कांग्रेस पार्टी यूं ही चलेगी, सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख टाल कर किया साबित

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी के संबोधन से यदि कुछ स्पष्ट हुआ तो यही कि पार्टी जैसे चल रही थी वैसे ही चलती रहेगी। इस बैठक में सोनिया गांधी ने न केवल खुद को पूर्णकालिक अध्यक्ष बताया।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 11:17 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 11:17 AM (IST)
कांग्रेस पार्टी यूं ही चलेगी, सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख टाल कर किया साबित
कांग्रेस पार्टी यूं ही चलेगी, सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख टाल कर किया साबित

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी के संबोधन से यदि कुछ स्पष्ट हुआ तो यही कि पार्टी जैसे चल रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इस बैठक में सोनिया गांधी ने न केवल खुद को पूर्णकालिक अध्यक्ष बताया, बल्कि जी-23 समूह के नेताओं को मीडिया के जरिये बात करने के लिए फटकार भी लगाई। यदि वह पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं तो फिर राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान क्यों संभाली थी? सवाल यह भी है कि अगर वह पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं तो फिर नए अध्यक्ष के चुनाव की क्या जरूरत है और यदि है तो उसे फिर से टालने का क्या मतलब? यह स्पष्ट है कि इन सवालों के जवाब नहीं मिलने वाले, क्योंकि कांग्रेस में वही होगा, जो गांधी परिवार चाहेगा।

अब परिवार ही पार्टी है और इसीलिए इस पर हैरानी नहीं कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग नए सिरे से होने लगी है। राहुल गांधी अध्यक्ष बनना चाहें तो उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं, क्योंकि पार्टी में उन्हीं की पूछ-परख है, जो गांधी परिवार की चाटुकारिता करने में माहिर हैं। यह जी-23 नेताओं को फटकारे जाने से और स्पष्ट है।

आखिर जब राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनना है और खुद सोनिया गांधी भी यही चाहती हैं तो फिर उन्हें पर्दे के पीछे से पार्टी चलाने की सुविधा देने का क्या मकसद है? क्या इसलिए कि जवाबदेही से बचा जा सके? नि:संदेह यह गांधी परिवार को ही तय करना है कि उसे कांग्रेस को किस तरह चलाना है, लेकिन बीते कुछ साल से पार्टी को जिस मनमाने तरीके से चलाया जा रहा है, उस तरह से निजी कंपनियां तो चल सकती हैं, राजनीतिक दल नहीं।

कांग्रेस की समस्या केवल यह नहीं है कि पार्टी का काम परिवार के बगैर नहीं चल सकता, बल्कि यह है कि परिवार के सदस्य इस स्थिति का बेजा और मनमाना इस्तेमाल कर रहे हैं। वे और खासकर राहुल गांधी ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे देश पर शासन करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। वह अलग-अलग मसलों को लेकर मोदी सरकार को तो हर दिन घेरते हैं, लेकिन शायद ही कभी उन्होंने किसी मसले को हल करने के बारे में बात की हो।

उनकी समस्त राजनीति यही बताती है कि विपक्ष का काम केवल सरकार को कोसना और उस पर लांछन लगाना है। क्या कांग्रेस जब तक सत्ता में नहीं आती, तब तक वह केवल आरोप ही लगाती रहेगी? क्या सबसे बड़े विपक्षी दल के तौर पर उसकी यह जिम्मेदारी नहीं कि वह उन समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा करे, जिन्हें लेकर सरकार को घेरती रहती है?

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