Vikas Dubey News: समाज व राजनीति को बेनकाब कर गया हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे

Vikas Dubey News इसमें कोई संशय नहीं कि विकास दुबे राक्षसी प्रवृत्ति का व्यक्ति था जिसने अपराध करने में जाति कभी नहीं देखी और उसके सबसे ज्यादा शिकार भी ब्राह्मण ही हुए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 07:58 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 12:24 PM (IST)
Vikas Dubey News: समाज व राजनीति को बेनकाब कर गया हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे
Vikas Dubey News: समाज व राजनीति को बेनकाब कर गया हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे

हर्ष वर्धन त्रिपाठी। Vikas Dubey News बिकरू गांव का विकास दुबे आज के संदर्भों में राक्षस था और उसका अंत तो ऐसे ही होना था। किसी दूसरे अपराधी की गोली से या फिर पुलिस की गोली से, लेकिन जिस तरह से उत्तर प्रदेश पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रहने के बाद उज्जैन से लेकर आ रही थी और रास्ते में एनकाउंटर कर दिया, उससे सवाल उठना स्वाभाविक है।

अब उन सवालों पर बहुत बात हो चुकी है, इसलिए उन सवालों से आगे बढ़कर मूल सवालों की तरफ बढ़ते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जातीय दंभ और उसके आधार पर आपराधिक राजनीति को कौन बढ़ावा देता है। इस बड़े सवाल का जवाब विकास दुबे के खात्मे के साथ ही सामने आ गया है।

विकास दुबे का एनकाउंटर: भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए यही सवाल उठाया जा रहा है कि किसे बचाने के लिए विकास दुबे का एनकाउंटर पुलिस ने कर दिया। इसका जवाब जानने के लिए पहले इस घटनाक्रम को ध्यान में रखिए। इसे भले ही अब कोई मानेगा नहीं, लेकिन सच तो यही है कि दो-तीन जुलाई की रात उत्तर प्रदेश पुलिस विकास दुबे का एनकाउंटर करने ही गई थी। विकास दुबे और उसके साथियों की पूछताछ में सामने आई बातें तो इसी ओर इशारा कर रही हैं। जिस विकास दुबे पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के शासन में कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई, योगी आदित्यनाथ सरकार में उस अपराधी के खिलाफ कार्रवाई की स्वीकृति दे दी गई। लंबे समय से चौबेपुर थाना क्षेत्र में अपराध कर रहे विकास दुबे को जिंदा या मुर्दा लाने वाले ऑपरेशन की इजाजत दे दी गई थी। अब विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद भले ही सीधे तौर पर उसके अपराधों को बढ़ावा देने वालों का नाम कागजों में न दर्ज हो सके, लेकिन विकास दुबे के पुलिसकर्मियों की हत्या और उसके बाद उसके मारे जाने के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने जिस तरह का व्यवहार किया, उसने उत्तर प्रदेश को झूठे जातीय दंभ के दलदल में फंसाकर जातिगत राजनीति करने की इच्छा रखने वालों को जरूर बेनकाब कर दिया है।

