पराली को जड़ से खत्म करने की तैयारी, कम होगी धान की बुआई

दिल्ली एनसीआर को प्रदूषण से बचाने के लिए पराली को जड़ से खत्म करने की तैयारी शुरू हो गई है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के सुझाव पर पंजाब और हरियाणा में धान का रकबा घटाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 08:07 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 03:35 AM (IST)
पराली को जड़ से खत्म करने की तैयारी, कम होगी धान की बुआई
पराली को जड़ से खत्म करने की तैयारी, कम होगी धान की बुआई

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

दिल्ली एनसीआर को प्रदूषण से बचाने के लिए पराली को जड़ से खत्म करने की तैयारी शुरू हो गई है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के सुझाव पर पंजाब और हरियाणा में धान का रकबा घटाया जाएगा। दोनों राज्यों की सरकारें इसके लिए नीति निर्धारण में जुट गई हैं। गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में जहां हर साल लगभग 68 लाख मीट्रिक टन धान की खेती होती है वहीं पंजाब में यह आंकड़ा करीब

सालाना 8 लाख मीट्रिक टन का है। धान की कटाई के दौरान बड़ी मात्रा में पराली निकलती है। यही पराली जलाए जाने पर दिल्ली एनसीआर को प्रदूषित करती है।

जानकारी के मुताबिक पराली से हवा प्रदूषित होती है तो धान की बुआई में चूंकि पानी बहुत खर्च होता है, इसलिए दोनों ही राज्यों में भूजल स्तर भी तेजी से नीचे जा रहा है। इसलिए भी धान का रकबा कम करना बहुत जरूरी हो गया है।

इसीलिए पराली पर नियंत्रण के मद्देनजर ईपीसीए ने ऑनलाइन बैठक के दौरान गुरुवार को दोनों ही राज्यों को धान की खेती का रकबा घटाते हुए पुख्ता नीति बनाने का सुझाव दिया। साथ ही यह सुझाव भी दिया कि धान के बदले जल और वायु संरक्षण के अनुकूल फसलों को प्रोत्साहन दिया जाए। इससे किसान खुद भी उन्हीं फसलों की ओर मुखातिब होने लगेंगे। बॉक्स-1

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण घटाने के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर बनाए रखने के लिए भी धान का रकबा कम करना जरूरी है। दोनों राज्यों ने इस दिशा में सहमति जताते हुए जल्द ही कृषि नीतियों में यथोचित बदलाव करने के संकेत दिए हैं।

-भूरेलाल, अध्यक्ष, ईपीसीए -समाप्त, संजीव गुप्ता 10 जुलाई 2020

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