टीकाकरण का बड़ा अभियान: कोविड रोधी टीकों की उपलब्धता बढ़ाने की तैयारी युद्धस्तर पर करने की जरूरत

चिंता की बात यह है कि तमाम सख्ती के बावजूद लोगों की ओर से लापरवाही का परिचय देने का सिलसिला अभी भी कायम है। कोरोना से डरने की जरूरत नहीं तो इसका यह मतलब नहीं कि उससे सावधान भी नहीं रहना।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 02:12 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 02:12 AM (IST)
टीकाकरण का बड़ा अभियान: कोविड रोधी टीकों की उपलब्धता बढ़ाने की तैयारी युद्धस्तर पर करने की जरूरत
दस दिन बाद से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण का अभियान प्रारंभ।

कोविड रोधी टीकों की उपलब्धता बढ़ाने की तैयारी स्वाभाविक ही है, लेकिन यह तैयारी युद्धस्तर पर करने की जरूरत होगी, क्योंकि अगले माह यानी करीब दस दिन बाद से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण का अभियान प्रारंभ होने जा रहा है। अभी तक केवल 45 साल से ऊपर की आयु वालों का ही टीकाकरण हो रहा है। जब इस अभियान के दायरे में 18 साल से अधिक आयु वाले भी शामिल हो जाएंगे तो टीके के लिए पात्र आबादी बहुत अधिक बढ़ जाएगी, क्योंकि इस आयु वर्ग की जनसंख्या कहीं अधिक है। 18 साल से अधिक आयु वालों के टीकाकरण का फैसला भारत की बढ़ती क्षमता का परिचायक तो है ही, इस बात का प्रतीक भी है कि सरकार कोरोना काल की चुनौतियों का सामना करने के लिए कमर कसे हुए है। यह कहा जा सकता है कि 18 साल से अधिक आयु वालों को टीकाकरण के दायरे में लाने का फैसला कुछ देर से लिया गया, लेकिन इस देरी के पीछे के कारणों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। यह समझने के लिए किसी को विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं कि यदि पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध होते तो ऐसा कोई फैसला पहले लेने में देर नहीं की जाती। यदि आने वाले दिनों में कहीं अधिक मात्रा में टीके उपलब्ध होने जा रहे हैं तो इसके लिए सरकार की सक्रियता के साथ भारतीय फार्मा उद्योग की ताकत भी है। इस उद्योग के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी क्षमता और अधिक बढ़ाए तथा टीके के निर्माण में काम आने वाले कच्चे माल की उपलब्धता के लिए विदेशी निर्भरता घटाए।

यह अच्छा हुआ कि 18 वर्ष से अधिक आयु वालों के टीकाकरण अभियान की घोषणा करते हुए यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया कि आयातित टीकों की मनमानी कीमत नहीं वसूली जा सकेगी और घरेलू कंपनियों के टीके खुले बाजार में निर्यात कीमत पर बिक सकते हैं। उम्मीद की जाती है कि इन उपायों से टीकाकरण के अगले चरण के अभियान को सुगमता से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन इसी के साथ ऐसे कदम उठाए जाने की भी जरूरत बनी हुई है, जिससे कोरोना के बढ़ते संक्रमण को थामा जा सके। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि तमाम सतर्कता और यहां तक कि लॉकडाउन जैसे फैसले लिए जाने के बावजूद संक्रमण की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। चिंता की बात यह है कि तमाम सख्ती के बावजूद लोगों की ओर से लापरवाही का परिचय देने का सिलसिला अभी भी कायम है। कोरोना से डरने की जरूरत नहीं तो इसका यह मतलब नहीं कि उससे सावधान भी नहीं रहना।

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