ब्राह्मण मतदाता को अपने पाले में लाने का प्रयास : समाजवादी पार्टी का राज पूरी तरह से जातीय गणित पर टिका होता है, इसे समझने के लिए कोई वैज्ञानिक होने की जरूरत नहीं है और 2017 में जातीय समीकरणों के ही पूरी तरह से शीर्षासन कर जाने की वजह से जातीय राजनीति करने वाली पार्टियां न्यूनतम हो गईं, लेकिन सपा के प्रवक्ता टीवी की बहसों में अभी भी अपराधी विकास दुबे के बजाय ब्राह्मण विकास दुबे पर ज्यादा जोर से चर्चा करते दिख रहे हैं। सपा और कांग्रेस के प्रवक्ता यह साबित करने से नहीं चूक रहे कि योगीराज में ब्राह्मणों की हत्या हो रही है। सपा और कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियानों से साफ समझ आता है कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई मुद्दा न खोज पाई दोनों पार्टियां अब इसे ठाकुर राज में ब्राह्मण की हत्या करार देना चाहती हैं। लोगों को बहुत स्पष्ट दिख रहा था कि जब विकास दुबे पकड़ में नहीं आ रहा था और उसका घर गिर रहा था, उसके अपराधी साथियों को पकड़ने के साथ उनका एनकाउंटर किया जा रहा था, उस समय सपा और कांग्रेस के लोग योगी राज में ब्राह्मणों की हत्या जैसी सूची साझा कर रहे थे। सपा इसके जरिये ब्राह्मणों को जातीय आधार पर भड़काकर उन्हें भाजपा से दूर करने की योजना बना रही थी तो कांग्रेस पूरी तरह से उस ब्राह्मण मतदाता को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही थी। सपा की तरफ से कई ऐसे वीडियो और आंकड़े तैयार किए गए, जिससे योगी आदित्यनाथ की सरकार को ब्राह्मणों के खिलाफ दिखाया जा सके और ऐसा ही एक वीडियो सपा की प्रवक्ता व समाजवादी सरकार में महिला आयोग की सदस्य रही डॉक्टर रोली तिवारी मिश्रा ने ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, आप मुझे जातिवादी कहकर कोस सकते हैं, लेकिन सच यही है कि उत्तर प्रदेश में लगातार ब्राह्मणों को हत्या हो रही है और सरकार चुप है।

लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णन ने एक वीडियो डालते हुए लिखा कि लखनऊ में अपने घर की छत पर लगा भाजपा का झंडा फाड़ता पार्टी कार्यकर्ता। कृष्णन ने इस बात पर भी सवाल खड़ा किया कि विकास दुबे का घर और गाड़ियां क्यों तोड़ी गईं। पूरी कांग्रेस किस तरह से विकास दुबे जैसे अपराधी के एनकाउंटर पर जनता को जातीय गणित समझाने का प्रयास कर रही थी कि मध्य प्रदेश में बैठे दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने भी लिखा कि जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनीतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा।

पिछले तीन-चार दिनों में विकास दुबे के दो अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है, लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है? कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद तो बाकायदा ब्रह्महत्या हैशटैग चला रहे हैं। जितिन प्रसाद से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा तक विकास दुबे के एनकाउंटर की सीबीआइ जांच मांगते हुए अपराधी विकास के नाम के आगे लगे ब्राह्मण उपनाम की जातिवादी राजनीति को पुष्पित पल्लवित करने की कोशिश करते दिख रहे हैं।

सपा की सरकार के समय विधानसभा अध्यक्ष रहे हरिकिशन श्रीवास्तव को विकास दुबे अपना राजनीतिक गुरु कहता था और अपने राजनीतिक गुरु के विरोधी रहे भाजपा नेता संतोष शुक्ला की थाने में हत्या का बहुचर्चित आरोप विकास दुबे पर है। संतोष शुक्ला के नजदीकी रहे लल्लन बाजपेयी को विकास दुबे ने जमकर पीटा था। प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का ही नाम आया। केबल व्यवसायी दिनेश दुबे, अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे पर भी हमले का आरोप विकास पर ही है। विकास दुबे के निशाने पर भी सीओ देवेंद्र मिश्रा ही थे और जिस मामले में विकास दुबे को पकड़ने पुलिस टीम गई थी, वह रिपोर्ट भी राहुल तिवारी ने ही दर्ज कराई थी। विकास की मां सरला देवी स्पष्ट बता चुकी हैं कि विकास हर दल में था, लेकिन अभी सपा का सदस्य है और यह भी जाहिर तथ्य है कि मायावती की सरकार के समय ही विकास दुबे की हिस्ट्रशीट फाड़ दी गई थी। लिहाजा आज नहीं तो कल इस राक्षस का अंत होना ही था।

[वरिष्ठ पत्रकार]

chat bot
आपका साथी