विधानसभा में हार व गुटबाजी की कीमत चुकानी पड़ी

आखिरकार उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी की प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से विदाई हो गई है। लगभग साढ़े तीन साल के कार्यकाल के उनके कार्यकाल में भाजपा ने दिल्ली नगर निगम और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की लेकिन विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इस हार की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 06:56 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 03:37 AM (IST)
विधानसभा में हार व गुटबाजी की कीमत चुकानी पड़ी
विधानसभा में हार व गुटबाजी की कीमत चुकानी पड़ी

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

आखिरकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी की प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से विदाई हो गई है। लगभग साढ़े तीन साल के उनके कार्यकाल में भाजपा ने दिल्ली नगर निगम और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इस हार की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी है। इसके साथ ही पार्टी में गुटबाजी पर लगाम लगाने में विफल रहना भी उनकी विदाई का कारण माना जा रहा है।

वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा नेतृत्व के सामने दिल्ली नगर निगम चुनाव में वापसी की चुनौती थी। निगम में वापसी के लिए पार्टी की नजर पूर्वाचल के वोटरों पर थी। इन्हें साधने के लिए पहली बार दिल्ली भाजपा की कमान किसी पूरब से जुड़े नेता को सौंपी गई। उन्हें 30 नवंबर, 2016 को दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। उसके लगभग तीन माह बाद हुए निगम चुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर पूर्वी दिल्ली से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पराजित करके दूसरी बार संसद पहुंचे। इसके साथ ही पार्टी को दूसरी बार सातों सीटों पर जीत मिली। लेकिन, फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को महज आठ सीटों पर संतोष करना पड़ा।

तिवारी का कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर में ही समाप्त हो गया था, लेकिन उन्हें अध्यक्ष पद से नहीं हटाया गया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की कवायद शुरू हो गई थी। नया अध्यक्ष चुनने के लिए राष्ट्रीय नेताओं ने दिल्ली के कार्यकर्ताओं से बातचीत भी शुरू की थी, लेकिन इसी बीच कोरोना महामारी की वजह से लॅाकडाउन लगने के कारण यह प्रक्रिया रुक गई। अब राजनीतिक गतिविधियां शुरू होने के साथ दिल्ली में बदलाव का एलान कर दिया गया। इसकी भनक तिवारी को भी नहीं थी। वह प्रदेश कार्यालय में नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों पर प्रेस वार्ता कर रहे थे, उसी दौरान राष्ट्रीय कार्यालय में उनके स्थान पर नए अध्यक्ष घोषित करने की प्रक्रिया चल रही थी।

निगम व लोकसभा चुनाव तिवारी के खाते में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन पार्टी में गुटबाजी को रोकने में वह असफल रहे। पूर्व मंत्री विजय गोयल के साथ विवाद की खबरें अक्सर सामने आती रहीं। कई सांसदों के साथ भी मतभेद की चर्चा थी। नेताओं की आपसी लड़ाई की वजह से विधानसभा चुनाव प्रचार की कमान राष्ट्रीय नेतृत्व को अपने हाथ में लेनी पड़ी थी। लॅाकडाउन के शुरुआत में भी पार्टी में सामंजस्य की कमी दिख रही थी। बाद में राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद सेवा कार्य में तेजी आई। कुछ दिनों पहले सोनीपत में एक निजी स्टेडियम के उद्घाटन व क्रिकेट खेलने को लेकर भी प्रदेश अध्यक्ष विवादों में रहे। माना जा रहा है इन कारणों से कोरोना संकट के दौरान ही उनकी जगह नए नेता को दिल्ली की कुर्सी सौंपने का फैसला करना पड़ा है। -------------------- प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में इस साढ़े तीन साल के कार्यकाल में जो प्यार और सहयोग मिला उसके लिए सभी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और दिल्लवासियों का सदैव आभारी रहूंगा। जाने अनजाने में कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करना। नए प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को असंख्य बधाई। -मनोज तिवारी (दिल्ली प्रदेश भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष)

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