Budget 2021: सभी वर्गों के लिए राहत लाने वाला हो बजट, किसान और बुजुर्ग की निगाहें टिकी

वित्त मंत्री एक फरवरी को बजट पेश करने जा रही हैं। यह उनका तीसरा बजट होगा और 2019 एवं 2020 में उनके द्वारा पेश किए गए पिछले दोनों बजट से यह अधिक चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि पिछले साल कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से प्रभावित हुई है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 12:45 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:45 PM (IST)
Budget 2021: सभी वर्गों के लिए राहत लाने वाला हो बजट, किसान और बुजुर्ग की निगाहें टिकी
देश का एक बड़ा वर्ग यानी किसान और बुजुर्ग बजट में अपने लिए राहत की उम्मीद लगाए हुए है।

[कैलाश बिश्नाई] कोरोना महामारी ने सरकार की ही नहीं, आम आदमी की भी बैलेंस शीट बिगाड़ी है। अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। ऐसे में सरकार और वित्त मंत्री से सबकी उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं। लिहाजा सरकार बजट में आयकर को लेकर कई प्रकार की घोषणाएं कर सकती है। सरकार अगर बजट में टैक्स में राहत देती है तो इससे न सिर्फ वेतनभोगी वर्ग को बचत होगी, बल्कि बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्तमान में व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर छूट सीमा ढाई लाख रुपये सालाना है, जिस सीमा में वित्त वर्ष 2014-15 से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पिछले वर्ष बजट में वित्त मंत्री ने नया आयकर ढांचा पेश किया, जो वैकल्पिक था। हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था में यह माना गया कि इसमें हायर स्लैब वालों को फायदा ज्यादा है। ऐसे में मौजूदा कर व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा कोरोना वायरस से संक्रमण के चलते वित्तीय मोर्चे पर जूझ रहे लोगों को बजट से राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार बजट में कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर खर्चो को टैक्स डिडक्शन के लिए मंजूरी दे सकती है। रियल एस्टेट कंपनियों ने भी घर की बिक्री बढ़ाने के लिए सरकार से आगामी बजट में टैक्स छूट का दायरा बढ़ाने की मांग की है। साथ ही संगठन ने सुझाव दिया है कि होम लोन के भुगतान पर इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा भी बढ़ाई जानी चाहिए।

देश में किसानों का आंदोलन जारी है। असंतुष्ट किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध के बीच पुराने बजट अनुभवों के विपरीत इस बार बजट में वित्त मंत्री यह संदेश देने की कोशिश करेंगी कि मोदी सरकार किसानों की परवाह करती है। पिछले साल वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के अपने घोषित लक्ष्य पर अडिग है। कृषि क्षेत्र की समस्याएं बहुत गहरी हैं। एक अनुमान के अनुसार, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्राप्त करीब तीन प्रतिशत वृद्धि की तुलना में आय को दोगुना करने के लिए 2022 के दौरान किसानों की वास्तविक आय में 15 फीसद प्रति वर्ष की वृद्धि दर की आवश्यकता होगी। बजट में इस बार किसानों की कई अन्य उम्मीदें भी जुड़ी हुई हैं और उनकी कई मांगे हैं, मसलन पीएम किसान योजना के तहत दी जाने वाली राशि को बढ़ाया जाना चाहिए।

भारतीय रेलवे को बजट से काफी उम्मीदें हैं। यात्री सुविधाओं को और अधिक विकसित किए जाने की उम्मीद है। बजट में प्राइवेट ट्रेन, नई ट्रेन सेट्स के जरिये नए रूट पर तेज रफ्तार से सफर, पर्यटन स्थलों को बेहतर रेल संपर्क, सोलर पैनल आधारित ग्रीन एनर्जी पर फोकस, किसान रेल सेवा में विस्तार और पूवरेत्तर राज्यों में रेल संपर्क के लिए बुनियादी ढांचा विस्तार पर फोकस किया जा सकता है। पिछले वर्ष के बजट में वित्त मंत्री ने अगले तीन-चार वर्षो में 150 निजी ट्रेनों की शुरुआत करने की घोषणा की थी। बाद में रेलवे की ओर से भी कहा गया कि कुछ प्रमुख पर्यटन मार्गो पर तेजस एक्सप्रेस-शैली की ट्रेनों की शुरुआत की जाएगी।

भारतीय उद्योग परिसंघ ने वैश्विक व्यापार प्रवृत्तियों के अनुरूप घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को अपनी बजट पूर्व सिफारिशों के तहत अगले तीन साल के दौरान आयात शुल्क को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसे वर्गीकृत करने का सुझाव दिया है। इसके तहत कच्चे माल के लिए ढाई फीसद तक शुल्क रखने का सुझाव दिया गया है।

भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। इसमें 22 फीसद की सालाना दर से बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि जीएसटी से जुड़ी जटिलताओं के चलते इसकी वृद्धि की राह में रुकावटें पैदा हो रही हैं। यही वजह है कि आगामी बजट में रेस्तरां और फूड डिलीवरी सेक्टर ने होम डिलीवरी पर जीएसटी (वस्तु व सेवा कर) की दर घटाकर पांच फीसद करने की मांग की है। फिलहाल फूड आइटम्स की डिलीवरी पर 18 फीसद जीएसटी लगता है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी दर को ताíकक बनाना जरूरी है। ग्राहक रेस्टोरेंट में जिस फूड आइटम पर पांच फीसद जीएसटी देते हैं, उसी की होम डिलीवरी पर 18 फीसद जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है।

इसमें दो राय नहीं कि इस बार का बजट असाधारण परिस्थितियों में पेश किया जा रहा है। यह बजट अर्थव्यवस्था के संकुचन वाले दौर से गुजरने के बीच पेश किया जाएगा। कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में आíथक संकट है और भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने भी कई चुनौतियां हैं। वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर माइनस 23.9 फीसद रही। उसके बाद यह माइनस साढ़े सात फीसद रही थी। इसके चलते राजकोषीय घाटा (यानी सरकार की कमाई और खर्चे में अंतर) बहुत ज्यादा है। वित्त मंत्री को यह भी ध्यान रखना होगा कि वह राजकोष के मोर्चे पर देश को मजबूत बनाने के कदम उठाएं। साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान उन लोगों को राहत पहुंचाने की ओर भी होना चाहिए जो कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए आíथक संकट के चलते अब तक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

वित्त मंत्री के सामने आíथक वृद्धि के लिए राहत पैकेज देना और रोजगार बढ़ाना बड़ी प्राथमिकताएं होंगी। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवा, स्टार्टअप, स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा, कौशल आदि कई क्षेत्रों की बजट से अपेक्षाएं हैं। महामारी के अनुभव के बाद स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक खर्च में दोगुनी राशि का आवंटन करना चाहिए। इस साल 50 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण करने के लिए टीकाकरण अभियान को भी युद्धस्तर पर चलाना होगा। कुल मिलाकर बजट से यही उम्मीदें हैं कि वह सबको राहत पहुंचाने वाला होगा।

(शोध अध्येता, दिल्ली विश्वविद्यालय)

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