World Osteoporosis Day: जानिए साइलेंट बोन डिजीज आस्टियोपोरोसिस के लक्षण और बचाव
World Osteoporosis Day गुरुग्राम के सीनियर फीजियोथेरेपिस्ट डा. सर्वोत्तम चौहान ने बताया कि आस्टियोपोरोसिस की बीमारी शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी व कुछ हार्मोंस के असंतुलित होने से होती है। इसलिए जरूरी है पोषक आहार और समय पर उपचार...
डा. सर्वोत्तम चौहान, [नई दिल्ली/ गुरुग्राम]। World Osteoporosis Day डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारियों के बाद आस्टियोपोरोसिस विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है। यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है। आस्टियोपोरोसिस को खोखली हड्डियों की बीमारी भी कहते हैं, जिसमें हड्डियों की मजबूती और घनत्व धीरे-धीरे कम होता जाता है। इस बीमारी में कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी के कारण बोन मास (घनत्व) कम हो जाता है और हड्डियां भुरभुरी हो जाती हैं।
क्यों होता है आस्टियोपोरोसिस: आस्टियोपोरोसिस पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। महिलाओं में इस बीमारी के ज्यादा होने की एक बड़ी वजह है मेनोपोज। बढ़ती उम्र में जब हार्मोंस का बनना कम होने लगता है तो बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं को हड्डियों की बीमारी के साथ ही दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाता है। हालांकि कई बार पीरियड्स जल्द खत्म होने या कुछ खास हार्मोन के डिसबैलेंस होने की वजह से हड्डियां जल्दी कमजोर होने लगती हैं।
आजकल के खानपान में भी पहले की अपेक्षा कम मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, यह भी इस बीमारी का कारण बनता है। इस समस्या से बचाव में विटामिन-डी बहुत लाभदायक होता है। विटामिन-डी का काम होता है हमारे खाने से कैल्शियम को शरीर में जज्ब करना और अगर विटामिन-डी की कमी हो जाए तो खाने से मिला कैल्शियम बाहर निकल जाता है। जिससे हड्डियों को पोषण नहीं मिल पाता और वो खोखली हो जाती हैं।
कैसे करें बचाव समय-समय पर जांच जरूर करवाएं हर रोज कम से कम 30 मिनट की सैर करें कम से कम 15-20 मिनट सळ्बह धूप में बैठें 45 मिनट व्यायाम करें। आउट डोर गेम्स भी खेल सकते हैं विटामिन-डी की कमी होने पर अपने फिजीशियन से संपर्क करें
कैसा हो खानपान
फीजियोथेरेपी का सहारा लें
आस्टियोपोरोसिस के साथ ही बहुत से लोग जोड़ों व मांसपेशियों के कमजोर होने से परेशान रहते हैं। ऐसे में फीजियोथेरेपी की सहायता से उन्हें राहत मिल सकती है। कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले किसी कळ्शल योग विशेषज्ञ या फीजियोथेरेपिस्ट से सलाह अवश्य लें।