देश में जीएसटी के मोर्चे पर बढ़ी उम्मीद, अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुभ संकेत !

जुलाई 2017 के बाद दिसंबर 2020 में देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.15 लाख करोड़ रहा जो तीन सालों में सबसे अधिक है। जीएसटी संग्रह में सुधार का सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Fri, 08 Jan 2021 11:38 AM (IST) Updated:Fri, 08 Jan 2021 11:38 AM (IST)
देश में जीएसटी के मोर्चे पर बढ़ी उम्मीद, अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुभ संकेत !
जीएसटी संग्रह में सुधार अर्थव्यवस्था सुधरने के संकेत !(फोटो: दैनिक जागरण)

सतीश सिंह। दिसंबर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.15 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जुलाई 2017 के बाद सर्वाधिक है। इसके पहले अप्रैल 2019 में 1.14 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ था। जीएसटी संग्रह में सुधार का सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना है। इसके अलावा, दिसंबर 2019 के मुकाबले दिसंबर 2020 में राजस्व में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी का होना और आयात से होने वाले राजस्व में दिसंबर 2019 की तुलना में दिसंबर 2020 में 27 प्रतिशत की वृद्धि का भी होना है। आयात से राजस्व में बढ़ोतरी यह भी दर्शाता है कि औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आ रही है और विविध उत्पादों की मांगों में भी इजाफा हो रहा है।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक दिसंबर में 21,365 करोड़ रुपये सीजीएसटी से, 27,804 करोड़ रुपये एसजीएसटी से और 57,426 करोड़ रुपये आइजीएसटी से मिले हैं। आइजीएसटी में वस्तुओं के आयात से मिले 27,050 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। इसके अलावा 8,579 करोड़ रुपये सेस से मिले हैं, जिसमें आयातित वस्तुओं पर लगाया गया 971 करोड़ रुपये का सेस भी शामिल है। यह इस बात का सूचक है कि जीएसटी जमा करने वाले कारोबारियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यह भी जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी का एक महत्वपूर्ण कारण है।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी और अंतिम तिमाही में विकास दर सकारात्मक रहने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो कर संग्रह में इजाफा होना लाजिमी है। दरअसल कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इसलिए माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के मानकों में और भी सुधार होगा तथा जीएसटी संग्रह 1.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। मौजूदा समय में कोरोना की वजह से औद्योगिक क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता से नहीं काम कर रहा है, लेकिन टीकाकरण के प्रभावी रहने से लोग बिना डर के पूरे मनोयोग से अपना कार्य करना शुरू कर देंगे, जिससे विकास दर में इजाफा होगा। इधर, विदेशी निवेशकों ने नवंबर महीने में 60,358 करोड़ रुपये और दिसंबर में 62,016 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। 

हालांकि वर्ष 2020 में डेट बाजार से इन निवेशकों ने 1.04 लाख करोड़ रुपये निकाले भी हैं, लेकिन दिसंबर में यह आंकड़ा सकारात्मक रहा है। भारत के इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों का रुझान वर्ष 2021 में भी सकारात्मक रहने का अनुमान है। वर्ष 2020 में विदेशी निवेशकों ने 1.7 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जबकि वर्ष 2019 में उन्होंने 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो यह बताता है कि विदेशी निवेश में वृद्धि हो रही है। अर्थव्यवस्था के मानकों में सुधार हो रहा है, इसलिए माना जा रहा है कि विदेशी निवेश में इस वर्ष भी इजाफा होगा। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में कंपनियों का मुनाफा 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। बिजली, पेट्रोल और डीजल की खपत कोरोना काल के पहले के स्तर पर पहुंच गई है। मारुति-सुजुकी की बिक्री बाजार की उम्मीदों से बेहतर रही है। इसने दिसंबर 2020 में 1,60,226 गाड़ियां बेची थी, जबकि 2019 में यह 1,33,296 गाड़ियां बेच सकी थी।

रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार वित्त 2021-22 में देश में सकल घरेलू उत्पाद वास्तविक आधार पर 147.17 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011-12 के मूल्य पर वर्ष 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था का आकार 145.66 लाख करोड़ रुपये था और चालू वित्त वर्ष में इसके 134.33 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में लगातार सुधार होने से यह फिर से पटरी पर लौटने लगी है।

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