कोरोना टीकाकरण का क्रांतिकारी अभियान, भारत ने कायम की बड़ी मिसाल

भारतीय विज्ञानियों और एजेंसियों ने रिकार्ड अवधि के भीतर कोविड-19 रोधी टीके विकसित करने के लिए भौतिक और तकनीकी सीमाओं से आगे जाकर काम किया और 16 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री ने भारत में निर्मित दो कोविड-19 टीके पेश करके दुनिया का सबसे बड़ा वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया।

By TilakrajEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 08:54 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 08:54 AM (IST)
कोरोना टीकाकरण का क्रांतिकारी अभियान, भारत ने कायम की बड़ी मिसाल
भारत ने कोविड-19 के टीकों की 75 करोड़ से अधिक खुराकें दे दी हैं

मनसुख मांडविया। विदेशी शासन से स्वतंत्र होने के सात दशक बाद हम एक अलग तरह की आजादी की तलाश कर रहे हैं। इस बार देश एक अदृश्य आक्रमणकारी वायरस से मुक्ति चाहता है, जो पिछले 20 महीनों से देश को तबाह करने पर तुला है। इस घातक वायरस के बारे में हम जो जानते हैं, उसके आधार पर दो रणनीतियां अपनाकर हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक प्रशासनिक स्तर पर जांच-निगरानी-उपचार (टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट) और टीकाकरण रणनीति का पालन करना और दूसरा सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से कोविड-उपयुक्त व्यवहार के पालन को प्रोत्साहित करना।

हालांकि, इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए हमें इसके खिलाफ एक स्थायी प्रतिरक्षा की जरूरत थी। भारतीय विज्ञानियों और एजेंसियों ने रिकार्ड अवधि के भीतर कोविड-19 रोधी टीके विकसित करने के लिए भौतिक और तकनीकी सीमाओं से आगे जाकर काम किया और 16 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री ने भारत में निर्मित दो कोविड-19 टीके पेश करके दुनिया का सबसे बड़ा वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया। कोविड-19 टीकों की वैश्विक शुरुआत के कुछ ही सप्ताह के भीतर भारत निर्मित टीकों की शुरुआत को भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य इतिहास में एक उत्साहपूर्ण अभियान के रूप में देखा जा सकता है। हमें मिशन मोड में स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना के निर्माण का दुर्लभ अवसर मिला, जो वर्तमान के गंभीर संकट की तरह भविष्य के खतरों के खिलाफ मुकाबले के लिए हमें मजबूत बनाने के अलावा और भी कई अन्य कार्य करेगा।

देश मार्च 2020 से, जब कुछ शुरुआती कोविड मामलों का पता चला था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने संसाधनों का निवेश कर रहा है। इसके साथ ही वैक्सीन अनुसंधान और विकास के लिए उद्यमी अनुकूल परिवेश तथा नई निदान तकनीकों के विकास के साथ-साथ उपचार के नए तौर-तरीके भी स्थापित किए गए। मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत नए वैक्सीन प्लेटफार्म और उत्पाद विकास के अनुसंधान के लिए स्टार्ट-अप बायोटेक इकाइयों को तथा विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए स्थापित वैक्सीन निर्माताओं को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए विशेष और सक्रिय प्रयास किए गए। परिणामस्वरूप एक वर्ष से भी कम समय में टीकों का विकास, परीक्षण एवं अनुमोदन किया गया और एक राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कुछ ही महीनों के भीतर देश कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित होने वाले मास्क, पीपीई किट, परीक्षण उपकरणों आदि के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। कोविड के प्रति इन संवेदनशील उपायों ने कोविड-19 वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए एक उपयुक्त वातावरण तैयार किया।

वहीं, टीकाकरण की कवरेज में और तेजी लाने के उद्देश्य से देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी पात्र लाभार्थियों के लिए टीका नि:शुल्क करने के प्रधानमंत्री के निर्णय ने उच्चतम स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति एक मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। यहां यह उल्लेखनीय है कि कुछ ही महीनों में भारत ने कोविड-19 के टीकों की 75 करोड़ से अधिक खुराकें दे दी हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक हैं। इस समय, एक ही दिन में बड़ी तादाद में लाभार्थियों को कोविड के टीके लगाए जा रहे हैं। मेरा यह दृढ़ मत है कि लोगों की पूरे दिल से सक्रिय भागीदारी ने ही इस टीकाकरण कार्यक्रम को इतना सफल बनाया है।

कोविड-19 टीकाकरण अभियान, जिसका उद्देश्य इस साल के अंत तक देश की पूरी आबादी का टीकाकरण करना है, हमारे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम और स्वास्थ्य संबंधी अन्य पहलों को और अधिक बेहतरीन बनाने की दिशा में मूल्यवान सबक दे रहा है। आगे बढ़ता हुआ कोविड-19 टीकाकरण का यह कार्यक्रम हमारे नागरिकों को प्राथमिक स्वास्थ्य, पोषण, पानी और स्वच्छता संबंधी सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक कारगर प्रवेश द्वार बन सकता है। देश भर में हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से हुई वृद्धि से हमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की समान पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

हमारे स्वास्थ्य सेवा और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं ने कोविड-19 के टीकों की 75 करोड़ खुराक देने की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ काम किया है, जो कि ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के प्रति एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है। दुनिया का सबसे बड़ा वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम भी ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति भारत के दृढ़संकल्प को और मजबूत कर रहा है। आत्मनिर्भरता को निश्चित रूप से समावेशी होना चाहिए। आवश्यक प्रौद्योगिकी के लिए पूरक सहयोग को अवश्य अपनाना चाहिए और इसके साथ ही सभी क्षेत्रों और देशों में आवश्यक अंतर-निर्भरता से लाभान्वित होना चाहिए। टीका अनुसंधान एवं विकास और उत्पादन कार्य दरअसल राकेट विज्ञान और परमाणु कार्यक्रम जैसा ही है। इसमें अनगिनत विज्ञानी, विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता संबंधी आश्वासन प्रक्रियाएं शामिल हैं। अत: एक ऐसा अनुकूल परिवेश बनाने की सख्त आवश्यकता है जिसमें उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आवश्यक कच्चे माल सहित टीकों के उद्यम और घरेलू उत्पादन को व्यापक प्रोत्साहन मिले। यह सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास कार्यो में निरंतर रणनीतिक निवेश किया गया है, जिससे लक्ष्य को प्राप्त करने और उन्हें बनाए रखने के लिए आवश्यक समन्वय और नीतिगत सहयोग संभव हो पाया है।

क्रांतिकारी टीका कार्यक्रम और कोविड-19 के लिए निगरानी उपायों का भारत के टीकाकरण कार्यक्रम पर काफी लंबे समय तक अनुकूल असर पड़ेगा। वैश्विक महामारी ने हमें जीवन के महत्व को समझने और स्वास्थ्य सेवा पर तत्काल ध्यान देने के लिए बाध्य किया है। महामारी ने हमें यह भी सिखाया है कि अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को अत्यंत मजबूत बनाने के लिए हमारे पास अब प्रतीक्षा करने, प्रयोग करने और छोटे-छोटे कदम उठाने का समय नहीं है। इस दिशा में अब बड़ी छलांग लगाने का समय आ गया है और देश ऐसा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

(लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री हैं)

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