असम से मंगाकर दिल्ली में बेचते थे सिम

उत्तर पश्चिम जिला पुलिस साइबर सेल ने असम से सिम लाकर दिल्ली एनसीआर में बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 08:14 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 08:14 PM (IST)
असम से मंगाकर दिल्ली में बेचते थे सिम
असम से मंगाकर दिल्ली में बेचते थे सिम

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : उत्तर पश्चिम जिला पुलिस साइबर सेल ने असम से सिम लाकर दिल्ली एनसीआर में बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से पहले से सक्रिय 760 सिम भी बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना असम में एनआरसी के नाम पर लोगों से जमा कर कागजात पर सिम खरीदता था।

जिले की डीसीपी विजयंता आर्या ने बताया कि 29 जुलाई को शालीमार बाग थाने में दर्ज ठगी के मामले की जांच के दौरान पता चला कि इसमें दूसरे के नाम पर जारी सिम का इस्तेमाल किया गया था। पांच अगस्त को सूचना मिली कि इस तरह के सिम सिम बेचने वाला वीरेंद्र सिंह पीतमपुरा इलाके में आने वाला है। ऐस में उसे दबोच लिया गया। उसके पास से 760 पहले से सक्रिय सिम बरामद किए। उससे पूछताछ व निशानदेही पर पुलिस टीम ने प्रतीक, गगन एवं निशांत को दिल्ली के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया। फिर गिरोह के सरगना को सोमवार को असम के नौगांव से गिरफ्तार कर लिया।

जांच के क्रम में पता चला उस्मान पहले मछली पकड़ने वाली कंपनी में नौकरी करता था। लेकिन नौकरी छोड़कर सिम बेचने का काम करने लगा। असम में एनआारसी लागू हो रहे हैं। ऐसे में वह लोग से अपनी नागरिकता संबंधी दस्तावेज दुरुस्त करवाने के नाम पर फोटो, पहचान पत्र व संबंधित दस्तावेज लेता था व इन दस्तावेजों के आधार पर सिम आदि खरीदकर बेचता था। इन सिम को कूरियर के माध्यम से वीरेंद्र को भेजता था। इसके लिए उससे प्रति सिम 50 रुपये लेता था।

वीरेंद्र इन सिम को कॉल सेंटर में काम कर चुके गगन, निशांत और प्रतीक के माध्यम से काल सेंटर एवं साइबर अपराध में लिप्त गिरोहों को बेचता था।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि वीरेंद्र बीते डेढ़ साल में करीब 50 हजार सिम विभिन्न आपराधिक गिरोहों को बेच चुका है। ये गिरोह सिम का इस्तेमाल करने के बाद सिम को नष्ट कर देते थे। चूंकि सिम कार्ड किसी दूसरे के नाम पर जारी होता था इसलिए पुलिस को असली आरोपितों तक पहुंचने में दिक्कत होती थी।

वीरेंद्र सिम का पहले अपने उपयोग करता था। आनलाइन ग्रासरी शाप पर चलने वाले विशेष छूटों पर नजर रखता था। वह इस तरह सिम से खरीदारी करने के बाद उन सामानों को आसपास के जनरल स्टोर में बेच देता। फिर सिम को बेच देता था। पुलिस को इसी खरीदारी के जरिए वीरेंद्र का सुराग मिला था।

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