रंगमंच में आपको सीखने और सिखाने वाले दोनों मिलेंगे: कैलाश कुमार
जागरण संवाददाता पूर्वी दिल्ली काविश संस्था द्वारा आत्मनिर्भर भारत युवा और रंगमंच विषय
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: काविश संस्था द्वारा ''आत्मनिर्भर भारत: युवा और रंगमंच'' विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन हुआ। जिसमें वक्ता के रूप में पिथोरागढ़ (उत्तराखंड) की भाव राग ताल नाट्य अकादमी के संस्थापक व निर्देशक कैलाश कुमार ने अपने विचार रखे।
अपनी बात रखते हुए कैलाश कुमार ने कहा कि हमें अपने काम के प्रति ईमानदार और मेहनती होना चाहिए, तभी हम जीवन में कुछ बड़ा हासिल कर पाएंगे। उन्होंने रंगमंच में रूचि रखने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि एक दौर हमारे जीवन में ऐसा आता है जब हम कुछ सीखते हैं। उसके बाद वो दौर आता है, जब हम उन सीखी हुई चीजों को अपने व्यवहार में लाते हैं और उसे अपने जीवन और समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं। यही खास बात रंगमंच की है जहां आपको सीखने और सिखाने वाले दोनों मिलते हैं।
इस अवसर पर कैलाश ने युवाओं को हिलजात्रा नाटक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हिलजात्रा पिथौरागढ़ में भादो माह में मनाया जाने वाला उत्तराखंड का प्रमुख मुखौटा नृत्य है। हिलजात्रा का मतलब कीचड़ का खेल है। जिसमें दलदली भूमि में खेती करते हुए किसान खेल खेलते हैं, इसे ही नाटक का रूप दिया गया है। इस मौके पर उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों के बाद पाई सफलता का उदाहरण देकर सभी युवाओं को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर रमा समेत करीब 500 लोगों ने भाग लिया।