युवाओं को बनाना होगा नौकरी और जीवन में संतुलन, जीवन को दीजिए संघर्ष और विरोध की वैक्‍सीन

जीवन में कई बार हम जल्दबाजी के कारण गति की उपेक्षा कर देते हैं। जल्दी पाना है इसका अर्थ जीवन की कीमत पर पाना नहीं है। इसलिए जरूरी है कि हमें पता हो कि नौकरी बनाए रखने नये अवसर की तलाश में अपने जीवन से कहां तक समझौते करने हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 07:40 PM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 07:40 PM (IST)
युवाओं को बनाना होगा नौकरी  और जीवन में संतुलन, जीवन को दीजिए संघर्ष और विरोध की वैक्‍सीन
संकट उतने बड़े होते नहीं, जितने संवाद, बातचीत नहीं करने से होते जाते हैं।

दयाशंकर मिश्र। हम मन की ओर से इतने लापरवाह रहते हैं कि उस पर होने वाले संक्रमण की ओर ध्यान बहुत देरी से जाता है। नदी-तालाब  के किनारे जमी काई से हम बच जाते हैं, क्योंकि वह सरलता से दिख जाती है  लेकिन मन पर जमने वाली काई इतने  धीरे जमती है कि उसे पहचानने के लिए हमारे समीप प्रेम, स्नेह से भरे मन का होना जरूरी है। जिस तरह गाड़ी की सर्विसिंग नियमित रूप से कराते हैं, जिससे उसका लुब्रिकेशन (चिकनाहट) बनी रहे, उसी तरह हमारा मन भी है। मन का स्नेहन भी सबसे जरूरी है।

नौकरी, करियर के सिलसिले में घर से दूर रह रहे युवाओं में नौकरी और जीवन के बीच तालमेल घटता जा रहा है। कई बार हम नौकरी में इतने डूब जाते हैं कि रिश्तों के लिए समय नहीं दे पाते तो कई बार रिश्तों में ऐसे उलझते हैं कि शानदार नौकरी को संभालना मुश्किल हो जाता है। इसे ही हम बोलचाल के शब्दों में ‘नौकरी और जीवन में संतुलन’ कहते हैं। 

मन में आने वाली चिंता को समय रहते समाधान देना है, नहीं तो वह मन में जमती जाएगी। चिंता का जमना, शरीर में खराब पानी के जमने जैसा है। इसलिए बात करें। संवाद हर हाल में जरूरी है। यह चिंता और घबराहट को मन में ठहरने नहीं देता है। संकट उतने बड़े होते नहीं, जितने संवाद, बातचीत नहीं करने से होते जाते हैं। घर- परिवार का कोई सदस्य/ साथी, दोस्त अपने  स्वभाव से अलग जाकर व्यवहार कर रहा है, तो उसे अनदेखा मत कीजिए। संवाद, दिल खोलकर बात करना मन को मजबूत बनाने की दिशा में पहला कदम है। हम डरते हैं कि लोग क्या कहेंगे। भारत में तो सबसे बड़ा रोग यही है कि लोग क्या कहेंगे। इस बारे में एक अनुभव आपसे साझा करता हूं। कुछ समय पहले दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले युवा मिलने आए। उम्र पैंतीस बरस, आकर्षक व्यक्तित्व और पैकेज। लेकिन उनको एक ऐसी बीमारी है, जो आम तौर पर बहुत अधिक नशे के सेवन से होती है। जीवन गहरे संकट में है। उन्होंने बताया, मैं दिल्ली में नया था, मुझे यहां पहचान बनानी थी। मैं चाहता था लोग मुझे जानें। इससे तरक्की के रास्ते खुलेंगे।

यहां से अंतहीन दावतों, नशे के सिलसिले शुरू हो गए। अब दोनों किडनी जवाब दे चुकी है। जीवन में कई बार हम जल्दबाजी के कारण गति की उपेक्षा कर देते हैं। जल्दी पाना है, इसका अर्थ जीवन की कीमत  पर पाना नहीं है। इसलिए जरूरी है कि हमें पता हो कि नौकरी बनाए रखने, नये अवसर की तलाश में अपने जीवन से कहां तक समझौते करने हैं। कहां, बॉस को न बोलना और कैसे बोलना है।

दुनिया में अब तक जो भी सफल लोग हैं, उनके जीवन की संजीवनी यही है, विरोध सहने की क्षमता। इस शक्ति का हमारे भीतर होना हमें दुनिया के सभी संकटों से बचा सकता है। विश्व विजेता सिकंदर, सम्राट अशोक से लेकर रतन टाटा, स्टीव जॉब्स, जुकरबर्ग, एलन मस्क तक की यात्रा का सारांश यही है। हम नये रास्तों पर चलने के लिए कितना विरोध, संघर्ष सह सकते हैं। बिना आलोचना सहे, आगे बढ़ना संभव नहीं। इसलिए जीवन को संघर्ष और विरोध का वैक्सीन दीजिए। संघर्ष के लिए खुद को तैयार करें।

(लेखक प्रेरक किताब ‘जीवन संवाद’ के लेखक हैं, जो वेब सीरीज के रूप में भी है)

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