भारतीय सेना की कठोर कार्रवाई से पाक की बौखलाहट तो बढ़ी, लेकिन भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा

पाकिस्तान आतंकी संगठनों के सहारे भारत के खिलाफ छेड़े गए छद्म युद्ध को जरूरत से ज्यादा लंबा खींच रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 11:16 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 12:16 AM (IST)
भारतीय सेना की कठोर कार्रवाई से पाक की बौखलाहट तो बढ़ी, लेकिन  भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा
भारतीय सेना की कठोर कार्रवाई से पाक की बौखलाहट तो बढ़ी, लेकिन भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा

पाकिस्तानी सेना की ओर से आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए संघर्ष विराम का उल्लंघन किए जाने से उकताई भारतीय सेना ने जो कठोर कार्रवाई की उससे पाकिस्तान जरूरी सबक सीखते हुए दिखना चाहिए। वास्तव में अब यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि पाकिस्तान रह-रह कर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने से बाज आए। यह अच्छी बात है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए सीमा पार के आतंकी ठिकानों को भी निशाना बनाया, लेकिन अगर बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक के बाद गुलाम कश्मीर से हटाए गए आतंकी शिविर फिर से वहां कायम हो गए हैं तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान की जिहादी सोच ने नए सिरे से सिर उठा लिया है। इसकी एक बड़ी वजह जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त करने का भारत सरकार का फैसला हो सकता है।

भारत के इस साहसिक फैसले के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़ी है। वह घरेलू मंचों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। इसका कोई उपचार नहीं नजर आता, लेकिन कम से कम अब तो ऐसे उपाय किए ही जाने चाहिए कि पाकिस्तान संघर्ष विराम का उल्लंघन कर भारत को नुकसान पहुंचाने से तौबा करे।

इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि सीमा पर पाकिस्तानी सेना की ओर से की जाने वाली गोलाबारी से कभी हमारे जवान क्षति उठाते हैं तो कभी सीमावर्ती इलाकों में रह रहे आम नागरिक। गत दिवस ही तंगधार सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई उकसावे वाली गोलाबारी में हमारी सेना के साथ नागरिक आबादी को क्षति उठानी पड़ी। आखिर यह सिलसिला कब थमेगा? यह वह सवाल है जिस पर सेना के साथ-साथ सरकार को भी गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा। इस सवाल पर विचार करना इसलिए आवश्यक हो गया है, क्योंकि फिलहाल इसकी सूरत नहीं नजर आती कि पाकिस्तान भारत को नीचा दिखाने की अपनी कुत्सित सोच का परित्याग करेगा।

पाकिस्तान आतंकी संगठनों के सहारे भारत के खिलाफ छेड़े गए छद्म युद्ध को जरूरत से ज्यादा लंबा खींच रहा है। जब दुनिया भर के देश अपने बुनियादी ढांचे पर निवेश करने में लगे हुए है तब पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आतंकी ढांचे पर निवेश करने में लगा हुआ है। वह शायद ऐसा तब तक करता रहेगा जब तक उसे इसकी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। भारत की किसी सैन्य कार्रवाई में अपने आतंकियों के मारे जाने से पाकिस्तान की सेहत पर असर इसलिए नहीं पड़ता, क्योंकि उसकी धरती पर उन्हें तैयार करने वाले मदरसे बढ़ते ही जा रहे हैं। स्पष्ट है कि भारत को यह देखना ही होगा कि पाकिस्तान उसकी कार्रवाई से हमेशा के लिए सबक सीखे।

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