बांग्लादेश से भारत की खास दोस्ती: मोदी सरकार की विदेश नीति के चलते बांग्लादेश है भारत का भरोसेमंद पड़ोसी देश

भारत जिस तरह बांग्लादेश की स्वतंत्रता में सहायक बना था उसी तरह उसकी तरक्की में भी उसके साथ है। पीएम मोदी ने कोरोना काल में ढाका जाकर दुनिया को यह संदेश दिया कि दोनों देशों की दोस्ती कुछ खास है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 08:36 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 12:04 AM (IST)
बांग्लादेश से भारत की खास दोस्ती: मोदी सरकार की विदेश नीति के चलते बांग्लादेश है भारत का भरोसेमंद पड़ोसी देश
प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान वहां के हिंदू धार्मिक स्थलों का दौरा किया।

प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा को ममता बनर्जी समेत कुछ और नेताओं ने जिस तरह बंगाल के विधानसभा चुनावों से जोड़ने की कोशिश की, वह एक तरह से विदेश नीति को दलगत राजनीति की संकीर्ण नजर से देखने की कोशिश ही है। यदि प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान वहां के हिंदू धार्मिक स्थलों का दौरा किया तो यह कोई नई-अनोखी बात नहीं। ऐसा करके उन्होंने केवल बांग्लादेश के हिंदू समुदाय को संबल देने की ही कोशिश नहीं की, बल्कि वहां की सरकार को परोक्ष रूप से यह संदेश भी दिया कि उसे अपने यहां के अल्पसंख्यकों की चिंता करनी चाहिए। वास्तव में उन्होंने हिंदू धार्मिक स्थलों का दौरा कर अपनी राजनीतिक सूझबूझ का ही परिचय दिया। उनके इस दौरे को बंगाल चुनावों से जोड़ने का औचित्य इसलिए नहीं, क्योंकि बांग्लादेश ने अपनी स्वतंत्रता के 50वें वर्ष पर भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने का फैसला बहुत पहले कर लिया था। प्रधानमंत्री ने वहां जाने का निश्चय करके केवल बांग्लादेश से भारत की मित्रता को ही मजबूती नहीं प्रदान की, बल्कि यह भी दर्शाया कि पड़ोसी राष्ट्र उनकी प्राथमिकता में हैं। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने सबसे पहले भूटान जाना तय किया था। दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में वह मालदीव गए और कोरोना संकट के बाद की अपनी पहली विदेश यात्रा में उन्होंने बांग्लादेश को चुना।

प्रधानमंत्री चाहते तो कोरोना संक्रमण का हवाला देकर बांग्लादेश जाने के बजाय, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वहां के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी कर सकते थे। उन्होंने वहां जाना तय किया तो इसीलिए कि वह बांग्लादेश के साथ दुनिया को भी यह संदेश देना चाहते थे कि दोनों देशों की दोस्ती कुछ खास है। प्रधानमंत्री ने वहां जाकर यह रेखांकित किया कि भारत जिस तरह उसकी स्वतंत्रता में सहायक बना था, उसी तरह उसकी तरक्की में भी उसके साथ है। आज यदि बांग्लादेश भारत के भरोसेमंद पड़ोसी देशों में से एक है तो इसका एक बड़ा श्रेय मोदी सरकार की विदेश नीति को जाता है। नि:संदेह बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों की सक्रियता एक चिंता की बात है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री ने वहां की धरती पर यह कहकर ऐसी ताकतों को चेताया ही कि आतंकवाद के खतरे से मिलकर लड़ने की जरूरत है। जैसे यह अच्छा नहीं हुआ कि ममता बनर्जी ने उनकी बांग्लादेश यात्रा को बंगाल चुनावों से जोड़ने में देर नहीं की, वैसे ही यह भी कि कुछ लोगों ने इस देश की आजादी में भारत के योगदान को दलगत आधार पर देखने की कोशिश की। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस कथन पर अविश्वास जताकर अपनी हंसी ही कराई कि एक समय वह भी बांग्लादेश के पक्ष में आवाज उठाने सड़कों पर उतरे थे।

chat bot
आपका साथी