भविष्य में जैविक युद्ध की बढ़ती आशंका से निपटने के लिए करनी होगी बड़ी तैयारी

चीन के विज्ञानियों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ने का पूर्वानुमान लगाया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 01:54 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 02:00 PM (IST)
भविष्य में जैविक युद्ध की बढ़ती आशंका से निपटने के लिए करनी होगी बड़ी तैयारी
चीन ने इस वायरस का केंद्र बिंदु वुहान में ही रखा जहां दुनिया भर के लोग काम करते हैं।

शशांक द्विवेदी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। विशेषज्ञ तीसरी लहर की भी आशंका जता रहे हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है क्या भारत किसी जैविक युद्ध का शिकार तो नहीं हुआ है जिसने अचानक चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त करके इतनी बड़ी तबाही मचा दी हो। कोरोना वायरस कैसे और कहां से आया इसको लेकर कई तरह की बातें पिछले एक साल से की जा रही हैं, लेकिन हाल में ही इससे जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

चीन के विज्ञानियों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ने का पूर्वानुमान लगाया था। अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है।

चीनी विज्ञानियों ने सार्स कोरोना वायरस का ‘जैविक हथियार के नए युग’ के तौर पर उल्लेख किया था, कोविड जिसका एक उदाहरण है। दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आतंकियों ने जानबूझकर फैलाया हो। अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार चीन ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है, ताकि दुश्मन देशों की अर्थव्यवस्था और चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त कर सके। चीन, अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर को काबू में करना चाहता था इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को रास्ते से हटाना जरूरी था। वास्तव में ट्रंप चीन की तेज रफ्तार में कांटा बनकर खड़े थे। चीन ने इस वायरस का केंद्र बिंदु वुहान में ही रखा जहां दुनिया भर के लोग काम करते हैं। चीन के अन्य शहरों में इसका असर बहुत कम देखा गया। लेकिन अन्य देशों में इसने देखते ही देखते तबाही मचा दी।

दरअसल वुहान में जब हालात बिगड़ने लगे या कहें कि बिगाड़े गए, तो दूसरे देशों के लोग अपने देश को भागने पर मजबूर हो गए। भारत और अमेरिका ने अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट किया। इसके साथ चाइनीज वायरस भी एयरलिफ्ट हुआ और बडी संख्या में लोगों को संक्रमित करने लगा। दूसरी लहर के प्रति भारत की ही तरह अमेरिका ने भी पहली लहर में इसे हल्के में लिया और चीन की योजना बिना किसी परिश्रम के सफल हो गई। दूसरी ओर इसके फैलने के तुरंत बाद चीन की वैक्सीन बाजार में आ गई। पूरा विश्व हैरान रह गया कि अभी तो वायरस का विश्लेषण भी आरंभ नहीं हुआ था, विज्ञानी वैक्सीन पर रिसर्च ही कर रहे थे और चीन ने वैक्सीन बेचना भी शुरू कर दिया।

गौरतलब है कि चीन ने सबसे पहले वुहान में लॉकडाउन लगाया था, तो अमेरिका हैरान था कि चीन को यह कैसे पता कि लॉकडाउन से कोरोना खत्म हो सकता है। उसी लॉकडाउन में चीन ने अपने सभी नागरिकों को वैक्सीन लगा दी थी और कुछ ही महीनों में पूरे चीन में टीकाकरण का कार्य पूर्ण हो गया। चीन ने अपने लोगों में पहले ही टीका लगा कर बचाव भी कर लिया और दुनिया भर में अपना सामान भी बेच लिया। इस बीच भारत और अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देश स्वयं को इसके शिकंजे से बचाने के लिए पूरे प्रयास में जुटे हैं। यह भी देखा जा रहा है कि चीन अपने वायरस को निरंतर अपडेट कर रहा है और अपने दुश्मन देशों को हेल्थ सिस्टम में उलझाकर रखना चाहता है। पूरी आशंका है कि नए वैरिएंट अपडेट वायरस ही हो सकते हैं। अब तक के तमाम तथ्य इस बात को ही इंगित करते हैं कि इस समस्या की असली जड़ चीन ही है। ऐसे में पूरी विश्व बिरादरी को चीन के विरुद्ध एकजुट होना होगा। साथ ही, भविष्य में जैविक हथियारों या किसी भी तरह के जैविक युद्ध से निपटने के लिए भी बड़ी तैयारी करनी होगी।

[डायरेक्टर, मेवाड़ यूनिवर्सिटी ]

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