चौधरी अजित सिंह के निधन के साथ ही खामोश हो गई जाटों के लिए उठने वाली मजबूत आवाज

जाट राजनीति के बूते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबदबा रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह के निधन के साथ जाटों की मजबूत आवाज खामोश हो गई। उस समय किसानों को समर्थन देने यूपी गेट पर पहुंचे थे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 01:13 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 01:50 PM (IST)
चौधरी अजित सिंह के निधन के साथ ही खामोश हो गई जाटों के लिए उठने वाली मजबूत आवाज
किसानों के बीच पहुंचकर उनका हौसला बढ़ाने का काम किया था।

नई दिल्ली/ गाजियाबाद, [शाहनवाज अली]। जाट राजनीति के बूते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबदबा रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह के निधन के साथ जाटों की मजबूत आवाज खामोश हो गई। चौधरी अजित सिंह गाजियाबाद के यूपी गेट पर अक्टूबर 2018 में भारतीय किसान यूनियन के धरना-प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचे थे। इसके बाद उनका गाजियाबाद आना नहीं हुआ। उनके निधन से पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों में शोक छाया हुआ है।

यूपी-दिल्ली बार्डर पर किसानों को अक्टूबर 2018 में बलपूर्वक रोक दिया गया था। किसान गांधी जयंती पर दिल्ली राजघाट पर धरना देने जा रहे थे। उस समय किसानों को समर्थन देने यूपी गेट पर पहुंचे रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह को लोगों ने हाथों हाथ लिया और कंधे पर बैठा लिया था। इस दौरान वह तबीयत बिगड़ने पर बेहोश हो गए थे। इसके बाद ऐसा कोई मौका नहीं आया कि वह कभी गाजियाबाद नहीं आ पाए। वह किसानों के हित में होने वाले प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। भारतीय किसान यूनियन के मुखिया रहे चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के समय उन्होंने बड़े आंदोलन में वह साथ खड़े रहे।

रालोद का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, जेपीनगर, रामपुर, आगरा, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, एटा, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, पीलीभीत व शाहजहांपुर में खासा प्रभाव रहा। छोटे चौधरी यानि चौधरी अजित सिंह के निधन की खबर के साथ ही उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों में निराशा के साथ शोक छाया हुआ है।

किसान हित में मुखर होकर लड़ने वाला नहीं रहा..

किसानों ने अपना मसीहा, देश ने एक अच्छा नेता खो दिया। चौधरी अजित सिंह हमेशा किसान और मजदूरों के हितों की लड़ाई के साथ सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ते रहे। वह धर्म निरपेक्षता की मिसाल रहे। - सुदेश शर्मा, रालोद के पूर्व विधायक

जब भी खेती, किसानी और मजदूरों के हकों की बात होगी चौधरी अजित सिंह को हमेशा याद किया जाएगा। किसानों ने अपना सबसे मजबूत नेता ही नहीं बल्कि एक नायक खो दिया। खो दिया। - अजयपाल प्रमुख, रालोद जिलाध्यक्ष चौधरी

अजित सिंह किसानों के सच्चे हमदर्द और देश के बड़े नेता थे, जिन्होंने हमेशा चौधरी चरणसिंह की विचारधारा को आगे बढ़ाया और हमेशा हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने का काम किया। अमरजीत सिंह बिड्डी, रालोद नेता

दिवंगत चौधरी अजित सिंह के निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। रामनरेश रावत ने कहा है कि चौधरी अजित सिंह के निधन से आज देश ने किसानों का सच्चा हमदर्द खो दिया है। उन्होंने कहा है कि चौधरी अजित सिंह जीवन भर किसानों की लड़ाई लड़ते रहे। जहां भी किसानों के साथ अन्याय हुआ चौधरी अजित सिंह वहीं खड़े दिखाई दिए। आज उनका निधन पूरे देश की क्षति है।

देश में किसान हित में किए गए कार्यों के लिए चौधरी अजित सिंह को हमेशा याद रखा जाएगा। भारत के इतिहास में चौधरी अजित सिंह हमेशा अमर रहेंगे । - रामनरेश रावत, पूर्व विधायक व भाजपा नेता

चौधरी अजित सिंह का जीवन किसानों को समर्पित रहा। किसानों के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया। उनका अचानक चले जाना किसानों के संघर्ष और भारतीय राजनीति में कभी ना भरने वाली जगह छोड़ गया। बिजेन्द्र यादव, कांग्रेस जिलाध्यक्ष

ऐसा लगता है कि चौधरी अजित सिंह का निधन और निर्धन देश का किसान हो गया। उनके निधन के साथ देश की किसान राजनीति का सूर्य अस्त हो गया। किसान राजनीति में उनकी भरपाई नहीं हो सकती। चौधरी अजयवीर सिंह, रालोद के प्रदेश प्रवक्ता

दिल्ली जाकर चौधरी अजीत सिंह से मुलाकात के बाद राजनीतिक सफर शुरू किया। उनकी खासियत थी कि वह कार्यकर्ताओं से फोन पर संपर्क में रहते थे। आखिरी दम तक उनमें किसान और देश सेवा के जोश में कमी नहीं दिखी। विशाल सिंह, महानगर अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन- शाहनवाज अली

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