गांव की आवासीय संपत्तियों को राहत

पूर्वी निगम के क्षेत्र में गांव में व्यावसायिक व आवासीय संपत्तियों को संपत्ति कर के लिए भेजे जा रहे नोटिस से हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच बुधवार को नगर निगम की स्थायी समिति ने बड़ी राहत देने का फैसला किया है। स्थायी समिति में एक प्रस्ताव पास किया गया है जिसके मुताबिक गांव की आवासीय संपत्तियों के लिए मात्र दो साल का संपत्ति कर जमा कराने पर बकाया कर माफ हो जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 09:36 PM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 09:36 PM (IST)
गांव की आवासीय संपत्तियों को राहत
गांव की आवासीय संपत्तियों को राहत

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :

पूर्वी निगम के क्षेत्र में गांव में व्यावसायिक व आवासीय संपत्तियों को संपत्ति कर के लिए भेजे जा रहे नोटिस से हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच बुधवार को नगर निगम की स्थायी समिति ने बड़ी राहत देने का फैसला किया है। स्थायी समिति में एक प्रस्ताव पास किया गया है, जिसके मुताबिक गांव की आवासीय संपत्तियों के लिए मात्र दो साल का संपत्ति कर जमा कराने पर बकाया कर माफ हो जाएगा। इसके साथ व्यावसायिक संपत्तियों के मालिकों को भी राहत मिली है। उन्हें तीन साल का कर जमा कराना होगा। इसके साथ उन्हें भी बकाये से मुक्ति मिल जाएगी।

स्थायी समिति की बैठक में नेता सदन प्रवेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की एक अधिसूचना के तहत दिल्ली के सभी गांव अब ग्रामीण नहीं रह गए हैं। बल्कि शहरीकृत घोषित हो चुके हैं। इसके बाद यहां की संपत्तियां कर के दायरे में आ गई हैं। इसी वजह से उन्हें संपत्ति कर के नोटिस मिल रहे हैं। ग्रामीण इससे परेशान हैं। गांव में छोटे-छोटे व्यावसायिक काम होते हैं इसलिए उन्हें राहत दी जानी चाहिए। समिति अध्यक्ष सत्यपाल सिंह ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि निगम की आय का संपत्ति कर एक बड़ा स्त्रोत है। इसकी हमें जरूरत भी है। हम नहीं चाहते गांव वालों पर ज्यादा भार पड़े इसलिए वह स्वेच्छा से आवासीय संपत्तियों पर पिछले दो वर्ष का और व्यावसायिक संपत्तियों के लिए तीन वर्ष का संपत्ति कर जमा करा दें। उनका बकाया पूरी तरह से माफ हो जाएगा। इसके बाद वह हर वर्ष का संपत्ति कर जमा करा सकते हैं।

भवन विभाग पर बरसीं आप पार्षद बैठक में आप की पार्षद गीता रावत ने भवन विभाग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह विभाग नियंत्रण विहीन हो गया है। रावत ने कहा कि बिल्डरों द्वारा अवैध तरीके से मकान बनाए जा रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। जबकि 20 से 50 गज जमीन पर कोई गरीब व्यक्ति अपने रहने के लिए मकान बनवा रहा है तो भवन विभाग के अधिकारी उसे कार्रवाई के लिए बुक कर दे रहे हैं। इसके बाद उस मकान को बिजली, पानी का कनेक्शन नहीं मिल पाता है। नेता सदन प्रवेश शर्मा ने गीता रावत की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पूर्व आयुक्त रणवीर सिंह के समय इस पर सहमति बनी थी कि 50 गज तक के मकानों पर कार्रवाई नहीं हो और उन्होंने इसके लिए निर्देश भी दिए थे। इस पर अमल होना चाहिए। पूर्व महापौर बिपिन बिहारी सिंह ने भी भवन विभाग में अनियमितताओं पर सवाल उठाया। वहीं, समिति के उपाध्यक्ष दीपक मल्होत्रा ने कहा कि पार्किंग ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहे हैं। ये लोग ज्यादा जगह घेर रहे हैं और लोगों से शुल्क वसूल रहे हैं। ----- डा. राजीव गुप्ता को आवश्यक सेवानिवृत्ति की सिफारिश स्थायी समिति की बैठक में स्वामी दयानंद अस्पताल के डा. राजीव गुप्ता को आवश्यक सेवानिवृत्ति देने की सिफारिश की गई है। इस संबंध में प्रस्ताव पास कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डा. राजीव गुप्ता की तैनाती फिलहाल शाहदरा पालीक्लीनिक में है। लेकिन वह कभी ड्यूटी पर नहीं आए। वह स्वामी दयानंद अस्पताल में ही बैठे हैं। पूर्व में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था, लेकिन इसे बाद में वापस ले लिया था। ड्यूटी से गैरहाजिर रहने के कारण उन्हें आवश्यक सेवानिवृत्ति देने की सिफारिश की गई है।

chat bot
आपका साथी