कोरोना टीकाकरण अभियान भारत की इच्छाशक्ति और क्षमता का परिचायक

टीकाकरण अभियान भारत की इच्छाशक्ति और साथ ही उसकी क्षमता का भी परिचायक है। इस उपलब्धि से यह भी प्रमाणित होता है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें तो बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकती हैं।

By TilakrajEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:20 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:20 AM (IST)
कोरोना टीकाकरण अभियान भारत की इच्छाशक्ति और क्षमता का परिचायक
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने अन्य देशों को टीकों की आपूर्ति में व्यवधान अवश्य डाला

टीके की सौ करोड़ खुराक का लक्ष्य हासिल कर भारत ने यह साबित कर दिया कि वह हर चुनौती का सामना कर सकता है और वह भी अपने दम पर। इस उपलब्धि पर सारे देश को गर्व होना चाहिए और हर किसी को अपने-अपने स्तर पर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे भी कोविड रोधी टीकाकरण अभियान सफलता के साथ संचालित होता रहे, ताकि देश महामारी से मुक्त होकर तेजी के साथ प्रगति पथ पर बढ़े और अपने अन्य लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सके।

टीकाकरण अभियान भारत की इच्छाशक्ति और साथ ही उसकी क्षमता का भी परिचायक है। इस उपलब्धि से यह भी प्रमाणित होता है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें तो बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकती हैं। सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम के सफल संचालन के बाद अन्य क्षेत्रों में भी केंद्र और राज्यों को समन्वय बढ़ाने का काम करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों की चुनौतियों का सामना कहीं आसानी से किया जा सकता है।

नि:संदेह यह समय अपनी पीठ थपथपाने का है, लेकिन इस अवसर पर उस सस्ती, संकीर्ण और कलुषित राजनीति को विस्मृत नहीं किया जा सकता, जिसके तहत कभी टीकों की कमी को जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया और कभी उन्हें भाजपा का टीका बताया गया। इस तरह की छिछली बातें करने वालों को कम से कम अब तो यह आभास होना ही चाहिए कि ऐसी ओछी राजनीति से न तो देश और समाज का भला होने वाला है और न ही खुद उनका।

चूंकि भारत ने स्वयं का आत्मविश्वास बढ़ाने और साथ ही विश्व को दिशा देने वाली एक शानदार उपलब्धि अपने बलबूते हासिल की, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के अतिरिक्त स्वास्थ्य कर्मियों और टीकाकरण अभियान में शामिल अन्य कर्मचारियों के साथ टीके का निर्माण करने वाली कंपनियों की भी सराहना करनी होगी। ऐसा करते हुए यह भी स्मरण रखा जाना चाहिए कि भारत एक ओर जहां अपने सौ करोड़ लोगों का टीकाकरण करने में सक्षम रहा, वहीं उसने दुनिया के अनेक देशों को भी टीकों की आपूर्ति की।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने अन्य देशों को टीकों की आपूर्ति में व्यवधान अवश्य डाला, लेकिन अब फिर से भारत अपनी वचनबद्धता पूरी करने को तैयार है। भारत को अब इसके लिए भी सक्रिय होना होगा कि देश में निर्मित सभी टीकों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिले। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी कोई सहमति बने जिससे विभिन्न देशों में आवागमन और अधिक आसान हो सके। यह इसलिए करना होगा, क्योंकि इससे ही महामारी से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने में सफलता मिलेगी।

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