कोरोना काल के बाद सूबे में विकास कार्यो को तेजी देने में जुटे MP के CM शिवराज सिंह चौहान

सरकार समझ रही है कि आत्मनिर्भर प्रदेश के लिए भयमुक्त परिवेश भी जरूरी है। अभी तक 8800 करोड़ रुपये मूल्य की 3300 एकड़ सरकारी जमीन भू-माफिया से मुक्त कराई जा चुकी है। माफिया चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो उसके खिलाफ अभियान जारी रहेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 11:09 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 11:09 AM (IST)
कोरोना काल के बाद सूबे में विकास कार्यो को तेजी देने में जुटे MP के CM शिवराज सिंह चौहान
कोरोना काल के बाद सूबे में विकास कार्यो को तेजी देने में जुटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह। फाइल

संजय मिश्र। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि वह सपना है जिसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर जतन करना चाहते हैं। विधानसभा में मंगलवार को प्रस्तुत बजट में उन्होंने साफ कर दिया कि आत्मनिर्भरता हासिल करना सरकार का बड़ा लक्ष्य है। इसके लिए वह सारे रास्ते बनाएंगे। बजट में वे रास्ते भी दिख रहे हैं, जिनके जरिये सरकार जनता को आत्मनिर्भरता की मंजिल तक पहुंचाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी सरकार के लिए यह समय बेहद कठिन है। कोरोना संकट के कारण उद्योग-धंधों की गति मंद है तो स्कूल-कॉलेज भी महीनों से बंद हैं। कुछ खुले भी हैं तो उनका खुलना और बंद होना बराबर ही है। बाजार जरूर खुल रहे हैं, लेकिन उनमें भी पहले वाली गति आनी शेष है। सरकार की आय के अनेक माध्यमों एवं संसाधनों पर एक तरह से ताला लग गया है। ऐसे समय में आत्मनिर्भरता का रास्ता वही चुन सकता है जो दूरदर्शी हो।

दो दिन पूर्व जारी आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी इस बात का पर्दाफाश हो गया है कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय में 4,870 रुपये की कमी आई है। सरकार के लिए यह सर्वाधिक चिंता वाली स्थिति है। वर्ष 2019-20 में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 1,03,288 रुपये थी, जो वर्ष 2020-21 में घटकर 98,418 हो गई है। लंबे समय बाद प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आने का प्रमुख कारण आर्थिक मंदी एवं कोरोना के कारण हर क्षेत्र में आई अस्थिरता को माना जा रहा है। जाहिर है इसका असर बाजार और जीवन स्तर पर पड़ेगा ही। जब बाजार में ठहराव होगा तो आम जन के साथ सरकार की आमदनी भी प्रभावित होगी। मध्य प्रदेश में पिछले लगभग एक साल से सरकारी राजस्व के स्नोत सीमित हो गए हैं। यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार को 17,514 करोड़ रुपये की राजस्व हानि उठानी पड़ी है। इसका असर विकास योजनाओं पर पड़ा है। कई निर्माण कार्यो की गति मंद पड़ गई है। सरकार का राजकोषीय घाटा 52,262 करोड़ होने का अनुमान है।

अर्थव्यवस्था की इन मजबूरियों के बीच सरकार ने बजट में आम जन के विकास का रोडमैप बनाने का बड़ा जोखिम उठाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल के विकास पर सरकार का फोकस बढ़ा है, जो आय के क्षेत्र नहीं माने जाते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह कहना वाजिब है कि आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रास्ता स्कूल, चिकित्सा एवं शुद्ध पेयजल के प्रबंध, सड़कों के निर्माण से ही तैयार होगा। जब तक बुनियादी ढांचा मजबूत नहीं होगा तब तक आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का सपना पूरा नहीं हो सकता। सरकार का यही लक्ष्य है, जिसके लिए बजट में सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है। अधोसंरचना के विकास के लिए सरकार ने सर्वाधिक 44,152 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। साथ ही 2,441 किमी नई सड़क और 65 नए पुल बनाए जाएंगे। प्रदेश में एक साथ पहली बार बजट में 105 रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव शामिल है। इन्हें तीन साल में बनाने का लक्ष्य है। चंबल एक्सप्रेस-वे और नर्मदा एक्सप्रेस-वे के माध्यम से सरकार ने विकास का नया मॉडल बनाया है। दोनों के आसपास औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे, जहां व्यावसायिक, शैक्षिक एवं औद्योगिक गतिविधियां होंगी। इससे आíथक गतिविधियां बढ़ेगी और रोजगार के बड़े अवसर सृजित होंगे। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का सपना सजोने वाली शिवराज सरकार का मकसद यही है कि हर हाथ को काम मिले और अर्थव्यवस्था मजबूत बने।

बजट के जरिये आम आदमी को रोजगार से जोड़ने की पहल की गई है। चार फीसद की दर पर स्व-सहायता समूहों को ब्याज देने की व्यवस्था बनाकर ग्रामीणों को स्वावलंबन का सुनहरा अवसर देने का खाका खींचा गया है। निश्चित रूप से इससे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। कोरोना संकट के दौरान इन्हीं समूहों ने मास्क और सेनिटाइजर बनाने का काम बड़े स्तर पर करके न सिर्फ आíथक रूप से खुद को सशक्त किया, बल्कि रोजगार के नए मौके भी बनाए। मुख्यमंत्री ने इन समूहों को रोजगार का बड़ा माध्यम बनाने का लक्ष्य बनाया है। कुल 3.80 लाख समूहों में 35 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। सरकार नवाचार के जरिये इसे 80 लाख सदस्य संख्या तक ले जाना चाहती है। इससे ग्रामीणों क्षेत्रों से पलायन रुकेगा।

वर्तमान वित्तीय वर्ष में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलाकर रोजगार मेलों के जरिये 66,592 ग्रामीण युवाओं को रोजगार दिलाया जा चुका है। इससे ही सरकार को नई योजना की शक्ति मिली है। युवा नौकरी करने वाले ही नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें, इस अवधारणा को जमीन पर उतारने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार (ब्याज परिदान) योजना की घोषणा की गई है। इसके तहत युवाओं को स्वयं का कारोबार शुरू करने के लिए बैंकों से ऋण दिलाया जाएगा।

आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के लिए निवेश सबसे बड़ी जरूरत है। इसके लिए नियमों को सरल बनाने के साथ स्टार्ट योर बिजनेस इन थर्टी डेज का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत सभी विभागों को हर हाल में उद्योग की स्थापना के लिए जरूरी अनुमति 30 दिन के भीतर देनी होगी। यदि वे निर्धारित अवधि में अनुमति देने में विलंब करते हैं तो सिस्टम से स्वत: ही अनुमति जारी हो जाएगी। उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण की चुनौती से निपटने के लिए लैंड पुलिंग पॉलिसी का दायरा बढ़ाया जाएगा। बजट में इसका स्पष्ट प्रविधान कर दिया गया है। इसमें निजी भूमि लेकर विकसित भूखंड दिए जाएंगे। प्रायोगिक तौर पर यह योजना सफल रही है। पूंजीगत निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी 1,437 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। महिला सुरक्षा के लिए हर जिले में एक महिला पुलिस थाना खुलेगा। महिलाओं की सुरक्षा एवं उनके आíथक-सामाजिक उन्नयन के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

[स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल]

chat bot
आपका साथी