कूड़ा और संपत्तिकर के नोटिस पर कड़ी आपत्ति

फोटो फाइल नंबर 30 ईएनडी 22 - पूर्वी निगम की स्थायी समिति की बैठक में सदस्यों ने नोटिस रोकने की मांग की - स्रोत पर ही गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने के लिए भेजे गए हैं नोटिस

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 09:27 PM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 09:27 PM (IST)
कूड़ा और संपत्तिकर के नोटिस पर कड़ी आपत्ति
कूड़ा और संपत्तिकर के नोटिस पर कड़ी आपत्ति

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : स्त्रोत पर ही गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने के लिए कुछ सोसायटियों को निगम की तरफ से नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा संपत्तिकर के नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन दोनों को लेकर पूर्वी निगम की स्थायी समिति की बैठक में पार्षद सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की। इसके अलावा कूड़े को लेकर जुर्माना लगाने के आदेश पर भी पार्षदों ने रोक लगाने की मांग की। बैठक में अतिक्रमण पर कार्रवाई न होने का मुद्दा उठाया गया। इसके अलावा अधूरा काम करने वाले ठेकेदारों को भुगतान को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। इन पर आयुक्त विकास आनंद ने कहा कि संपत्तिकर के नोटिस यूपिक नंबर (संपत्ति का विशिष्ट नंबर) की जानकारी देने के लिए जारी किए गए हैं। सिर्फ व्यवसायिक संपत्तियों को बकाये को लेकर कार्रवाई से संबंधित नोटिस भेजे जा रहे हैं। अगर कहीं कोई गलत नोटिस भेजा गया है, तो उसकी जांच होगी। सोसायटियों को स्त्रोत पर ही गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग करने के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं। विकास आनंद ने कहा कि हमारी कोशिश जनता को अच्छी सेवाएं देने की की है। उन्हें परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।

अध्यक्ष बीर सिंह पंवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में सदन के नेता सत्यपाल सिंह ने कहा कि भवन विभाग के अधिकारी सुधरने को तैयार नहीं हैं। बड़े प्लाटों पर बने मकानों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। लेकिन 20 से 50 गज के प्लाट पर मकान बनाने वाले गरीब लोगों को परेशान किया जाता है। जब काम शुरू होता है तब निगमकर्मी रिश्वत लेकर जाते हैं। इसके बाद जब काम पूरा हो जाता है, तो निगम की तरफ से अवैध निर्माण का नोटिस भेज दिया जाता है। संपत्ति को बुक कर दिया जाता है। बिजली और पानी के कनेक्शन लेने के लिए इन्हें निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने को कहा जाता है। इसके एवज में वसूली शुरू हो जाती है। सत्यपाल सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार किस हद तक है, इसका उदाहरण ठेकेदरों को अधूरे कार्य के बाद भी किए गए भुगतान से पता चलता है।

उपाध्यक्ष दीपक मल्होत्रा ने कहा कि सौ रुपये का काम कोई 60 रुपये में कैसे कर सकता है। ऐसे ठेकेदार गुणवत्ता से समझौता करते हैं या फिर काम अधूरा छोड़ देते हैं। इस पर निगम अधिकारियों ने बताया कि कार्य पूरा होने के बाद स्वतंत्र संस्था से जांच कराई जाती है। इसके बाद ही भुगतान किया जाता है। पूर्व महापौर बिपिन बिहारी सिंह ने कहा कि निगम को डीडीए से काफी पार्क अभी मिले हैं लेकिन उनमें लाइटें नहीं जल रही हैं। इससे लोगों को काफी दिक्कत आ रही हैं। उन्होंने डीडीए के पार्को में भी निगम की एजेंसी को लाइट का जिम्मा सौंपने की मांग की। पार्षद गुंजन गुप्ता ने कहा कि निगम की कार्यशैली ऐसी है कि अच्छी योजनाओं को भी पलीता लग जाता है। मेट्रो वेस्ट नामक एजेंसी कई शहरों में अच्छा कार्य कर रही है लेकिन पूर्वी निगम में आते ही वह भी बेकार हो गई। उन्होंने कहा कि अभी भी कई संपत्तियों को यूपिक नंबर जारी नहीं किया गया है। पार्षद शशि चांदना ने डेंगू-मलेरिया की रोकथाम के लिए कदम उठाने की मांग की।

अतिक्रमण पर आक्रोश

बैठक में पार्षदों ने अतिक्रमण पर आक्रोश भी जाहिर किया। पार्षद पुनीत शर्मा ने कहा कि कई बैठकों में वह अतिक्रमण का मुद्दा उठा चुके हैं। लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। रिपोर्ट में कह दिया जाता है कि कार्रवाई करेंगे। आप पार्षद मोहिनी जीनवाल ने कहा कि दिलशाद गार्डन के डियर पार्क के साथ शाम होते ही खाने-पीने की इतनी रेहड़ियां लग जाती हैं कि वहां जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लाइसेंसिग अधिकारी गायब रहते हैं। इन्हें कोई देखने वाला नहीं है। इस पर अध्यक्ष बीर सिंह पंवार ने दोनों जोन के उपायुक्तों को अगली बैठक में आने पर रिपोर्ट देने को कहा है कि कहां-कहां उन्होंने अतिक्रमण को दूर किया गया है।

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