मैदान में जब भी उतरें विजेता बनकर ही लौटें: अक्षय
कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है जो सपने देखते हैं और सपनों को पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं। ऐसे ही मयूर विहार फेज-3 निवासी 23 वर्षीय अक्षय पराशर भी अपने सपने को पूरे करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली:
कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है जो सपने देखते हैं, और सपनों को पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं। ऐसे ही मयूर विहार फेज-3 निवासी 23 वर्षीय अक्षय पराशर भी अपने सपने को पूरे करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। वह बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग हैं। उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने रायपुर में आयोजित 16वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप फॉर सेरेब्रल पाल्सी 2020 में रजत व कांस्य पदक हासिल कर यमुनापार ही नहीं बल्कि दिल्ली का भी नाम रोशन किया। उनका एक ही मूल मंत्र है, खिलाड़ी जब भी मैदान में उतरें विजेता बनकर ही लौटें।
अक्षय पराशर बताते हैं कि जब टीवी पर खिलाड़ियों को खेलते हुए देखते थे तो उन्हें भी खेलने व दौड़ने की इच्छा होती थी। बचपन से ही वह खिलाड़ी बनना चाहते थे। उनका पसंदीदा खेल दौड़ व लंबी कूद है, इसलिए वह सिर्फ अपनी कैटेगरी में ही खेलते हैं। उनके पिता चंद्रपाल शर्मा आगे बढ़ने के लिए उन्हें हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। जामिया से वकालत की पढ़ाई कर रहे अक्षय बताते हैं कि बचपन से ही वह दौड़ व लंबी कूद की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते आए हैं।
वह 2022 में आयोजित होने वाले पैरा एशियन खेल के लिए अभी से तैयारी में जुटे हैं। घर के पास खाली मैदान में अभी से ही लंबी कूद का अभ्यास कर रहे हैं। उन्हें जब भी कोई अशक्त व्यक्ति नजर आता है तो वह उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं पिता का सपना पूरा कर रहे अक्षय अक्षय बताते हैं कि बचपन से ही पिता चंद्रपाल शर्मा उन्हें खेलों के लिए प्रेरित आए हैं। पिता के सपने को पूरा करने के लिए ही वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वह रोज शाम को एक घंटे दौड़ व लंबी कूद का अभ्यास करते हैं।