैं, जब उन्हेंं अपना उद्यम आगे बढ़ता दिखाई देता है। चूंकि अभी कोरोना की दूसरी लहर जारी है और तीसरी लहर आने की आशंका है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र के कारोबारी कर्ज लेकर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सक्रिय होंगे। जो भी हो, विभिन्न क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के उस मंत्र को याद रखना आवश्यक है, जो उन्होंने गत दिवस एक और बार दोहराया। उनके अनुसार कोविड महामारी के चलते आत्मनिर्भर भारत अभियान की रफ्तार कुछ धीमी जरूर हुई है, लेकिन इस अभियान के जरिये देश को सशक्त बनाना आज भी उनकी सरकार का संकल्प है।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत सॉफ्टवेयर से लेकर सेटेलाइट तक के जरिये दूसरे देशों के विकास को गति दे रहा है और दुनिया के विकास में प्रमुख इंजन की भूमिका निभा रहा है। यह एक हद तक सही है, लेकिन भारत अपनी इस भूमिका का निर्वाह तभी और अच्छे ढंग से निभा सकेगा, जब हमारे कारोबारी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए कमर कसेंगे। यह ठीक नहीं कि हमारे कारोबारी अभी आयात पर निर्भर हैं। यह आयात भी चीन से होता है। हालांकि चीन से आयात कम करने की कोशिश जारी है, लेकिन यदि अभी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है तो इसके लिए हमारे उद्योग जगत का वह रवैया जिम्मेदार है, जिसके तहत वह आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए तैयार नहीं। वह कच्चे माल से लेकर कलपुर्जों तक के लिए अभी भी चीन पर निर्भर है। उसे अपने दम पर वह सब र्नििमत करना होगा, जो चीन से मंगाया जाता है। केवल इतना ही नहीं, उसे उत्पादकता और गुणवत्ता के मामले में भी चीनी उद्योगों से मुकाबला करना होगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी छाप छोड़नी होगी। यह वह काम है, जिसे उद्योग जगत को अपने बलबूते ही करना होगा।

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