फिर चर्चा में देश-दुनिया में चर्चित दिल्ली का नैना साहनी मर्डर, HC ने उठाया अहम सवाल
तंदूर हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कांग्रेस नेता की याचिका पर पीठ ने कहा कि किसी की जिंदगी और स्वतंत्रता का मामला विचारणीय है और कैसे उसे लगातार कस्टडी में रखा जा सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। तंदूर हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कांग्रेस नेता सुशील कुमार शर्मा की याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि 29 साल के कारावास की सजा काटने के बावजूद भी आखिर याचिकाकर्ता को क्यों नहीं रिहा किया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सेहगल ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने मामले को गंभीर बताते हुए आगामी 18 दिसंबर को दिल्ली सरकार के गृह विभाग, कानून सचिव को अदालत में पेश होने को कहा। साथ ही उन मूल दस्तावेजों को साथ लाने के लिए कहा, जिनके आधार पर सजा समीक्षा बोर्ड ने याचिकाकर्ता की समय पूर्व रिहाई के आवेदन को खारिज किया था।
पीठ ने कहा कि किसी की जिंदगी और स्वतंत्रता का मामला विचारणीय है और कैसे उसे लगातार कस्टडी में रखा जा सकता है। पीठ ने कहा कि सुशील कुमार शर्मा 1995 से जेल में बंद हैं और सजा समीक्षा बोर्ड के मैनुअल के हिसाब से निर्धारित की गई अधिकतम सजा भुगत चुके हैं।
1995 में पत्नी की हत्या के मामले में दोषी सुशील कुमार शर्मा ने याचिका में दावा किया कि एक अपराध की स्थिति में समय पूर्व रिहाई 20 साल पर दी जा सकती है, जबकि जघन्य अपराध के मामले में यह समय सीमा 25 साल की है।
उन्होंने कहा कि उनका मामला प्रथम श्रेणी में आता है, इसके बावजूद भी वह 29 साल की सजा काट चुके हैं। ज्ञात हो कि एक व्यक्ति के साथ संबंध के शक में सुशील कुमार शर्मा ने 1995 में पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी और शव के टुकड़े करके एक रेस्तरां के तंदूर में जला दिया था।