Lockdown Violation In Bihar: सड़क पर निकली दो महीने से दबी बिहार की राजनीति

Lockdown Violation In Bihar जिस तरह शुक्रवार को सड़क पर फूट कर निकला है राजद का आक्रोश वह बताता है कि आगे आने वाले दिन खासे गरम रहने वाले हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 01:04 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 01:07 PM (IST)
Lockdown Violation In Bihar: सड़क पर निकली दो महीने से दबी बिहार की राजनीति
Lockdown Violation In Bihar: सड़क पर निकली दो महीने से दबी बिहार की राजनीति

पटना, आलोक मिश्रा। Lockdown Violation In Bihar: धीरे-धीरे मिलती छूट से बिहार में आर्थिक पहिया भले ही हौले-हौले घूमने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन लॉकडाउन-4 के खत्म होने से पहले ही शुक्रवार को राजनीति का पहिया झट से तीसरे गेयर में आ गया। दो महीने से कमरे के भीतर दबी राजनीति फूट पड़ी और सड़क पर आ गई। यह फूटी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर से। जिससे फिजिकल डिस्टेंसिंग के पढ़ाए जा रहे सारे पाठ बेमानी हो गए। भारी पुलिस बल, राजद विधायकों-कार्यकर्ताओं की भीड़, उसे कवर करने में जुटा मीडिया और यह सब जमावड़ा महज कुछ सौ गज के घेरे में। जिसमें दो के बीच दो गज की दूरी कुचली हुई थी। जो इशारा कर रही थी कि इस चुनावी साल में कोरोना के साथ कुछ इसी तरह जीना है बिहार को।

राबड़ी-तेजस्‍वी आवास के सामने जुटे नेता-कार्यकर्ता : बिहार में एक जिला है गोपालगंज, जो लालू-राबड़ी का पैतृक जिला है। वहां पिछले रविवार को एक राजनीतिक कार्यकर्ता जेपी यादव के घर पर हमला हुआ, जिसमें उनके माता-पिता व भाई मारे गए। इस मामले में जदयू विधायक अमरेंद्र पाण्डेय का नाम आया। दूसरे दिन अमरेंद्र के एक करीबी को मार दिया गया। जिससे यह हवा फैली कि यह तिहरे हत्याकांड का प्रतिशोध है। मामला गोपालगंज का था, इसलिए प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव उसे राजद कार्यकर्ता बता आगे आए और विधायक की गिरफ्तारी के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया कि यदि ऐसा न हुआ तो वे अपने विधायकों संग गोपालगंज कूच करेंगे। गुरुवार शाम को मियाद बीत गई तो शुक्रवार सुबह राबड़ी के घर गर्मी बढ़ गई। रोक के बावजूद कई जिले पार करते तमाम विधायक पटना पहुंच गए और कई अपने जिलों की सीमा पर रोक लिए गए। चेहरे पर मास्क पहने राबड़ी, तेजस्वी व तेजप्रताप गेट खोल बाहर निकले तो पुलिस रोकने को खड़ी थी। आक्रोश इतना कि आवाज देश भर में गूंज गई। फिजिकल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ीं, लेकिन कहा गया कि कार्यकर्ता मारे जा रहे हैं तो क्या हम जाएं नहीं?

फिजिकल डिस्‍टेंसिंग के नियम की उड़ गईं धज्जियां : बहरहाल इसका अंत इस सहमति से हुआ कि अब वे गोपालगंज नहीं जाएंगे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष से मिलेंगे और विधायक की गिरफ्तारी की बात करेंगे। इस घटना ने साफ कर दिया कि आने वाले दिन कुछ ऐसे ही गुजरेंगे और सड़क पर ही सब निपटेंगे। बिहार वैसे ही गरम मिजाज का है। लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद कहा जा रहा था, तब भी हत्याएं यहां नहीं रुकीं। रोज ही सूबे के किसी न किसी कोने से ऐसी खबरें आती रहीं। जिस पर अभी तक विरोध बयानों तक सीमित था, पर अब यह मुद्दा है और विपक्ष इसे गरमाने में लगा है। अपराध के साथ ही सूबे में आ रहे प्रवासी कामगार भी मुद्दा हैं। इस सप्ताह चाहे राजद हो या कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा के जीतन राम मांझी हों या राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा सभी एक बैनर तले मामला गरमाए रहे। सोनिया से चर्चा के बाद तेजी और आ गई। बाहर निकल नहीं सकते तो कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए फेसबुक, वाट्सएप जूम का सहारा लिया जा रहा है। एक तरह से यह प्रैक्टिस भी हो रही है कि अगर इसी तरह के हालात में चुनाव हुए तो कैसे नीचे तक अपनी बात पहुंचाई जाएगी। सत्तापक्ष भी इन्हीं साधनों के जरिये विपक्ष के दम को बेदम करने में लगा है।

इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने इस चुनौती के अलावा कई और भी हैं। तीन हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित हो चुके हैं बिहार में। इसमें अधिकांश प्रवासी हैं। जो बीस लाख तक आ चुके हैं और आ ही रहे हैं। इन सबकी एक ही रट है कि अब नहीं जाएंगे। सरकार इनके स्किल माप कर रोजगार बढ़ाने में जुटी है। कुशल व अद्र्धकुशल कामगारों के लिए छह लाख नौकरियां पैदा कर ली गई हैं। लाखों अकुशलों के लिए मनरेगा में संभावनाएं टटोली जा रही हैं। कुशल हाथों की प्रदेश में आई भीड़ से भविष्य पर भी मंथन जारी है कि अब निवेश के लिए बाहर से कंपनियों को बुलाया जाए। दूसरी तरफ प्रवासियों के कारण कोरोना का प्रसार रोकने और भय का वातावरण दूर करने की जद्दोजहद भी पूरी शिद्दत से जारी है। आने वालों का आंकड़ा प्रतिदिन एक लाख के ऊपर का है। इसलिए कहीं न कहीं कोई खामी भी हो जाती है। इस पर विपक्ष के ताने सुनना और उसका जवाब देना भी रोजाना का काम है, लेकिन जिस तरह शुक्रवार को सड़क पर फूट कर निकला है राजद का आक्रोश, वह बताता है कि आगे आने वाले दिन खासे गरम रहने वाले हैं।

[स्थानीय संपादक]

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