टीकों की उपलब्धता: कोविड रोधी टीका लगाने की मांग तेज होने के चलते देश में टीकों का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत

आज की आवश्यकता तो यही है कि जितनी जल्दी संभव हो ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगे। यह भी जरूरी है कि लोग कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतें। विदेश में भी भारत में बनाए जा रहे टीकों की मांग बढ़ रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 09:51 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 12:47 AM (IST)
टीकों की उपलब्धता: कोविड रोधी टीका लगाने की मांग तेज होने के चलते देश में टीकों का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत
देश में पर्याप्त संख्या में टीकों का उत्पादन हो।

एक ऐसे समय जब 45 वर्ष से कम आयु वालों को भी कोविड रोधी टीका लगाने की मांग तेज होने के साथ टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की भी आवश्यकता है, तब पर्याप्त संख्या में टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उपाय किए जाने चाहिए। ऐसे उपाय इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि कोविशील्ड टीके का उत्पादन करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला यह कह रहे हैं कि टीका उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए तीन हजार करोड़ रुपये की दरकार है। उन पर टीका उत्पादन की क्षमता बढ़ाने का दबाव पहले से है, क्योंकि इस टीके का निर्माण करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका को यह शिकायत है कि सीरम इंस्टीट्यूट वांछित संख्या में टीके की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। ऐसे में भारत सरकार को यह देखना ही चाहिए कि इस इंस्टीट्यूट के साथ कोवैक्सीन नामक टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक भी कम समय में ज्यादा टीकों का उत्पादन करने में समर्थ हो। इस पर इसलिए भी ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि देश के साथ विदेश में भी भारत में बनाए जा रहे टीकों की मांग बढ़ रही है।

भारत ने प्रारंभ में जिस तरह तमाम देशों को टीके उपलब्ध कराए, उससे दुनिया की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इन उम्मीदों को पूरा करने के साथ भारत अपनी घरेलू जरूरतों को तभी सही तरह पूरी कर सकता है, जब देश में पर्याप्त संख्या में टीकों का उत्पादन हो। इसके लिए रूस में बने स्पुतनिक नामक टीके के साथ अन्य टीकों का भी भारत में जल्द उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जानी चाहिए। यह ठीक है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीकों की कमी संबंधी कुछ राज्यों के बयानों को खारिज किया, लेकिन इससे इन्कार नहीं कि उनका उत्पादन बढ़ाने की जरूरत तो है ही। यदि ऐसा हो सके तो किशोरों को न सही, 20 साल के ऊपर के लोगों को तो टीका लगाने का काम शुरू ही हो सकता है। इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस की जा रही है, क्योंकि एक तो अब अपेक्षाकृत कम आयु वाले कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं और दूसरे, कुछ देश अपनी युवा आबादी का भी टीकाकरण कर रहे हैं। तथ्य यह भी है कि दुनिया के कई देश जहां 40-50 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर चुके हैं, वहीं भारत अभी 10 प्रतिशत के आंकड़े को भी नहीं छू सका है। बड़ी आबादी वाला देश होने के नाते ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन आज की आवश्यकता तो यही है कि जितनी जल्दी संभव हो, ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगे। नि:संदेह इसके साथ यह भी जरूरी है कि लोग कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतें।

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