टीकाकरण में बदलाव: पीएम ने राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण पर सस्ती राजनीति पर लगाया विराम

प्रधानमंत्री का संबोधन केवल टीकाकरण की समस्याओं का समाधान करने वाला ही नहीं उन गरीबों को भी राहत देने वाला है जो इस संशय से ग्रस्त थे कि उन्हें मुफ्त अनाज कब तक मिलेगा क्योंकि यह स्प्ष्ट हो गया कि अब यह दीपावली तक मिलेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 08:55 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 12:18 AM (IST)
टीकाकरण में बदलाव: पीएम ने राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण पर सस्ती राजनीति पर लगाया विराम
21 जून से राज्य सरकारों को टीका खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाएगी।

राष्ट्र के नाम संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट करके राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण को लेकर हो रही सस्ती राजनीति पर भी विराम लगाने का काम किया कि दो सप्ताह बाद यानी 21 जून से राज्य सरकारों को टीका खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाएगी। ज्ञात हो कि अभी तक टीका निर्माताओं से कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार, 25 प्रतिशत राज्य सरकारें और शेष 25 प्रतिशत निजी अस्पताल खरीद रहे थे। अब राज्यों के 25 प्रतिशत हिस्से की खरीद भी केंद्र ही करेगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ कि राज्यों के हिस्से की 25 प्रतिशत खरीद किस दाम पर होगी, लेकिन इसे लेकर किसी को और खासकर राज्यों को सिर खपाने की जरूरत नहीं, क्योंकि अब उन्हें केंद्र से ये अतिरिक्त 25 प्रतिशत टीके भी मुफ्त ही मिलेंगे। चूंकि अब केंद्र और राज्यों के लिए टीके के अलग-अलग दाम का कोई सवाल नहीं रह गया है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट की आपत्तियां भी खत्म हो जाएंगी। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद टीका खरीद को लेकर उपजे भ्रम के माहौल और राज्यों की शिकायतों का भी समाधान हो जाना चाहिए। ये शिकायतें राजनीति प्रेरित अधिक थीं, इसकी ओर संकेत करके प्रधानमंत्री ने यह रेखांकित करके सही किया कि राज्य अब सारा ध्यान टीकाकरण पर लगाएं। उन्हें ऐसा करना भी चाहिए, क्योंकि कई राज्य ज्यादा से ज्यादा टीका लगाने पर ध्यान देने और उनकी बर्बादी रोकने के बजाय इस पर ध्यान केंद्रित किए हुए थे कि टीकाकरण नीति को लेकर केंद्र को कैसे कठघरे में खड़ा किया जाए?

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कई राज्यों ने पहले खुद टीका खरीदने की पहल की और फिर यह मांग करने लगे कि केंद्र ही टीका खरीदकर उन्हें उपलब्ध कराए। देर से ही सही, उन्हें समझ आ गया कि मौजूदा माहौल में टीके खरीदना उनके बस की बात नहीं। यद्यपि प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा, उससे टीकाकरण को लेकर होने वाली सतही राजनीति के लिए गुंजाइश नहीं बची है, लेकिन कुछ विपक्षी दल और खासकर कांग्रेस अभी भी बाल की खाल निकालती दिखे तो हैरानी नहीं। जो भी हो, अब जब प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि जल्द ही और कंपनियों के टीके उपलब्ध होने वाले हैं, तब फिर टीकाकरण नीति को लेकर शोर मचाने का काम बंद होना चाहिए। यह अच्छा है कि प्रधानमंत्री का संबोधन केवल टीकाकरण की समस्याओं का समाधान करने वाला ही नहीं, उन गरीबों को भी राहत देने वाला है, जो इस संशय से ग्रस्त थे कि उन्हें मुफ्त अनाज कब तक मिलेगा, क्योंकि यह स्प्ष्ट हो गया कि अब यह दीपावली तक मिलेगा।

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