यमुना में जलकुंभी के कारण बढ़ा मच्छरजनित बीमारियों का खतरा
फोटो- 12ओकेएल- 11 12समस्या - दो साल से नहीं हुई यमुना से जलकुंभी की सफाई निगम आयुक्त ने
फोटो- 12ओकेएल- 11, 12समस्या
- दो साल से नहीं हुई यमुना से जलकुंभी की सफाई, निगम आयुक्त ने विभिन्न विभागों के साथ की बैठक
- यूपी सिचाई विभाग जलकुंभी की सफाई के लिए अगले दो-तीन माह में खरीदेगा मशीन
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली
पहले से ही कोरोना महामारी का सामना कर रहे दिल्लीवासियों की मुसीबत और बढ़ सकती है। यमुना नदी में फैली जलकुंभी के कारण इस बार राजधानी में सामान्य की अपेक्षा करीब छह गुना मच्छर बढ़ गए हैं। इस कारण राजधानी में मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। पिछले दो साल से यमुना से जलकुंभी की सफाई न होने के कारण यह कालिदी कुंज से लेकर पीछे करीब दो किलोमीटर तक फैल गई है। जहां पर जलकुंभी होती है वहां पानी बहने की बजाय जमा हो जाता है जिस कारण वह मच्छरों के पैदा होने लिए काफी अनुकूल हो जाता है। इस समस्या को लेकर पिछले सप्ताह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने इंटरसेक्टोरल कोआर्डिनेशन मीटिग ली थी। इसमें डीडीए, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड, सिचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग व उत्तर प्रदेश सिचाई विभाग के अधिकारी शामिल हुए थे। इसमें निगम अधिकारियों ने चिता जताते हुए कहा था कि यहां पर दवा का छिड़काव भी प्रभावी नहीं होता है क्योंकि घनी जलकुंभी के कारण दवा पानी की सतह तक पहुंच ही नहीं पाती है।
यूपी सिचाई विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने बताया कि जलकुंभी को पानी से निकालकर नष्ट करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की मशीन खरीदने का प्रस्ताव पिछले साल ही पास हो गया था, लेकिन किसी कारणवश अभी तक मशीन नहीं खरीदी जा सकी है। दो-तीन माह में मशीन आने की उम्मीद है। दरअसल, यमुना में जमी जलकुंभी जमा होने के कारण नदी के आसपास स्थित मदनपुर खादर, कालिदी कुंज, जैतपुर, मोलड़बंद, सरिता विहार, जामिया नगर, अबुल फजल एनक्लेव, जसोला विहार, कंचन कुंज, शाहीन बाग, आली गांव, आली विहार आदि इलाकों में लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
नदी के साथ नाले व तालाब भी बने मुसीबत : निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यमुना नदी के साथ ही राजधानी के विभिन्न इलाकों में जाम पड़े नालों व तालाबों के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो रही है। इनमें पानी में पालिथिन, थर्मोकोल समेत अन्य तैरती हुई चीजों के नीचे मच्छरों को प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल मिलता है। यहां पर निगम की ओर से दवा का छिड़काव किया जाता है लेकिन दवा पानी तक पहुंचती ही नहीं है। इससे दवा भी बर्बाद होती और कोई फायदा भी नहीं होता है। वहीं, विभिन्न इलाकों में लोग निर्माण कार्य के दौरान खुले टैंक में पानी जमा करके रखते हैं, कई जगह बेसमेंट में पानी भर जाता है। इस कारण भी मच्छर बढ़ रहे हैं। निगम के कर्मचारियों को कोरोना ड्यूटी में भी लगाया गया है। इसके साथ ही वे रूटीन की ड्यूटी भी कर रहे हैं। जापानी इनसेफिलाइटिस का भी खतरा: एसडीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार क्यूलेक्स मच्छर अधिक पाए जा रहे हैं। इनसे डेंगू-मलेरिया का खतरा नहीं है, लेकिन जापानी इनसेफलाइटिस का खतरा हो सकता है। इनके काटने से त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। मादा क्यूलेक्स के काटने से एरबोवायरस इनफेक्शन होता है। यह जापानी एनसेफेलाइटिस यानी दिमागी बुखार और फाइलेरियासिस जैसी बीमारियां होती हैं। वहीं, एनाफिलीज मच्छर से मलेरिया और एडीज मच्छर से डेंगू और चिकुनगुनिया होता है। अभी राजधानी में एनाफिलीज और एडीज मच्छर लगभग न के बराबर हैं।
समाप्त, अरविद, 12 अप्रैल, 21