कानून के शासन की ऐसी-तैसी: सड़क पर कब्जे से लेकर सिर तन से जुदा करने की धमकियां सभ्य समाज को असुरक्षा का बोध कराती हैं

सिर तन से जुदा करने के एलान एलानिया कत्ल के माफिक ही हैं। ऐसे एलान तो किसी अपराधी के लिए भी स्वीकार्य नहीं। इस तरह के एलान समाज में सिहरन पैदा करने जंगलराज कायम हो जाने और कबीलाई युग की वापसी की मुनादी ही करते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 01:56 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 01:56 AM (IST)
कानून के शासन की ऐसी-तैसी: सड़क पर कब्जे से लेकर सिर तन से जुदा करने की धमकियां सभ्य समाज को असुरक्षा का बोध कराती हैं
रसूल के खिलाफ लगे आपत्तिजनक एवं भड़काऊ पोस्टर पर पुलिस ने की कार्रवाई।

[ राजीव सचान ]: आखिरकार वसीम रिजवी की कुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज हो गई। ऐसा ही होने के आसार थे। वसीम रिजवी की याचिका को फालतू करार देकर सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसे वह कब और कैसे चुकाएंगे, पता नहीं, लेकिन उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ सकती है, क्योंकि जैसे ही उनकी याचिका दाखिल होने की खबर आई, वैसे ही शिया और सुन्नी संगठनों की ओर से उनके खिलाफ फतवे जारी करने शुरू हो गए। मुरादाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमीरुल हसन जाफरी को इस सबसे संतोष नहीं हुआ। उन्होंने वसीम के सिर पर 11 लाख रुपये का इनाम रख दिया। उन्होंने बताया कि वह इस पैसे की व्यवस्था चंदा लेकर करेंगे और जरूरत पड़ी तो अपनी औलाद तक बेच देंगे।

रसूल के खिलाफ लगे आपत्तिजनक एवं भड़काऊ पोस्टर पर पुलिस ने की कार्रवाई 

बात-बात पर संविधान और लोकतंत्र की बात करने वाले असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन को फिर भी चैन नहीं मिला। उसकी कानपुर शाखा की ओर से सार्वजनिक तौर पर ऐसा पोस्टर लगाया गया, जिस पर लिखा था-गुस्ताखे रसूल की एक ही सजा, सिर तन से जुदा। पोस्टर में वसीम रिजवी के साथ स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती के कटे हुए सिर चित्रित किए गए थे। ओवैसी समर्थकों को कोई संशय न रहे, इसलिए पोस्टर में पार्टी का चुनाव चिन्ह पतंग भी शोभायमान था। कानून के शासन और सभ्य समाज को आतंकित करने वाला यह पोस्टर जब इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ, तब पुलिस ने उसे हटवाया और यह सूचना दी कि आपत्तिजनक एवं भड़काऊ पोस्टर लगाए जाने के संबंध में एक एफआइआर 153 ए, 295 ए के तहत दर्ज की गई है। विवेचना कर आरोपियों की पहचान की जा रही है। तदनुसार कार्रवाई की जाएगी। हो सकता है कि ऐसा ही हो। जो भी हो, इस पोस्टर में वसीम रिजवी के साथ स्वामी नरसिंहानंद का कटा सिर तलवार संग इसलिए चित्रित किया गया था, क्योंकि कुछ दिनों पहले उन्होंने मुहम्मद साहब के खिलाफ बयान दिए थे।

मुहम्मद साहब के खिलाफ बयान के चलते नरसिंहानंद का सिर तन से जुदा करने की मांग

नरसिंहानंद गाजियाबाद के डासना स्थित उस मंदिर के पुजारी हैं, जहां पर कथित तौर पर पानी पीने गए एक मुस्लिम किशोर की पिटाई कर दी गई थी। नरसिंहानंद तभी से चर्चा में हैं। मुहम्मद साहब के खिलाफ उनके बयान के बाद उनका भी सिर तन से जुदा करने की मांग तेज हुई, लेकिन सबसे पहले यह मांग दिल्ली से आम आदमी के पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान ने की। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि इस शख्स की जुबान और गर्दन काटकर सख्त सजा दी जानी चाहिए। इसी के साथ उन्होंने बड़ी चतुराई से यह भी जोड़ा था कि उनका विश्वास भारतीय संविधान में है और उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस नरसिंहानंद के नफरती बयान का संज्ञान लेगी। सबसे पहले ट्विटर ने इस आपत्तिजनक ट्वीट का संज्ञान लिया और उसे हटा दिया। कायदे से उनका अकाउंट रद होना चाहिए था, लेकिन ट्विटर से कोई उम्मीद करना व्यर्थ है, क्योंकि वह जितना दुराग्रही है उतना ही पक्षपाती भी।

