एक तिहाई प्रसूताओं की नहीं होती चिकित्सकीय देखभाल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली के अस्पतालों में प्रसव कराए जाने के आंकड़े तो शानदार हैं,

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 09:38 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 09:38 PM (IST)
एक तिहाई प्रसूताओं की नहीं 
होती चिकित्सकीय देखभाल
एक तिहाई प्रसूताओं की नहीं होती चिकित्सकीय देखभाल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली के अस्पतालों में प्रसव कराए जाने के आंकड़े तो शानदार हैं, लेकिन प्रसव के बाद चिकित्सकीय देखभाल के मामले में यह आंकड़ा उतना ही चौकाने वाला है। दरअसल यहां करीब एक तिहाई प्रसूताओं को प्रसव के बाद चिकित्सकीय देखभाल की सुविधा नहीं मिल पाती। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में यह बात सामने आई है। डॉक्टर इसे गंभीर मामला बता रहे हैं, क्योंकि प्रसव के बाद शुरुआती दो दिन जच्चा-बच्चा के लिए बेहद संवदेनशील होते हैं।

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में प्रसव के बाद शुरुआती दो दिन तक 62.3 फीसद महिलाओं को चिकित्सकीय देखभाल मिली। इसमें किसी डॉक्टर, नर्स या अन्य प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी ने उनकी देखभाल की और जरूरी परामर्श दिए। वर्ष 2005-06 के मुकाबले यह रिकार्ड बेहतर हुआ है और आंकड़ों में 10 फीसद की बढ़ोतरी भी हुई है। फिर भी दिल्ली में 36.7 फीसद महिलाओं को प्रसव के बाद चिकित्सकीय देखभाल नहीं मिल पा रही है। यहां करीब 86 फीसद प्रसव अस्पतालों में होता है। 14 फीसद प्रसव घरों में ही करा लिया जाता है। फोर्टिस ला फेम अस्पताल के गायनी विभाग की डॉ. विमल ग्रोवर ने कहा कि यह देखा गया है कि प्रसव के बाद जिन नवजात बच्चों की मौत होती है, उनमें से करीब 50 फीसद बच्चे शुरुआती 24 घंटे में ही दम तोड़ देते हैं। नवजात मृत्युदर अधिक होने का एक बड़ा कारण प्रसव के बाद बच्चे और मां की उचित देखभाल नहीं होना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा निर्देश के अनुसार प्रसव के एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराना जरूरी होता है। इससे पहले बच्चे की संपूर्ण क्लीनिकल जांच भी जरूरी है। प्रसव के बाद महिलाओं को अधिक रक्तस्राव व पोस्टपार्टम हेमरेज होने का खतरा रहता है। प्रसव के बाद काउंसलिंग कर महिलाओं को स्वास्थ्य की देखभाल के अलावा बच्चे के पोषण, स्वच्छता, टीकाकरण आदि की जानकारी भी दी जानी चाहिए।

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