भविष्य में 15 लाख करोड़ रुपये की होगी आटोमोबाइल इंडस्ट्री : गडकरी

एरोसिटी में अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में देश के विकास के लिए सरकार की ओर से बनाए जा रहे रोडमैप पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विस्तार से अपनी बातें रखीं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:39 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 06:39 PM (IST)
भविष्य में 15 लाख करोड़ रुपये की होगी आटोमोबाइल इंडस्ट्री : गडकरी
भविष्य में 15 लाख करोड़ रुपये की होगी आटोमोबाइल इंडस्ट्री : गडकरी

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : एरोसिटी में अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में देश के विकास के लिए सरकार की ओर से बनाए जा रहे रोडमैप पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विस्तार से अपनी बातें रखीं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि हमें आगे बढ़ना है तो तकनीक पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। लगातार अनुसंधान पर ध्यान देने के साथ ही उन पहलुओं की तरफ जाना होगा, जिनके बारे में अभी तक बात नहीं हुई है। परिवहन के क्षेत्र में काम करने की अपार संभावनाएं हैं। अभी आटोमोबाइल इंडस्ट्री साढ़े सात लाख करोड़ रुपये की है। इस इंडस्ट्री को हम 15 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का निश्चय कर चुके हैं और हम यह लक्ष्य प्राप्त करेंगे।

नितिन गडकरी ने कहा कि आटोमोबाइल इंडस्ट्री देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली है, साथ ही सबसे ज्यादा राजस्व भी इसी क्षेत्र से मिलता है। हमारे देश से दोपहिया वाहन, आटो रिक्शा अन्य देशों में निर्यात किए जाते हैं। इसे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार वैकल्पिक इंधन इथेनाल, मिथेनाल, बायोडीजल, बायोसीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक पर काम कर रही है और जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि पेट्रोल व डीजल के विकल्प पर हमें ध्यान देना होगा। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अभी आठ लाख करोड़ रुपये के पेट्रोल, डीजल का आयात हम करते हैं। यही हाल रहा तो पांच साल में यह 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इतना पैसा अगर देश से बाहर जाएगा तो फिर विकास की रफ्तार कैसे तेज होगी। साथ ही इससे प्रदूषण भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार सोलर एनर्जी के साथ ही अन्य विकल्पों को बढ़ाने पर जोर दे रही है। सोलर एनर्जी बढ़ने से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ेगी और पेट्रोल का आयात कम होगा। पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहन की तुलना में यह सस्ता भी होगा और इससे प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। उन्होंने कहा कि हम किसी भी फूड ग्रेन से इथेनाल बना सकते हैं और इससे किसानों को भी फायदा पहुंचेगा। अभी हमारे पास काफी मात्रा में अनाज पड़े हुए हैं। अतिरिक्त अनाज से इथेनाल बनाया जाए तो एक ओर पेट्रोल की खपत कम होगी, वहीं किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। यह होने लगा तो किसान अन्नदाता नहीं बल्कि ऊर्जादाता भी बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश में अभी इथेनाल की तीन सौ नई फैक्ट्रियां लगने वाली हैं। इससे इथेनाल के उत्पादन में वृद्धि होगी और हम स्वदेशी इंधन के सहारे ही अपने वाहन चला सकेंगे। साथ ही पेट्रोल से सस्ता होने के चलते आगे चलकर हम इथेनाल का निर्यात भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी नई-नई तकनीक सामने आ रही है। अभी निर्माण के दौरान तीस मीटर की दूरी पर पिलर बनाते हैं, लेकिन एक कंपनी तकनीक की बदौलत दो पिलर के बीच की दूरी अब 120 मीटर रख रही है। इससे लागत में कमी होगी। उन्होंने कहा कि देश को विश्व की नंबर एक आर्थिक शक्ति बनाने के साथ-साथ गरीबों, किसानों का कल्याण करना है।

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