दिल्ली के सीमांत इलाकों के मुख्य मार्ग महीनों से बाधित हैं, लेकिन पुलिस, सरकार लाचार

हालांकि अमानतुल्ला के ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने एक एफआइआर दर्ज कर ली है, लेकिन कुछ होने की उम्मीद कम ही है। अपने देश में ऐसा ही होता है। अराजक-उन्मादी तत्व जब-तब इसे या उसे धमकाते हैं अथवा घोर आपत्तिजनक बयान देते हैं, लेकिन पुलिस मुश्किल से ही कोई कार्रवाई करती है। आखिर यह तथ्य है कि दिल्ली पर चढ़ाई करने, इंडिया गेट पर हल चलाने, संसद में मंडी खोलने, फिर से बैरिकेड तोड़ने और सरकारी गोदाम ध्वस्त करने की खुलेआम धमकियां देने वाले राकेश टिकैत स्वच्छंद घूम रहे हैं। कोई नहीं जानता कि उनके समेत अन्य किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआइआर का क्या हुआ? नि:संदेह दोष केवल पुलिस का नहीं, क्योंकि वह तो वही करती है, जैसा शासन तंत्र उसे करने को कहता है। दिल्ली के सीमांत इलाकों के मुख्य मार्ग पिछले करीब चार महीने से बाधित हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा है-न पुलिस, न सरकार और न ही सुप्रीम कोर्ट। बीते एक वर्ष में सुप्रीम कोर्ट कम से कम तीन बार यह कह चुका है कि सड़कों पर कब्जा नहीं किया जा सकता, फिर भी उन पर कब्जा बरकरार है और अब तो उन पर घर भी बनाए जा रहे हैं। आखिर ऐसे आदेशों-निर्देशों का क्या मतलब जो सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे भी अमल में न लाए जा सकें?

नार्वे के पीएम पर पुलिस का जुर्माना, जन्मदिन की पार्टी में निर्धारित 10 के बजाय 13 लोग आए थे

अपने देश में कानून के शासन की ऐसी-तैसी करने वाली हरकतों के बीच नार्वे से यह खबर आई है कि वहां की प्रधानमंत्री पर पुलिस ने इसलिए जुर्माना लगा दिया, क्योंकि अपनी जन्मदिन की पार्टी में उन्होंने निर्धारित 10 के बजाय 13 लोग बुला लिए थे। भारत नार्वे जैसा नहीं है और फिलहाल वहां जैसी मुस्तैद पुलिस हमारे नसीब में नही, लेकिन उसे कानून के शासन की खुलेआम खिल्ली उड़ाने वालों के खिलाफ तो नख-शिख-दंत विहीन नहीं ही दिखना चाहिए। और कुछ न सही, उसे कम से कम एलानिया कत्ल की धमकियों पर तो सक्षम दिखना ही चाहिए।

सिर तन से जुदा करने वाले बयानों पर पुलिस को उचित कार्रवाई करनी चाहिए

सिर तन से जुदा करने के एलान एलानिया कत्ल के माफिक ही हैं। ऐसे एलान तो किसी अपराधी के लिए भी स्वीकार्य नहीं। इस तरह के एलान समाज में सिहरन पैदा करने, जंगलराज कायम हो जाने और कबीलाई युग की वापसी की मुनादी ही करते हैं। ऐसे एलान इसलिए गंभीर चिंता का कारण हैं, क्योंकि सबको पता है कि कमलेश तिवारी का क्या हश्र हुआ था? उनका सिर तन से जुदा करने का एलान हुआ और आखिरकार ऐसा ही हुआ। कोई कुछ नहीं कर सका-पुलिस भी नहीं। उनका उन्हीं के घर कत्ल कर दिया गया। स्वामी नरसिंहानंद को अंदेशा है कि उनके साथ वही हो सकता है, जो कमलेश तिवारी के साथ हुआ। यदि उनके साथ कुछ अनर्थ होता है तो कानून के शासन के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी बात होगी।

( लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडीटर हैं )

chat bot
आपका साथी