शराब कारोबार के राजस्व से ही सरकार की विकास योजनाओं को लगते हैं पंख, बढ़ रहा कारोबार
प्रदेश सरकारों के लिए शराब कारोबार से आने वाला राजस्व काफी अहम होता है। इन पैसों से ही सरकार विकास की योजनाओं को आकार देती हैं। साल दर साल शराब के कारोबार से राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है। यानी बिना ड्यूटी कर जमा किए जो सामान बाजार में आता है वह काफी सस्ता होता है।
गुरुग्राम, [आदित्य राज]। प्रदेश सरकारों के लिए शराब कारोबार से आने वाला राजस्व काफी अहम होता है। इन पैसों से ही सरकार विकास की योजनाओं को आकार देती हैं। साल दर साल शराब के कारोबार से राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन वास्तविकता यह भी है कि ग्राहक वहीं से सामान लेना पसंद करता है, जहां उसे सस्ता मिलता है।
और अपेक्षा से अधिक सस्ता सामान बाजार में तभी उपलब्ध होता है जब वह फैक्ट्री से सीधे बाजार में पहुंचे। यानी बिना ड्यूटी कर जमा किए जो सामान बाजार में आता है वह काफी सस्ता होता है। शराब तस्करी के पीछे मुख्य वजह यही है।
यह बात तो उन राज्यों की हुई जिनमें शराब बनाने, बेचने व खरीदने पर प्रतिबंध नहीं है। जिन राज्यों में शराब बनाने, बेचने व खरीदने पर प्रतिबंध है वहां शराब की मुंहमांगी कीमत दी जाती है। अधिक मुनाफे के लालच में तस्कर उन राज्यों में अधिक माल भेजते हैं जहां इस पर प्रतिबंध है। प्रतिबंधित राज्यों में 50 रुपये की बोतल 200 से 400 रुपये तक में बेची जाती है।
हरियाणा ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों से दिल्ली में शराब पहुंच रही है। अब सोचने वाली बात यह है कि सरकार में बैठे
लेकिन इसके लिए हरियाणा, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों को संयुक्त रूप से प्रयास करने होंगे। इससे स्थानीय स्तर की
जब तक सरकार में बैठे लोगों के साथ-साथ शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों के मालिक निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर नहीं सोचेंगे तब तक तस्करी पर रोक संभव नहीं है। फैक्ट्री संचालक अधिक कमाने के चक्कर में सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के साथ तस्करी को भी बढ़ावा दे रहे हैं।