गाजीपुर लैंडफिल साइट पर तैयार हो रहा छोटा जंगल
गाजीपुर स्थित लैंडफिल साइट की ऊंचाई घटाने के साथ-साथ पूर्वी निगम इससे निकलने वाली दूषित हवा से पर्यावरण को बचाने की कोशिश में भी जुटा है। इसके तहत प्रवेश द्वार पर पौधे लगाए जा रहे हैं। इन्हें छोटे जंगल का रूप दिया जा रहा है। मियावाकी तकनीक की मदद से यहां एक हजार और पौधे लगाए जा रहे हैं। इससे पहले भी यहां एक हजार पौधे लगाए गए थे।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
गाजीपुर स्थित लैंडफिल साइट की ऊंचाई घटाने के साथ-साथ पूर्वी निगम इससे निकलने वाली दूषित हवा से पर्यावरण को बचाने की कोशिश में भी जुटा है। इसके तहत प्रवेश द्वार पर पौधे लगाए जा रहे हैं। इन्हें छोटे जंगल का रूप दिया जा रहा है। मियावाकी तकनीक की मदद से यहां एक हजार और पौधे लगाए जा रहे हैं। इससे पहले भी यहां एक हजार पौधे लगाए गए थे।
नगर निगम के मुताबिक इस छोटे जंगल को से-अर्थ एवं से-ट्रीज के साथ सामुदायिक सामाजिक दायित्व के तहत बेकर ह्यूजस (जीई कंपनी) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इन पौधों की देखरेख दो साल तक करने की जरूरत है। इसके बाद ये आत्मनिर्भर हो जाएंगे। बता दें कि सितंबर माह में गाजीपुर लैंडफिल के प्रवेश द्वार पर 450 वर्गमीटर के क्षेत्र में मियावाकी तकनीक से लगभग एक हजार पौधे लगाए गये थे। उसी तकनीक के आधार पर इस बार भी लैंडफिल साइट के किनारे एक हजार पौधे और लगाए जा रहे हैं।
निगम के मुख्य अभियंता प्रदीप कुमार खंडेलवाल ने बताया कि मियावाकी एक जापानी पौधारोपण तकनीक है जो कि पर्यावरण विशेषज्ञ अकीरा मियावाकी की देन है। इसमें शहर के बीच छोटे जंगल विकसित किए जाते हैं। इस विशेष तकनीक के अंतर्गत 40 से अधिक प्रजातियों के पौधे से लगाए जाते हैं। इसमें औषधीय, फलदार, फूलदार और झाड़ीदार पौधे शामिल हैं। विशेष तकनीक से लगाए जाने वाले ये पौधे दस गुना तेजी से बढ़कर तीस गुना घना जंगल तैयार करते है। खंडेलवाल ने बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम गाजीपुर लैंडफिल साइट के सुधारीकरण एवं सुंदरीकरण करने की दिशा में अनेक सकारात्मक उठा रहा रहा है। स्वच्छता के संदेश और क्षेत्र को स्वच्छ रखने की मुहिम में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर सुंदर चित्रकारी भी करवाई गई है।