राहुल गांधी की राजनीति झूठ पर टिकी होने से कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही, पार्टी अपना रुख-रवैया बदलने को तैयार नहीं

राहुल गांधी क्षुद्र राजनीति से केवल कांग्रेस का बेड़ा ही गर्क नहीं कर रहे बल्कि राजनीतिक विमर्श का स्तर भी गिरा रहे हैं। इसमें संदेह है कि जी-23 गुट राहुल और उनके ही हिसाब से चल रही कांग्रेस को सुधार की राह पर ला सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:44 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:44 PM (IST)
राहुल गांधी की राजनीति झूठ पर टिकी होने से कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही, पार्टी अपना रुख-रवैया बदलने को तैयार नहीं
जम्मू में जुटे कांग्रेस के जी-23 गुट के नेता। कांग्रेस नेतृत्व सवालों का समाधान करने को तैयार नहीं।

जम्मू में जुटे कांग्रेस के जी-23 गुट के नेताओं ने भले ही अपने आयोजन को शांति सम्मेलन की संज्ञा दी हो, लेकिन इसके जरिये उन्होंने अपने असंतोष को ही प्रकट किया। उन्हें यह कदम शायद इसलिए उठाना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व उन सवालों का समाधान करने को तैयार नहीं, जो उन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर उठाए थे। जी-23 गुट के नेताओं की ओर से गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में नए सिरे से अपने तेवर दिखाए जाने के बाद भी यदि कांग्रेस अपना रुख-रवैया बदलने को तैयार नहीं होती तो इसका मतलब होगा कि वह सच स्वीकार करने को तैयार नहीं। जैसे इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है, वैसे ही इससे भी नहीं कि इसकी बड़ी वजह राहुल गांधी हैं, जो पर्दे के पीछे से मनमाने तरीके से पार्टी को संचालित कर रहे हैं। उनकी समस्त राजनीति झूठ पर टिकी है और उसका एकमात्र मकसद प्रधानमंत्री मोदी को नीचा दिखाना है।

हालांकि राहुल गांधी के झूठ उन पर ही भारी पड़ते हैं, लेकिन वह सबक सीखने को तैयार नहीं। राफेल सौदे को तूल देकर उन्होंने झूठ की जो राजनीति की, उसके बुरे नतीजे पिछले लोकसभा चुनाव में खुद उन्हें भी भुगतने पड़े और कांग्रेस को भी। मुश्किल यह है कि वह अपनी फजीहत होने के बाद भी झूठ की राजनीति जारी रखते हैं। बीते दिनों पुडुचेरी में उन्होंने यह झूठ उछाला कि देश के पास मछुआरों के लिए कोई मंत्रालय ही नहीं है। उनके इस झूठ की पोल खुद इस मंत्रालय के मंत्री ने खोली, फिर भी वह उसे दोहराने से बाज नहीं आए। वह केवल झूठ पर टिके ही नहीं रहते, बल्कि बेतुके जुमले भी उछालते हैं। कांग्रेस का मर्ज बन गए राहुल गांधी इन दिनों हम दो हमारे दो जुमले को पकड़े हुए हैं। वह यह साबित करने पर तुले हैं कि मोदी सरकार चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। क्या ऐसा कुछ है कि इन उद्योगपतियों ने मई 2014 के बाद ही अपना औद्योगिक साम्राज्य खड़ा किया? वह केवल ऐसे सवालों से कन्नी ही नहीं काटते, बल्कि अपने आरोपों के संदर्भ में कोई प्रमाण पेश करने से भी इन्कार करते हैं। लद्दाख में चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा, लेकिन राहुल गांधी यही रट लगाए हैं कि भारत ने चीन को अपनी जमीन दे दी। वह इस तरह की क्षुद्र राजनीति से केवल कांग्रेस का बेड़ा ही गर्क नहीं कर रहे, बल्कि राजनीतिक विमर्श का स्तर भी गिरा रहे हैं। इसमें संदेह है कि जी-23 गुट राहुल और उनके ही हिसाब से चल रही कांग्रेस को सुधार की राह पर ला सकते हैं।

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