जिम्मेदारियों के बीच अनामिका स्कूल में रहीं अव्वल

जिम्मेदारियों की गठरी को उठाकर अनामिका ने पाई सफलताढ्ढठ्ठढ्डश्र3 जिम्मेदारियों की गठरी को उठाकर अनामिका ने पाई सफलताढ्ढठ्ठढ्डश्र3 जिम्मेदारियों की गठरी को उठाकर अनामिका ने पाई सफलता रितु राणा पूर्वी दिल्ली जीवन एक संघर्ष है और हर मुश्किल जिदगी में एक परीक्षा होती है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 07:36 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 07:36 PM (IST)
जिम्मेदारियों के बीच अनामिका स्कूल में रहीं अव्वल
जिम्मेदारियों के बीच अनामिका स्कूल में रहीं अव्वल

रितु राणा, पूर्वी दिल्ली

जीवन एक संघर्ष है और हर मुश्किल जिदगी में एक परीक्षा होती है। इनमें सफल होकर विजय पार्क स्थित राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय की छात्रा अनामिका ने 10वीं की परीक्षा में 94 फीसद अंक प्राप्त कर स्कूल टॉप किया है। किसी विद्वान ने कहा है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत..यह पंक्तियां अनामिका के जीवन संघर्ष की कहानी पर सटीक बैठती हैं। अनामिका के उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाके में रहती हैं, लेकिन वे जरा भी नहीं घबरार्ई, बल्कि इस डर का सामना करके वह परीक्षा देने गई।

अनामिका ने बताया कि जब दंगे हो रहे थे तब वे सोचती थीं कि बस ठीक से परीक्षा दे आऊं। उस समय उन्हें अंकों की चिता नहीं होती थी, पर मन में विश्वास था कि वे जरूर अपने घर व स्कूल का नाम रोशन करेंगी।

घर की जिम्मेदारियों के साथ पढ़ाई के लिए भी निकाला समय

अनामिका की मां उमा शर्मा 2012 से बीमार हैं। वे सर्वाइकल से पीड़ित हैं। 2004 से 2012 के बीच उनके चार ऑपरेशन हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद से वे बेड पर ही रहती हैं। वे न खुद चल पाती हैं न ही कोई काम कर पाती हैं। ऐसे में अनामिका ने जिम्मेदारियों की अपने कंधे पर रखा। उनके पिता सतीश शर्मा निजी कंपनी में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि अनामिका उनके साथ मिलकर घर के सारे काम करती हैं। इसके बावजूद उन्होंने स्कूल और पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। डॉक्टर बनने की चाहत

अनामिका ने बताया कि आठ वर्ष से उनकी मां ठीक से चल भी नहीं पा रही हैं। उन्हें सहारा देना पड़ता है। ऐसे में उनकी यह हालत देख अनामिका ने यह ठाना कि वे डॉक्टर बनेंगी और बीमार लोगों की सेवा करेंगी।

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