मानव की जिजीविषा से हारेगा कोरोना: कोरोना से बचने के लिए टीका लगवाएं और बेवजह न करें सरकार की आलोचना

अब कोरोना का भी नाश होगा। दुनिया फिर से पहले की तरह अपनी गति से चलेगी पर यह तब ही संभव है जब सभी पात्र लोग कोरोना से बचने के लिए टीका लगवा लें और बेवजह सरकार और उनके प्रशासन की आलोचना न करें।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 03:30 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 03:30 AM (IST)
मानव की जिजीविषा से हारेगा कोरोना: कोरोना से बचने के लिए टीका लगवाएं और बेवजह न करें सरकार की आलोचना
भारत में महामारियों से संपर्क हर काल में होता रहा।

[ आरके सिन्हा ]: कोरोना वायरस से उपजी कोविड महामारी से जूझ रहे भारत ने हैजा, चेचक, प्लेग और पोलियो जैसी महामारियों को भी झेला है। अगर बात बिल्कुल हाल के दौर की करें तो डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप भी अच्छा-खासा रहा। दोनों ही मच्छर जनित रोग थे और देश के विभिन्न हिस्सों में गंदे पानी के ठहराव ने इन मच्छरों के लिए प्रजनन आधार प्रदान किया। इन्होंने पूरे भारत में लोगों को प्रभावित किया था। इन प्रकोपों के कारण देश के कई हिस्से प्रभावित हुए और राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक मरीज सामने आए थे। अब बात कर लें ओडिशा में 2014 में पीलिया के प्रकोप की। इसका मुख्य कारण दूषित पानी था। पीने के पानी की पाइपलाइनों में गंदा पानी प्रवेश कर गया, जो इस बीमारी का कारण बना था। इसी दौरान स्वाइन फ्लू के प्रकोप से भी देश को सामना करना पड़ा।

महामारियों से संपर्क हर काल में होता रहा

स्वाइन फ्लू एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस ही है। इससे 2014 में गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तेलंगाना वायरस के कारण सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से थे। मार्च 2015 तक कई सार्वजनिक जागरूकता अभियानों के बाद भी देश भर में लगभग 33 हजार मामले सामने आए और बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई। कहने का भाव यह है कि महामारियों से हमारा संपर्क हर काल में होता ही रहा है, पर लोग दुख देने वाली स्मृतियों को भूल जाना चाहते हैं। जिंदगी ख़ुशियां मनाने के लिए है न कि दुख की घड़ियों को याद रखने के लिए। क्या देश मच्छरों के काटने के कारण 2017 में गोरखपुर शहर में सैकड़ों बच्चों की मौत को भूल सकता है? इस वायरल संक्रमण से मस्तिष्क की सूजन होती है, जिसके चलते शारीरिक विकलांगता होती है और कुछ मामलों में रोगी की जान चली जाती है।

भारत में कोविड के खिलाफ टीकाकरण अभियान, वैक्सीन दुनिया के कई देशों में गईं

आज दुनिया और भारत कोविड महामारी को झेल रहा है। यह 2019 में चीन से शुरू हुई थी। इसके संक्रमण के संकेतों में श्वसन संबंधी लक्षण, बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में संक्रमण निमोनिया, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम, गुर्दे की विफलता और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। कोरोना को शिकस्त तो देनी ही होगी। भारत में कोविड के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक टीके की लगभग 18 करोड़ लोगों को खुराक दी जा चुकी है। भारत ने कोरोना के प्रभाव को कम करने के लिए दो तरह के टीका भी ईजाद कर लिया। तीसरे टीके स्पुतनिक का आयात किया है। जल्द ही कुछ और टीके आने वाले हैं। टीके के मामले में भारत के विज्ञानी विश्व भर के लिए एक मिसाल बन चुके हैं। हमारे देश में बनी वैक्सीन दुनिया के कई देशों में जा रही है। इसके चलते दुनिया के तमाम बड़े देश भारत के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने वाली वैक्सीन ईजाद करके भारत ने सिद्ध कर दिया है कि मानव जाति की सेवा के लिए वह सदैव प्रतिबद्ध है। इस वैक्सीन को लेकर शुरू में कुछ आशंकाएं और संदेह भी जाहिर किए जा रहे थे। उन्हेंं दूर करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टर और यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री आगे आए। यह सामान्य बात नहीं।

भारत ने भी प्रभावी कोरोना वायरस का टीका ईजाद कर लिया

कोरोना वायरस ने दुनिया के हरेक इंसान की आंखों से आंसू निकलवा दिए। पृथ्वी पर मौजूद हरेक धर्म, जाति, रंग, लिंग आदि से संबंधित मनुष्य की ईश्वर से यही प्रार्थना थी कि कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन ईजाद हो जाए, ताकि दुनिया फिर से अपनी गति से चलने लगे। कोरोना वायरस को लेकर कहीं भी टीका ईजाद होता है तो मानव जाति के लिए राहत की बात होती, पर हरेक भारतीय आज इस बात पर गर्व कर सकता है कि भारत में भी एक प्रभावी कोरोना वायरस का टीका ईजाद कर लिया गया।

मनुष्य की जिजीविषा के सामने कोई भी महामारी टिक नहीं सकती

मनुष्य की जिजीविषा के सामने कोई भी महामारी टिक नहीं सकती। इसलिए ही तो मानव तमाम अवरोधों के बावजूद आगे बढ़ता रहा है। अब कोरोना का भी नाश होगा। दुनिया फिर से पहले की तरह अपनी गति से चलेगी, पर यह तब ही संभव है जब सभी पात्र लोग कोरोना से बचने के लिए टीका लगवा लें और बेवजह सरकार और उनके प्रशासन की आलोचना न करें।

( लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं )

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