नागरिकता संशोधन कानून पर राजनीतिक नासमझी उजागर करता कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी ने यह तो स्वीकार किया कि असम में अवैध आव्रजन एक मसला है लेकिन वह यह नहीं बता सके कि इस मसले को कैसे सुलझाया जा सकता है? इससे यही पता चलता है कि कांग्रेस किस तरह समस्याओं को टालने और लटकाने का काम करती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 01:05 AM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 01:05 AM (IST)
नागरिकता संशोधन कानून पर राजनीतिक नासमझी उजागर करता कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने कहा कि असम में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं होने देंगे।

असम की यात्रा पर गए राहुल गांधी ने एक जनसभा में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जो कुछ कहा, उससे एक बार फिर उनकी राजनीतिक नासमझी उजागर हुई। उन्होंने कहा कि यदि असम में कांग्रेस की सरकार बनी तो राज्य में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं होने देंगे। यह संभव नहीं, क्योंकि नागरिकता प्रदान करने का अधिकार राज्यों के पास है ही नहीं। यह केंद्रीय सत्ता के अधिकार वाला विषय है। राहुल गांधी के बयान ने उन भाजपा विरोधी और खासकर कांग्रेस के शासन वाली राज्य सरकारों की याद दिला दी, जिन्होंने कुछ समय पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर सस्ती राजनीति का परिचय दिया था। यह सही है कि असम में कुछ लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं, लेकिन कम से कम राहुल गांधी को तो इससे परिचित होना चाहिए कि इस राज्य में बांग्लादेश से आए लाखों लोग रह रहे हैं। क्या राहुल गांधी यह चाहते हैं कि ये लाखों लोग अनिश्चितता के भंवर में पड़े रहें? आखिर इनके भविष्य का निर्धारण क्यों नहीं किया जाना चाहिए? इस सवाल के संदर्भ में यह स्मरण करना आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आए हजारों लोग कांग्रेस की उदासीनता और अनदेखी के कारण ही दशकों तक बुनियादी नागरिक अधिकारों से वंचित रहे। यदि अनुच्छेद 370 और 35-ए नहीं हटाया जाता तो शायद ये लोग अभी भी उपेक्षा का शिकार बने रहते।

राहुल गांधी ने यह तो स्वीकार किया कि असम में अवैध आव्रजन एक मसला है, लेकिन वह यह नहीं बता सके कि इस मसले को कैसे सुलझाया जा सकता है? इससे यही पता चलता है कि कांग्रेस किस तरह समस्याओं को टालने और लटकाने का काम करती है। यह एक तथ्य है कि यदि असम अवैध आव्रजन की समस्या से दो-चार है तो कांग्रेस के कारण ही। असम में राहुल गांधी ने हम दो-हमारे दो वाला जुमला भी उछाला और उद्योगपतियों को खलनायक की तरह पेश करने के क्रम में यह भी कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को देश के दो बड़े व्यवसायियों को बेचा जा रहा है। इस तरह की अनर्गल बातों से यही लगता है कि राहुल ने उद्योगपतियों को बदनाम करने के साथ ही यह भी ठान लिया है कि वह उद्यमशीलता को नष्ट करके रहेंगे। उद्योग जगत के प्रति उनका घोर नकारात्मक रवैया देश को उसी दयनीय दशा में ले जाने वाला है, जहां से उसे नरसिंह राव और मनमोहन सिंह ने निकाला था। यदि राहुल गांधी इस प्रतिगामी विचार से ग्रस्त हैं कि सब कुछ सरकार को ही करना चाहिए तो फिर बेहतर होगा कि वह कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में उद्योग-धंधे चलाकर दिखा दें।

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