सरकार सरहद पर प्रॉपर्टी डीलरों को बसा दे, चीन का दिमाग ठिकाने लगा देंगे, जमीन बेचकर किनारे कर देंगे

सरकार ने इतने फौजियों को चीन सीमा पर तैनात कर रखा है। इसकी जरूरत ही नहीं। प्रॉपर्टी डीलरों को मौका दे हम चीन का दिमाग ठिकाने लगा देंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 11:53 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 01:31 PM (IST)
सरकार सरहद पर प्रॉपर्टी डीलरों को बसा दे, चीन का दिमाग ठिकाने लगा देंगे, जमीन बेचकर किनारे कर देंगे
सरकार सरहद पर प्रॉपर्टी डीलरों को बसा दे, चीन का दिमाग ठिकाने लगा देंगे, जमीन बेचकर किनारे कर देंगे

[ शैलेश त्रिपाठी ]: उसे चौपाल कहिए या अड्डा या फिर वॉर रूम, वहां चीन से निपटने ही नहीं, उसे निपटाने को लेकर जोरदार बहस हो रही थी। सब अपने-अपने आइडिया फेंकने में लगे हुए थे। तभी सफेद शर्ट-पैंट और जूता पहने एक बंदा आया। कई बंदूकधारी उसके साथ थे। उस बंदे ने सबके चेहरे देखे और समझ गया कि वे क्या पूछना चाह रहे हैं? उसने तपाक से जवाब दिया, अरे मैं देशभक्त प्रॉपर्टी डीलर हूं। कोई और कुछ पूछता, इसके पहले ही उसने कहना शुरू कर दिया, सरकार ने इतने फौजियों को चीन सीमा पर तैनात कर रखा है। इसकी जरूरत ही नहीं। सरकार हम प्रॉपर्टी डीलरों को मौका दे, हम चीन का दिमाग ठिकाने लगा देंगे।

सरकार हमें चीन बॉर्डर पर जाकर बसा दें, उसकी इंच-इंच जमीन बेचकर किनारे कर देंगे

-अरे ऐसा कैसे?

-सरकार हमें चीन बॉर्डर पर जाकर बसा दें। हम लोग उसकी इंच-इंच जमीन बेचकर किनारे कर देंगे।

-अरे, पर वह तो विवादित एरिया है। चीन और भारत, दोनों उस जमीन पर दावा करते हैं।

-विवादित...उसने अपने चेले की ओर देखा और जोरदार ठहाका लगाकर बोला, अरे विवादित के तो हम लोग मास्टर हैं। कितने विवादित प्लाट निपटा दिए हमने। जब तक सामने वाली पार्टी को पता लगता है, तब तक काम निपटा देते हैं हम।

विवादित जमीन का काम करने का पूरा एक सिस्टम होता है

-अरे, पर वहां ऐसा कैसे हो सकता है?

-देखिए, विवादित जमीन का काम करने का पूरा एक सिस्टम होता है। पूरी टीम होती है, एक आदमी थाना मैनेज करता है, दूसरा कागज तैयार करता है। ऐसा कागज तैयार होगा कि वह चिनफिंगवा और उसके चंगू-मंगू भी कुछ समझ न पाएंगे। जब तक उन्हें समझ आएगा और भाग के यूएन-फ्यूएन जाएंगे तब तक तो हम लोग बाउंड्री बनाकर सब फिट्ट कर देंगे। उसके बाद चिंचिंयाते रहें। बस तीन-चार दिन चाहिए हम लोगों को। रातों रात बाउंड्री बनवा देंगे।

सरकार प्रॉपर्टी डीलरों को मौका दे तो हम लोग गलवन घाटी का नक्शा बदल दें

-क्या इतना आसान है यह सब करना?

-पूरी तैयारी है हम लोगों की। यह देखिए, हमारे पास गलवन घाटी का नक्शा है। यह इतना हेक्टेयर, इतना डिस्मिल है। वह उतना हेक्टेयर उतना डिस्मिल। वहां बीच में 12 फुट की रोड निकाल दी जाएगी। उसके बाद इतने-इतने गज के इतने प्लॉट कटेंगे। बगल में एक पार्क, उधर नदी के पास मस्त स्वीमिंग पुल निकल जाएगा। बढ़िया मौसम, प्रदूषण मुक्त हवा, चौबीसों घंटे नदी का साफ पानी बिल्कुल मुफ्त। सरकार पता नहीं क्यों देर कर रही है? प्रॉपर्टी डीलरों को अलाऊ कर दें तो हम लोग नक्शा बदल दें वहां का। फिर तो चीन अपनी जमीन बचाता फिरेगा। हमारी पूरी तैयारी है। यह देखिए, वहां की खसरा, खतौनी, इंतखाब। पूरा इंतजाम है।

हमारा तो काम ही खतरे वाला है, जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है

-अरे भाई वहां बहुत खतरा है आजकल?

-हमारा तो काम ही खतरे वाला है। जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है। कब किधर से कौन गोली मार दे, कोई नहीं जानता। वहां तो कम से कम पता तो है कि दुश्मन कौन है। यहां तो यह हाल है कि मेरे साथ दिन रात रहने वाला ही हमारे नाम की सुपारी दे दिया था। अब वह जिंदा नहीं है बेचारा।

प्रॉपर्टी डीलरों के पास कम हथियार हैं क्या

-हां, पर चीन के पास बहुत घातक हथियार हैं?

-अरे कुछ नहीं। हम प्रॉपर्टी डीलरों के पास कम हथियार हैं क्या। लाइसेंसी-गैर लाइसेंसी सब मिला लिया जाए तो यह समझ लीजिए कि चीन मतलब कुछ नहीं। वे सब तो हथियार चलाने से डरते होंगे। हम लोग तो दिन-दहाड़े भरी पंचायत में गोली चलाने का कलेजा रखते हैं। गारंटी से कह रहे कि इतना कलेजा उनके पास नहीं और वैसे भी लोग इतिहास नहीं जानते।

चीन के लोग हमारे जैसे प्रॉपर्टी डीलरों से थर्राते हैं

सच्चाई यह है कि चीन के लोग हमारे जैसे प्रॉपर्टी डीलरों से थर्राते हैं। इसी डर से तो उन्होंने इतनी लंबी दीवार बनवाई थी। चीन की दीवार न होती तो आज सारा का सारा चीन बिक चुका होता। तुम लोग यहां बातें न बनाओ, हमारी बात सरकार तक पहुंचाओ। यह भी पता करो कि यहां कोई विवादित प्लॉट तो नहीं है? इतना सुनते ही सबने कहा, हां-हां जरूर बताएंगे और फिर एक-एक करके सब चलते बने।

[ लेखक हास्य-व्यंग्यकार हैं ]

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