पंजाब कांग्रेस का झगड़ा: कांग्रेस आलाकमान अमरिंदर सिंह के पर कतर कर सिद्धू को पुरस्कृत करने के लिए बेचैन

एक महीने से पंजाब कांग्रेस में जिस तरह सिर फुटौव्वल जारी है वह कोई शुभ संकेत नहीं। इस सिर फुटौव्वल से विपक्षी दल उत्साहित हों तो हैरत नहीं क्योंकि उन्हें यही संदेश मिल रहा है कि कांग्रेस आलाकमान अमरिंदर सिंह के पर कतरने पर तुला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 08:40 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 12:18 AM (IST)
पंजाब कांग्रेस का झगड़ा: कांग्रेस आलाकमान अमरिंदर सिंह के पर कतर कर सिद्धू को पुरस्कृत करने के लिए बेचैन
कांग्रेस को पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी चाहिए, वह आपसी झगड़े में उलझी हुई है।

यह अजीब है कि कांग्रेस को जब पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी चाहिए, तब वह आपसी झगड़े में उलझी हुई है। यह झगड़ा इसीलिए बढ़ता जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार किन्हीं कारणों से नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में स्थापित करने के लिए आमादा है और वह भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मर्जी के बगैर। यदि मुख्यमंत्री के न चाहने के बाद भी नवजोत सिंह राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बना दिए जाते हैं तो इससे पार्टी में रार और बढ़ेगी ही। इसका बुरा असर चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के लिए पंजाब उत्तर भारत के चुनिंदा गढ़ों में से एक है। यदि कलह के कारण कांग्रेस इस राज्य में कमजोर होती है तो इसका दोष पार्टी नेतृत्व के सिर ही जाएगा। समझना कठिन है कि कांग्रेस नेतृत्व चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर क्या हासिल करना चाहता है? क्या उसे अमरिंदर सिंह की लोकप्रियता पर संदेह है या फिर यह स्मरण नहीं रहा कि पिछली बार पार्टी ने उन्हीं के बलबूते जीत हासिल की थी? सवाल यह भी है कि जब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ अपना काम कर रहे हैं, तब पार्टी को नए अध्यक्ष की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है?

यह ठीक है कि नवजोत सिंह सिद्धू बातों के धनी हैं और अपने मसखरेपन से भीड़ को आकर्षित कर लेते हैं, लेकिन उनके पास संगठन या सरकार का कोई खास अनुभव नहीं है। यदि उन्हें कोई बड़ा पद हासिल कर लोगों की सेवा करने की इतनी ही फिक्र है तो फिर उन्होंने मंत्री पद क्यों छोड़ा था? कांग्रेस नेतृत्व चाहे जिस कारण नवजोत सिंह को अहमियत दे रहा हो, वह अमरिंदर सिंह से बड़े नेता नहीं हैं। नि:संदेह यह भी नहीं कहा जा सकता कि उनके बगैर कांग्रेस मजबूती से चुनाव नहीं लड़ पाएगी। यह विडंबना ही है कि जिस पहल से कांग्रेस में उठापटक बेलगाम होने का अंदेशा है, उसे पार्टी को मजबूत करने वाले कदम के तौर पर रेखांकित किया जा रहा है? सबसे विचित्र बात यह है कि राहुल गांधी एक ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सोच वालों को पार्टी छोड़कर जाने की सलाह दे रहे हैं और दूसरी ओर भाजपा से कांग्रेस में आए नवजोत सिंह को पुरस्कृत करने के लिए बेचैन हैं। इस बेचैनी का कारण जो भी हो, पिछले लगभग एक महीने से पंजाब कांग्रेस में जिस तरह सिर फुटौव्वल जारी है, वह कोई शुभ संकेत नहीं। इस सिर फुटौव्वल से विपक्षी दल उत्साहित हों तो हैरत नहीं, क्योंकि उन्हें यही संदेश मिल रहा है कि कांग्रेस आलाकमान अमरिंदर सिंह के पर कतरने पर तुला है।

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