मध्य प्रदेश 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव: राजनीतिक दलों में शह और मात का खेल जारी

एमपी में हो रहे उपचुनाव कोई साधारण उपचुनाव नहीं हैं। परिणाम बताएगा कि सत्ता पर भाजपा की पकड़ मजबूत होगी या कांग्रेस पुनर्वापसी करेगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की जमीनी पकड़ का भी पता चलेगा।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 12:31 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 12:31 PM (IST)
मध्य प्रदेश 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव: राजनीतिक दलों में शह और मात का खेल जारी
एमपी में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश [संजय मिश्र]। मध्य प्रदेश में इन दिनों 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में शह और मात का खेल जारी है। इन सीटों पर जो सफल होगा उसके ही हाथों में मध्य प्रदेश की कमान होगी, इसलिए राजनेता आम चुनावों की तरह हर मोर्चे पर जूझ रहे हैं। यही कारण है कि वे वैचारिक लड़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक लड़ाई पर भी बिना संकोच फोकस कर रहे हैं। गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं।

जुबानी जंग इतनी तेज हो गई है कि शब्दों की मर्यादा का ध्यान ही नहीं है। एक-दूसरे के लिए गलत शब्दों का प्रयोग तक किया जा रहा है। इस जंग में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। अब तक के चुनाव का जो नजारा सामने आया है, उसने मध्य प्रदेश की सियासत के बारे में कई प्रचलित धारणाओं को भी तोड़ा है। एक-दूसरे के प्रति उदार दिखते रहे बड़े नेता तक एक-दूसरे पर जुबानी हमले का मौका नहीं छोड़ना चाहते। नेताओं की इस जुबानी जंग के कारण ही उपचुनाव से विकास के मुद्दे गायब हो गए हैं।

माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनाव कोई साधारण उपचुनाव नहीं हैं। इसका परिणाम बताएगा कि सत्ता पर भाजपा की पकड़ मजबूत होगी या कांग्रेस सरकार में पुनर्वापसी करने में सफल होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की जमीनी पकड़ का भी पता चलेगा। यह भी तय होगा कि कमल नाथ के भरोसे राज्य में जमीन मजबूत करने का कांग्रेस का दांव कितना सफल होगा।

सर्वाधिक कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से रिक्त इन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। कांग्रेस भी इस गुमान में है कि पिछले चुनाव में जीती गई इन सीटों पर उसे जनता की सहानुभूति मिल सकेगी। कौन कितने पानी में है इसका फैसला मतदाताओं को करना है। वे टकटकी लगाकर दलों के वादे-इरादे देख-सुन रहे हैं। यह चुनाव राजनीतिक दलों के साथ-साथ नेताओं के भविष्य की दशा और दिशा भी तय करेगा, इसलिए कोई भी इसमें कमी नहीं छोड़ना चाहता है।

उपचुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच जुबानी जंग 15 साल बनाम 15 माह, कर्जमाफी जैसे मुद्दों तक सीमित थी। बाद में उपचुनाव का प्रचार जैसे-जैसे गति पकड़ता गया, नेताओं के बोल भी बिगड़ते गए। नेताओं में एक-दूसरे के प्रति निम्न स्तरीय भाषा का प्रयोग करने की होड़-सी लगी है। विवादित बयानों का पहला तीर मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने छोड़ा।

उन्होंने शिवराज को भूखा-नंगा कहते हुए कमल नाथ को देश में दूसरे नंबर का उद्योगपति बता दिया। इसको भाजपा ने अवसर की तरह लिया और हर चुनावी सभा में कांग्रेस के इस बयान का जवाब विभिन्न तरीके से दिया जा रहा है। अनेक उपमाएं गढ़ी जा रही हैं। कांग्रेस की ओर से शकुनि और कंस मामा जैसे जुमले भी उछाले गए हैं। शिवराज ने कमल नाथ को कठघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया कि मिस्टर 15 परसेंट किसे कहा जाता है।

इसी कड़ी में सर्वाधिक विवादित बयान पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शिवराज कैबिनेट की मंत्री इमरती देवी के बारे में दिया, जिसने देश भर में कांग्रेस की किरकिरी कराई। कमल नाथ जब बोल रहे थे तो उनके ही मंच पर खड़ी कांग्रेस की एक नेत्री ने अपना मुंह पल्लू से ढंक लिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री का बयान किसी महिला की गरिमा के प्रतिकूल था। भाजपा ने कमल नाथ के बयान पर तीखा प्रतिवाद किया। उसने इसे महिला और अनुसूचित जाति वर्ग के अपमान से जोड़कर चुनाव प्रचार की दिशा ही बदल दी। कांग्रेस बैकफुट पर आती दिखने लगी। उसके नेता राहुल गांधी तक को बयान देना पड़ा कि कमल नाथ के बयान से वह सहमत नहीं हैं। शिवराज सिंह चौहान ने तो पार्टी नेताओं के साथ मौनव्रत रखकर प्रतिवाद किया।

उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर न सिर्फ कमल नाथ की शिकायत की, बल्कि उनके कांग्रेस में बने रहने पर सवाल भी उठाया। बढ़ते विरोध के बीच आखिरकार कमल नाथ को नुकसान की आशंका सताने लगी। नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने अपने तरीके से खेद जताया, लेकिन अपनी बात को जायज ठहराने की कोशिश भी की। इसके बावजूद भाजपा ने कमल नाथ के इस विवादित बयान को अब भी बड़ा चुनावी मुद्दा बना रखा है। अपशब्दों की इस सियासत में महिला और बाल विकास मंत्री इमरती देवी भी पीछे नहीं रहीं। प्रतिक्रिया में उन्होंने कमल नाथ की दिवंगत मां और पत्नी पर अशोभनीय टिप्पणी कर दी।

इमरती देवी ने तो यह आरोप भी लगाया कि कमल नाथ अपनी सरकार में मंत्री नहीं बन पाए विधायकों को पांच लाख रुपये महीने देते थे। बदजुबानी करने में भाजपा नेता एवं मंत्री बिसाहूलाल सिंह भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी को लेकर अपशब्द कह दिए। संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने आगे आकर उनके बयान के लिए माफी मांगकर स्थिति को संभालने की कोशिश की। मतलब साफ है कि उपचुनाव में सफलता के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टयिां विकास के मुद्दों के बजाय आरोप-प्रत्यारोप को ही हवा दे रही हैं। (संपादक, नव दुनिया, भोपाल) 

chat bot
आपका साथी