राष्ट्रीय शोक की घड़ी में देश को एकजुटता का करना होगा प्रदर्शन, अलविदा बिपिन रावत

राष्ट्रीय शोक की इस घड़ी में देश को अपनी संवेदनाओं को प्रकट करने के साथ यह भी संदेश देना होगा कि वह इस आघात से उबरेगा और कहीं अधिक दृढ़ता के साथ अपनी एकजुटता का भी प्रदर्शन करेगा।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 09:20 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 09:34 AM (IST)
राष्ट्रीय शोक की घड़ी में देश को एकजुटता का करना होगा प्रदर्शन, अलविदा बिपिन रावत
राष्ट्रीय शोक की घड़ी में देश को एकजुटता का करना होगा प्रदर्शन

तमिलनाडु के पर्वतीय इलाके में हेलीकाप्टर दुर्घटना में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के साथ 11 सैन्य अफसरों-कर्मियों का निधन समूचे राष्ट्र को शोकाकुल करने वाली त्रसदी है। चूंकि सैन्य तंत्र को एक बड़ी क्षति का सामना करना पड़ा है, इसलिए वह देश के जनमानस को विचलित करने वाली है। राष्ट्रीय शोक की इस घड़ी में देश को अपनी संवेदनाओं को प्रकट करने के साथ यह भी संदेश देना होगा कि वह इस आघात से उबरेगा और कहीं अधिक दृढ़ता के साथ अपनी एकजुटता का भी प्रदर्शन करेगा। यह घटना इसलिए और अधिक अकल्पनीय एवं आघातकारी है, क्योंकि जनरल रावत और उनके सहयोगी वायु सेना के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले हेलीकाप्टर में सवार थे।

चूंकि यह हर लिहाज से एक भरोसेमंद और दुर्गम परिस्थितियों में भी आजमाया हुआ हेलीकाप्टर था, इसलिए उसके दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों की जांच कहीं अधिक गहनता से होनी चाहिए। न केवल ऐसा होना चाहिए, बल्कि जिन परिस्थितियों में यह हादसा हुआ, उनका संज्ञान लेकर जरूरी सबक भी सीखे जाने चाहिए। वास्तव में भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए जो भी संभव हो, वह सब प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।

जनरल बिपिन रावत के रूप में देश ने अपने पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ को ही नहीं, बल्कि एक अप्रतिम योद्धा को भी खोया है। वह जितने बहादुर, उतने ही बेबाक थे। वह हर चुनौती का सामना करने के लिए सदैव न केवल तत्पर दिखते थे, बल्कि अपनी बातों से जनता को यह भरोसा भी दिलाते थे कि उनके नेतृत्व में देश सुरक्षित हाथों में है। यह बात उनके जैसा कोई असाधारण योद्धा ही कह सकता था कि भारतीय सेनाएं ढाई मोर्चो पर लड़ने यानी चीन और पाकिस्तान के साथ देश में छिपे शत्रुओं का भी सामना करने में सक्षम हैं।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश ने उनके जैसे पराक्रमी सैन्य अफसर को एक ऐसे समय खो दिया, जब वह चीन की आक्रामकता का सामना करने की तैयारियों को आगे बढ़ाने के साथ अफगानिस्तान के हालात से उपजी चुनौतियों का जवाब खोजने में लगे हुए थे। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के रूप में जब वह देश के सैन्य तंत्र को नया आकार देने में लगे हुए थे, तब उनका जाना कहीं अधिक दुखद है।

देश उनके योगदान को भूल नहीं सकता-इसलिए और भी नहीं, क्योंकि उन्होंने कश्मीर से लेकर पूवरेत्तर में आतंकवाद विरोधी कई अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। कारगिल संघर्ष में भागीदारी करने के साथ उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दिया था। शौर्य के ऐसे पर्याय और प्रतीक शूरवीर को विनम्र श्रद्धांजलि।

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